Tomato Farming in Green House:  टमाटर एक सदाबहार सब्जी है, जिसका इस्तेमाल तो काफी ज्यादा है, लेकिन प्रोडक्शन अब भी कम है. इसका प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए अब किसान खुले आसमान के नीचे टमाटर की सीजनल खेती (Tomato farming) और संरक्षित ढांचे में इसकी बेमौसमी खेती करके ऑफ सीजन प्रोडक्शन (Off Season Tomato) ले रहे हैं. इस काम में पॉलीहाउस खेती काफी मददगार साबित हो रही है, जिसमें कीट-रोग और मौसम की चिंताओं से दूर बेफ्रिक होकर सब्जियों का उत्पादन (Vegetable Production) किया जाता है.


इसी कड़ी में अब धीरे-धीरे ग्रीन हाउस का ट्रेंड भी बढ़ता जा रहा है. कम लागत में खेती करने वाले किसान अपनी जरूरत के मुताबिक ग्रीन हाउस लगाकर 3 से 4 गुना तक अधिक प्रॉडक्शन ले रहे हैं. पॉलीहाउस की तरह ग्रीन हाउस में भी कीट-रोगों की चिंता नहीं रहती है और समय से पहले सब्जियों का उत्पादन लेने में मदद मिलती है. किसान चाहें तो इस सीजन ग्रीन हाउस में टमाटर की फसल (Tomato farming in Green House) लगाकर अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. 


इस तरह लें क्वालिटी प्रॉडक्शन


वैसे तो टमाटर की खेती किसी भी मौसम में कर सकते हैं, लेकिन गर्मियों में झुलसती धूप और सर्दियों में पाला पड़ने के कारण पैदावार काफी कम हो जाती है. वहीं लाल टमाटर का क्वॉलिटी प्रोडक्शन हासिल करने के लिए 16 से 22 डिग्री सेल्सियस तक ही तापमान ठीक रहता है. ऐसे में मौसम और तापमान से जुड़ी इन्हीं  चिंताओं को दूर करने के लिए ग्रीन हाउस में खेती करने की सलाह दी जाती है. 


इन किस्मों से करें खेती


ग्रीन हाउस में टमाटर की अच्छी पैदावार के लिए DARL-303, HT-6, सन-7666, NS-1237, NS- 4130, COTH-1, NDT-5, NDT-120 के साथ-साथ नवीन, लक्ष्मी, पूसा दिव्या, अबिमन, अर्का सौरभ, पंत बहार, अर्का रक्षक, पूसा चेरी टमाटर-1 आदि किस्मों से खेती कर सकते हैं.


इस तरह करें रोपाई


ग्रीन हाउस, पॉलीहाउस या लो टनल जैसी संरक्षित ढांचों में टमाटर की खेती करने के लिए सीधी बिजाई नहीं की जाती, बल्कि उन्नत बीजों से पौधे तैयार करके रोपाई की जाती है. 



  • हाइब्रिड टमाटर के लिये 80 से 100 ग्राम बीज प्रति एकड़ के हिसाब से क्यारियों में लगाए जाते हैं, जिसके 5 से 6 सप्ताह बाद पौधे तैयार होने पर रोपाई की जाती है.

  • पौधों की रोपाई से पहले ऊंची मेड़ या बैड बनाई जाती है, जिससे खरपतवारों की समस्या भी नहीं आती.

  • बता दें कि 1000 वर्ग मीटर के ग्रीनहाउस में टमाटर की खेती के लिये करीब 2400 से 2600 पौधों की रोपाई कर सकते हैं. 


ग्रीन हाउस में फसल प्रबंधन


बेशक ग्रीन हाउस में खेती करने पर मौसम जनित चिंताएं खत्म हो जाती हैं, लेकिन अच्छी पैदावार के लिए समय-समय पर निगरानी भी करते रहना होगा.



  • ग्रीन हाउस में टमाटर का प्रॉडक्शन लेने के लिए ड्रिप सिंचाई की जाती है, जिससे सीधा पौधों की जड़ों में पानी पहुंचता है. इससे पौधों का विकास फलों का उत्पादन भी तेजी से होता है.

  • जब हाइब्रिड प्रजातियों के पौधों की ऊंचाई 10 फुट से भी ज्यादा हो जाती है, तो तनों को नाइलॉन के तार, रस्सी या बांस की स्टेकिंग का सहारा दिया जाता है.

  • ग्रीन हाउस में खरपतवारों की निगरानी भी करते रहें. इसकी रोकथाम के लिए निराई-गुड़ाई करें और साथ ही कंपोस्ट और यूरिया डालकर पौधों को पोषण दें.

  • किसान चाहें तो पानी में उर्वरक और पोषक तत्व मिलाकर ड्रिप सिंचाई के साथ पौधों तक पहुंचा सकते हैं. 

  • कभी फसल में कीट-रोग या फंगस की परेशानी होने पर नीम आधारित पेस्टीसाइड या ट्राइकोडर्मा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.


खर्च और आमदनी


1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में ग्रीनहाउस लगाने पर करीब 10 लाख रुपये की लागत आती है, जिसमें सरकार की तरफ से सब्सिडी (Subsidy on Green House) भी मिलती है. सिर्फ समृद्ध किसान ही नहीं, बड़े किसान भी सब्सिडी का लाभ लेकर कम से कम 500 वर्ग मीटर में ग्रीनहाउस लगाकर टमाटर (Tomato in Green House) या दूसरी सब्जियां उगा सकते हैं.


वैसे तो टमाटर का उत्पादन पूरी तरह मिट्टी, जलवायु, किस्म और फसल प्रबन्धन पर आधारित होता है, लेकिन ग्रीन हाउस में 2 से 3 टन चेरी टमाटर (Cherry Tomato) और बाकी किस्मों से 10 से 15 टन तक की पैदावार (Tomato Production) प्रति 1000 वर्ग मीटर से ले सकते हैं.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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