Tomato Farming: बिना सड़े-गले हाथोंहाथ बिक जायेंगे सारे टमाटर, इस खास तकनीक से करें खेती
Tomato Cultivation: स्टेकिंग विधि से खेती करने पर टमाटर के फल जमीन पर पड़े नहीं रहते, बल्कि स्टेकिंग से बंधी बेल पर लदे रहते हैं, जिससे सड़ने-गलने की समस्या नहीं रहती.
Tomato Farming By Staking Technique: भारत में टमाटर की बढ़ती खपत के कारण ज्यादातर किसान अपने खेतों में टमाटर को मुख्य फसल या सह-फसल (Co-cropping of Tomato) के रूप में जरूर लगाते हैं. टमाटर की खेती (Tomato Farming) से अच्छी आमदनी लेने के लिये कई किसान आधुनिक कृषि की तकनीकों (Advanced Farming Technique) का भी इस्तेमाल करते हैं, जिसमें जोखिम की संभावना भी कम होती है और टमाटर की बढ़िया क्वालिटी वाली फसल अच्छे दामों में बिक जाती है.
आधुनिक खेती की इन्हीं तकनीकों में शामिल है स्टेकिंग विधि(Staking Technique), जिसे अपनाकर न सिर्फ उत्पादन बढ़ रहा है, बल्कि कीड़े और बीमारियों जैसे जोखिम भी कम होते जा रहे हैं.
रोपाई के समय रखें सवाधानी (Precautions during Tomato Plantation)
टमाटर की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिये बुवाई-रोपाई का काम सावधानीपूर्वक करना बेहद जरूरी है, इसलिये रोपाई से पहले जड़ों में फफूंद नाशक दवा यानी 12% कार्बेण्डाजिम और 63% मेकोजेब के साथ 2 ग्राम डब्ल्यू.जी. को एक लीटर पानी में घोलकर उपचार कर लें. जड़ों को बीजों का उपचार करने से टमाटर से सही रंग, क्वालिटी और स्वस्थ फल मिलते हैं.
स्टेकिंग पद्धति (Staking Method of Farming)
स्टेकिंग पद्धित को आम भाषा में सहारा देकर फसलें उगाने वाली तकनीक भी कहते हैं, जिसमें बांस, जाली, या रस्सी का सहारा देकर पौधों को ऊपर की ओर बढ़वार देकर उगाया जाता है. ये तकनीक बेलदार फलों और सब्जियों के लिये काफी फायदेमंद साबित होती है.
- इस तरीके से खेती करने पर टमाटर के फल जमीन पर पड़े नहीं रहते, बल्कि स्टेकिंग से बंधी बेल पर लदे रहते हैं, जिससे सड़ने-गलने की समस्या नहीं रहती.
- अकसर देखा जाता है कि सिंचाई के बाद बेलदार सब्जियों के पौधों में गलन-सड़न पैदा होने लगती है, लेकिन स्टेकिंग विधि से ये समस्या भी खत्म हो जाती है.
- इस विधि से टमाटर उगाने पर जमीन पर ज्यादा घेराव नहीं होता, बल्कि 30-35% कम जमीन खर्च होती है और बेहतर उत्पादन मिल जाता है.
- इस विधि के तहत हर लाइन में 5 मीटर की दूरी पर 2 मीटर ऊंचे बाँस या जालियां लगा देते हैं, जिससे बेलों को इस पर लपेटा जा सके.
- उन्नत खेती करने वाले किसान नाइलॉन की रस्सी का भी इस्तेमाल करते हैं और बेलों के ऊपरी सिरे को रस्सी से बांध देते हैं.
कीट और रोग प्रबंधन (Pest Control in Tomato Crop)
खेती चाहे स्टेकिंग विधि से करें या साधारण तकनीक से, बदलते मौसम और लापरवाही के कारण फसल में कीड़े और बीमारियों का प्रकोप बढ़ ही जाता है. ऐसी स्थिति में जैविक कीटनाशकों से नियंत्रण कार्य कर लेने चाहिये.
- टमाटर में पत्ता धब्बा व फल सड़न, लघु पत्र रोग, उकठा या म्लानि जीवाणु रोग जैसी बीमारियां फसल को नुकसान पहुंचाकर फल की क्वालिटी को खराब करती हैं.
- इनसे बचाव के लिये टमाटर की रोग प्रतिरोधी किस्मों का ही चयन करके बुवाई करनी चाहिये.
- बुवाई के समय मिट्टी में नमी की खली डालने से भी कीड़े और बीमारियों की रोकथाम में काफी फायदा मिलता है.
- फसल में जीवामृत और नीम से बने जैविक कीट नाशकों (Organic Pesticides) समाधान करने पर इस तरह के जोखिमों को कम कर सकते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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