Vegetable Farming In Rain: भारत में प्रमुख फल और सब्जियों की खेती (Fruits & Vegetable Farming) के लिये मानसून सीजन सबसे बेहतर रहता है. इस दौरान खेत में भी नमी बनी रहती है और सिंचाई का खर्च भी बच जाता है. ऐसे में जल संचय(Rain Water Harvesting) करके ऐसे फल और सब्जियों की खेती करने चाहिये, जिन्हें सिर्फ बारिश के मौसम में उगाकर ही किसानों को अच्छी आमदनी मिल जाये. इन फल सब्जियों में जामुन(Jamun), सिंघाड़ा(Water Chestnut), कमल ककड़ी(Lotus Cucumber), मशरूम (Mushroom) और अनार (Pomegranate) का नाम शामिल है. ज्यादातर किसान खरीफ फसलों (Kharif Season)  की खेती के लिये जमीन की तैयारी तो कर ही चुके हैं. ऐसे में इन फल और सब्जियों की बागवानी (Horticulture) करना फायदे का सौदा साबित होगा.


सिंघाडा (Water Chestnut Cultivation)
सिंघाड़े की खेती के लिये अधिक पानी की जरूरत होती है. ज्यादातर किसान बारिश के समय तालाबों में पानी भरकर सिंघाड़ा उगाते हैं, क्योंकि बारिश का पानी में सिंघाड़े की कम मेहनत में ही अच्छी पैदावार मिल जाती है. बैसे तो सिंघाड़ा जून-जुलाई में बोया जाता है, लेकिन जुलाई-अगस्त के बीच खेत में भी पानी भरकर सिंघाड़े की खेती कर सकते हैं. इस समय तक सिंघाड़े की खेती करने के बाद दिसंबर-जनवरी तक फसल तैयार हो जाती है, जिसके बाद बाजार में सिघाड़ा और इससे बने उत्पादों के अच्छे भाव मिल जाते हैं.  किसान चाहें तो सिंघाड़े की प्रोसेसिंग करके आटा और दूसरे प्रोडक्ट बनाकर अतिरिक्त आमदनी भी कमा सकते हैं. 




मशरूम (Mushroom Farming)
अकसर बारिश में घास के बीच, गार्डन और सड़क के किनारे अपने आप मशरूम उग जाते हैं. ये मशरूम जहरीले होते हैं, जो इंसान के खाने के लायक नहीं होते, लेकिन इस मौसम में मशरूम की कई उन्नत किस्मों की खेती करके अच्छी आमदनी ले सकते हैं. दरअसल इस मौसम में नमी और आर्द्रता काफी होती है, जो मशरूम की खेती के लिये अनिवार्य है, इसलिये बारिश के मौसम में 4 * 4 के कमरे में मिल्की, बटन, ऑयस्टर जैसे मशरूम की खेती कर सकते हैं. बता दें कि बाजारों और मंडियों में मशरूम की मांग काफी बढ़ गई है. सिर्फ एक किलो मशरूम 250 से 300 रुपये की कीमत पर हाथों-हाथ बिक जाता है. महज 50,000 से एक लाख रुपये के खर्च पर मशरूम की यूनिट लगाकर सालों साल मुनाफा कमा सकते हैं.


जामुन (Black Berry Cultivation) 
बरसात के मौसम को फलों के बाग की तैयारी और पौधों की रोपाई के लिये सर्वोत्तम मानते हैं. खासकर जून से अगस्त के बीच ज्यादातर नये बागों की रोपाई और पुराने बागों के जीर्णोद्दार का काम किया जाता है. बात करें जामुन की खेती के बारे में तो अच्छी बरसात के बीच जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में इसकी बागवानी करना फायदेमंद रहता है, क्योंकि इस मौसम में पौधे मिट्टी, हवा और पानी की मदद से प्राकृतिक तौर पर विकास करते हैं. एक हेक्टेयर में जामुन के 250 पौधों की रोपाई कर सकते हैं, जिसके बाद अगले 8 सालों तक जामुन के सिर्फ एक ही पेड़ से 80 से 90 किलो तक फलों का उत्पादन मिल जायेगा.




कमल ककड़ी (Lotus Cucumber Cultivation) 
कमल ककड़ी भी तालाब और भरपूर पानी में उगने वाला पौधा है, जो कमल के फूल का तना ही होता है. बता दें कि कमल ककड़ी की बाजार में काफी मांग होती है. इससे अचार और सब्जी बनाई जाती है. वहीं कमल के फूल और मखाना उगाकर अतिरिक्त उत्पादन लेकर बढ़िया पैसा कमा सकते हैं. वैसे तो कमल ककड़ी को साल में तीन बार उगा सकते हैं, लेकिन बारिश के दौरान भरपूर पानी के अंदर इसकी खेती करने के कई फायदे और बचत होती है. करीब एक एकड़ तालाब में कमल ककड़ी उगाने पर 50 से 60 क्विंटल तक उत्पादन मिल जाता है. 


अनार (Pomegranate Farming)
भारत में खून बढ़ाने वाले फल के नाम से मशहूर अनार की बागवानी (Pomegranate) के लिये भी बारिश का समय सबसे उत्तम रहता है. इसके लिये हल्की बलुई दोमट मिट्टी में कंपोस्ट (Compost)  डालकर जैविक विधि (Organic Farming) से खेत तैयार करने चाहिये. बता दें कि हर तरह के पानी में अनाज की खेती कर सकते हैं. खासकर बारिश के पानी को संचय करके सिंचाई करने पर अनार का क्वालिटी उत्पादन मिल सकता है. इसकी खेती के लिये टपक सिंचाई की पद्धति (Drip Irrigation Technique) सबसे कारगर मानी जाती है, जिसमें पानी और श्रम दोनों की बचत होती है. इसके बागों के प्रबंधन के लिये जैविक कीटनाशक (Organic Pesticides)और जीवामृत (Jeevamrit)  का इस्तेमाल फायदेमंद साबित होता है.  इसके पेड़ से हर 120 से 130 दिन बाद अनार के फलों की तुड़ाई कर सकते हैं.




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