Profitable Farming: मुनाफे की खेती! खेत की बाउंड्री पर लगायें ये पौधा, कुछ ही सालों में करोड़ों का टर्नओवर पक्का
Tree farming: सागवान के पेड़ की खासियत है कि इसकी लकड़ी से फर्नीचर और पत्तियां-छाल से दवा बनती हैं. अच्छी क्वालिटी की लकड़ी के प्रॉडक्शन के लिए मिट्टी और जलवायु के अनुसार इन किस्मों का चयन कर सकते हैं
Teak Tree Plantation: पेड़ हमारे जीवन का आधार हैं. प्रकृति का अभिन्न अंग हैं. यह सिर्फ हमें ऑक्सीजन ही नहीं देते, बल्कि फल, फूल, औषधि से लेकर लकड़ी तक की जरूरतों को पूरा करते हैं. भारत में अभी तक सिर्फ पेड़ हरियाली के लिए लगाए जाते थे, लेकिन अब ये कमाई का साधन बनते जा रहे हैं. अब देश के ज्यादातर इलाकों में किसानों ने पेड़ों की खेती का मॉडल अपना लिया है. खाली पड़े खेतों में सागवान के पेड़ लाकर किसान अपनी भविष्य के लिये जमा पूंजी का इंतजाम कर रहे हैं.
ऐसे ही पेड़ों में शामिल है सागवान, जिसकी डिमांड फर्नीचर के लिए बढ़ती जा रही है. सागवान की लकड़ी इसलिये भी लोकप्रिय है, क्योंकि इसमें दीमक लगने की संभावनाएं काफी कम रहती है. यही कारण है कि सागवान की लकड़ी बाकी पेड़ों के मुकाबले ज्यादा महंगी बिकती है. आइए जानते हैं सालोंसाल चलने वाली लकड़ी से कमाई यानी सागवान पेड़ की खेती के बारे में.
कहां करें खेती
वैसे तो सागवान की खेती के लिए हर तरह की मिट्टी उपयुक्त रहती है, लेकिन 6.50 से 7.50 पीएच मान वाली मिट्टी में सागवान के पौधे काफी अच्छे से पनपते हैं. किसान चाहें तो 1 एकड़ में सागवान के पौधे लगाकर सब्जियों की अंतरवर्तीय खेती भी कर सकते हैं. इससे अतिरिक्त आमदनी का इंतजाम होता रहेगा. कम जमीन वाले किसान भी खेत की बाउंड्री पर भी सागवान के पौधों लगाकर कुछ साल बाद अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसकी खेती में काफी धैर्य रखने की जरूरत होती है, इसलिये ज्यादातर किसान फ्यूचर प्लानिंग के नजरिये से सागवान की खेती फायदे का सौदा है.
खेत की तैयारी
किसी भी फसल से बेहतर उत्पादन के लिए खेत को जैविक विधि से तैयार करना चाहिये. सागवान के पौधों की रोपाई करने से पहले भी खेतों में अच्छी जुताई लगाकर खरपतवार और कंकड-पत्थर हटा देने चाहिये. इसके बाद निशान बनाकर उचित दूरी पर गड्ढों की खुदाई की जाती है. इन गड्ढों में नीम की खली, जैविक खाद और जैव उर्वरक भी डाल सकते हैं. इसके बाद गड्ढों में सागवान के पौधों की रोपाई के बाद खाद-मिट्टी के मिश्रण से गड्ढे को भर दिया जाता है. अब सिर्फ समय-समय पर पौधों की सिंचाई करते रहना होगा. बेहद कम देखभाल और छोटे खर्च में ही ये पेड़ बनकर तैयार हो जायेंगे.
12 साल में करोड़ों का टर्नओवर
पेड़ों की खेतों की तरफ लोग इसलिए भी रुख कर रहे हैं, क्योंकि यह भविष्य की जमा पूंजी की तरह काम करते हैं. सागवान के पौधे की रोपाई करने के 10-12 साल के अंदर पेड़ की लकड़ी तैयार हो जाती है. किसान अपनी सहूलियत के हिसाब से प्रति एकड़ खेत में 400 सागवान के पौधे लगा सकते हैं, जिसमें 40 से 50 हजार तक का खर्च आता है. वहीं 12 साल बाद इसकी लकड़ी 1 करोड़ से 1.5 करोड़ में बिक जाती है. अगर मेड़ों पर भी सागवान के पौधों की रोपाई की जाये तो 12 साल मोटा पैसा मिलता ही है, साथ में सब्जियों की अंतरवर्तीय खेती करके भी बीच-बीच में अतिरिक्त आमदनी ले सकते हैं.
सागवान के फायदे
एक रिसर्च के मुताबिक, भारत में हर साल 180 करोड़ क्यूबिक फीट सागवान की लकड़ी की आवश्यकता है, लेकिन सिर्फ 9 करोड़ क्यूबिक फीट सागवान की लकड़ी ही मिल पाती है. सागवान के पेड़ की खासियत है कि इसका तना लकड़ी के तौर पर और पत्तियां-छाल दवा के रूप में काम आती हैं.
इससे अच्छी क्वालिटी की लकड़ी का प्रॉडक्शन के लिए मिट्टी और जलवायु के अनुसार उन्नत किस्मों का चयन ोकरना चाहिये. देश-विदेश में लोकप्रिय किस्मों में दक्षिणी और मध्य अमेरिका सागवान, पश्चिमी अफ्रीकी सागवान, अदिलाबाद सागवान, नीलांबर (मालाबार) सागवान, गोदावरी सागवान और कोन्नी सागवान शामिल है. इन सभी की क्वालिटी, वजन, लंबाई और खासियत अलग-अलग होती हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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