Tomato Farming: भारत में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती की जाती है. एक हेक्टेयर खेत में 800-1200 क्विंटल टमाटर का उत्पादन संभव है. विभिन्न प्रकार की मिट्टी में खेती की जा सकती है. उत्तर भारत में साल में दो बार खेती होती है. टमाटर की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.


टमाटर की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी पर की जा सकती है, जिसमें रेतीली दोमट, चिकनी मिट्टी, लाल और काली मिट्टी शामिल हैं. मिट्टी का प्रकार टमाटर के उत्पादन पर प्रभाव डाल सकता है, लेकिन उचित जल निकासी सभी प्रकार की मिट्टी के लिए आवश्यक है. उत्तर भारत में टमाटर की खेती साल में दो बार होती है. पहली खेती जुलाई-अगस्त से शुरू होकर फरवरी-मार्च तक चलती है. दूसरी खेती नवंबर-दिसंबर से लेकर जून-जुलाई तक चलती है.


टमाटर की खेती में किसानों को उच्च लाभ मिलता है. एक हेक्टेयर में 800-1200 क्विंटल उत्पादन संभव है, जो लागत से अधिक लाभ प्रदान करता है. एक हेक्टेयर की खेती से 15 लाख रुपये तक की कमाई की जा सकती है. सामान्य टमाटर के लिए प्रति हेक्टेयर 500 ग्राम और हाइब्रिड टमाटर के लिए 250-300 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है.


अच्छी फसलों के लिए क्या है जरूरी


टमाटर की खेती में बीजों से नर्सरी तैयार की जाती है. एक महीने में नर्सरी के पौधे खेतों में लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं. सर्दियों में फसलों को 6-7 दिनों के अंतराल पर और गर्मियों में 10-15 दिनों के अंतराल पर मिट्टी की नमी के आधार पर सिंचाई करनी चाहिए. यह फसलों को स्वस्थ रखने और अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक है. टमाटर एक गर्म जलवायु वाली सब्जी है जिसकी खेती ठंडे मौसम में की जाती है. इसके सफल उत्पादन के लिए 21 से 23 डिग्री तापमान अनुकूल माना जाता है.


रोपाई



  • बीजों को बोने के 20-25 दिन बाद रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं.

  • रोपाई के लिए क्यारियां बनाकर तैयार करें.

  • रोपों को 60 सेमी. की दूरी पर लगाएं.


खाद



  • गोबर की खाद 20-25 टन प्रति हेक्टेयर खेत में डालें.

  • रासायनिक खादों का प्रयोग मिट्टी की जांच के आधार पर करें.


ये हैं प्रमुख उत्पादन वाले राज्य


बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि.




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