भारत में शुगर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. ऐसे में स्टीविया की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. दरअसल, ये एक ऐसा पौधा है जिसकी मदद से डायबिटीज पेशेंट भी मीठे का स्वाद ले सकते हैं. इसके माध्यम से कई शुगरफ्री चीजें बनाई जाती हैं. इसीलिए इसकी डिमांड भारत समेत पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ी है.
वहीं आपको बता दें, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड एवेल्यूएशन और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की 2017 की एक रिपोर्ट कहती है कि पिछले 25 वर्षों में भारत में डायबिटीज के मामलों में 64 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. वहीं लैंसेट की हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कुल 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रसित है. जबकि 13.6 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो प्री-डायबिटीज की स्थिति में है. सबसे बड़ी बात कि द लैंसेट डाटबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-इंडिया डायबिटीज (ICMR-INDIAB) ने किया है.
किसानों को कैसे होगा फायदा?
स्टीविया के लिए कहा जाता है कि ये चीनी से तीन सौ गुना ज्यादा मीठा होता है. हालांकि, इसमें कैलोरीज की मात्रा शून्य होती है. यही वजह है कि डॉक्टर शुगर के मरीजों को स्टीविया से बने प्रोडक्ट लेने की सलाह देते हैं. इसलिए इसकी डिमांड खूब है. कंपनियां इसके लिए किसानों को मुह मांगा पैसा दे रही हैं. यही वजह है कि अब भारत में कई ऐसे किसान हैं जो इसकी खेती करते हैं. आपको बता दें स्टीविया एक जीनस पौधा है जो मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर अमेरिका से लेकर दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय इलाकों में पाया जाता है. हालांकि, अब इसकी खेती भारत के भी कुछ इलाकों में होने लगी है.
कैसे होती है इसकी खेती?
स्टीविया एक ऐसी फसल है जिसे उगाने के लिए बहुत ज्यादा जमीन की जरूरत नहीं होती. किसान चाहें तो इसे कम से कम जमीन पर भी उगा सकते हैं. हालांकि, इसकी खेती अगर आप व्यापार के तौर पर कर रहे हैं तो फिर आपको इसके लिए ऐसी जमीन तलाशनी चाहिए जो भुरभुरी, समतल और बलुई दोमट हो. ऐसी मिट्टी में इसकी फसल बेहतर होती है. और किसानों को इसका ज्यादा लाभ भी मिलता है.
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