Agri Business: हर किसी के जीवन में कृषि का अहम रोल है. ये सिर्फ किसानों का ही काम नहीं है. अगर आप अपने घर पर गार्डनिंग करते हैं तो ये भी अर्बन फार्मिंग की श्रेणी में आता है. वैसे तो देश की बड़ी आबादी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है, लेकिन कृषि उत्पादों पर पूरी दुनिया की निर्भरता है. भारत में उगे कृषि  उत्पाद आज विदेशों तक निर्यात किए जा रहे हैं. कोरोना महामारी के समय जब हर नौकरी-बिजनेस ठप पड़ा था. उस समय सिर्फ खेती और किसानों ने ही एक आस बचाए रखी.


लोगों ने इस सेक्टर के महत्व को समझा और शहरों की भागदौड़ भरी जिंदगी को पीछे छोड़कर कृषि आधारित किसी ना किसी गतिविधि से जुड़ गए. ये सिलसिला अभी भी जारी है.  कई लोग गांव में आकर खेती और एग्री बिजनेस से जुड़ना चाहते हैं, लेकिन ये नहीं समझ पाते कि कौन-सा बिजनेस सबसे ज्यादा सफल और मुनाफा देने वाला है, इसलिए आज हम उन एग्री बिजनेस की जानकारी देने जा रहे हैं, जो आपको ना सिर्फ आज, बल्कि भविष्य में भी अच्छा मुनाफा कमाकर देंगे.


ऑर्गेनिक फल-सब्जियों की खेती
भारत की मिट्टी में उपजे फल-सब्जियों की डिमांड को विदेशों तक है. कैमिकलों  से उपजे फल-सब्जी सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं, इसलिए भारत और दुनिया की एक बड़ी आबादी ऑर्गेनिक फल और सब्जियों का सेवन कर रही है.भविष्य में ऑर्गेनिक फल-सब्जियों की डिमांड और बढ़ेगी, इसलिए आप ऑर्गेनिक फल-सब्जियों की खेती के साथ-साथ शहरों में इसकी मार्केटिंग का बिजनेस  कर सकते हैं.


इसके लिए आपको सरकार से ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन और FSSAI से भी एक सर्टिफिकेट लेना होगा. फिर आप चाहें तो अपने ऑर्गेनिक फल और सब्जियों को विदेश में भी एक्सपोर्ट कर सकते हैं.अच्छी बात तो ये है कि जैविक खेती के लिए तो सरकार भी कई योजनाओं के जरिए ट्रेनिंग, तकनीकी मदद और आर्थिक सहायता देती है.


दूध-डेयरी का बिजनेस
सेहत के प्रति लोग जागरूक होते जा रहे हैं. अच्छी हेल्थ के लिए प्रोटीन को डाइट में शामिल करना बेहद जरूरी है और दूध इसका सबसे अच्छा और नेचुरल सोर्स है. भारत में दूध-डेयरी का बिजनेस खूब चलता है. शहरों में गाय-भैंस के दूध और इससे बने हेल्दी प्रोडक्ट्स की काफी डिमांड रहती है. गांव में आमतौर पर वातावरण खुला और साफ होता है, जहां पशु और डेयरी का काम करना आसान होता है.


इसके लिए अच्छी-खासी जगह आवश्यक है, इसलिए आप चाहें तो गाय, भैंस या बकरी पालन करके दूध उत्पादन कर सकते हैं. खुद की दूध प्रोसेसिंग और डेयरी फार्म खोल सकते हैं, जहां आकर लोग खुद भी दूध खरीदते हैं. आप चाहें तो खुद का ब्रांड बनाकर दूध और इससे बने उत्पादों की सप्लाई कर सकते हैं. 


हर्बल फार्मिंग
कोरोना के बाद से आयुर्वेद में लोगों का विश्वास और भी बढ़ गया  है. अब बीमारियों में सुबह-शाम दवाईयां खाने के बजाए लोग औषधियों/जड़ी-बूटियों का सेवन कर लगे हैं. कई बड़ी-बड़ी कंपनियां औषधियों और जड़ी-बूटियों से देसी दवाएं और हेल्दी फूड प्रोडक्ट्स बनाकर बेच रही है. देश की बड़ी दवा कपंनियां जैसे हिमालया हर्ब्स, पतंजली और भी आयुर्वेद का कांसेप्ट फॉलो करती हैं.


ये कंपनियां किसानों के साथ कांट्रेक्ट करती हैं और खेती की कुछ लागत को आपस में बांटकर किसानों से सारी जड़ी-बूटी या औषधी खरीद लेती हैं. औषधीय खेती की सबसे खास बात तो यह है कि इसमें लागत ना के बराबर आती है. आप चाहें बंजर जमीन खरीदकर या पट्टे पर लेकर औषधियां उगा सकते हैं. बीमारियों के दौर में औषधीय खेती और इसकी प्रोसेसिंग का बिजनेस भी आपको  कम खर्च में बंपर मुनाफा दिला सकता है.


पोल्ट्री फार्मिंग
पिछले कुछ सालों में अंडे और मांस की खपत भी बढ़ गई है. लगभग हर घर में सुबह-सुबह अंडे खाने का चलन बढ़ गया है. वहीं शहरों में चिकन की मांग भी बढ़ गई है. ऐसे में पोल्ट्री का बिजनेस किसी भी साधारण काम से ज्यादा मुनाफा दे सकता है. आपके पास पोल्ट्री फार्मिंग की ट्रेनिंग नहीं भी है तो नेशनल लाइवस्टॉक स्कीम या आत्मा योजना में अप्लाई कर दीजिए.


इसके बाद, सेंट्रल और स्टेट गवर्मेंट मिलकर आपको पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए फंड तो देंगी ही, तकनीकी ट्रेनिंग की भी सुविधा देंगी. आप चाहें तो सीधा अंडा-मांस के प्रोडक्शन वाले पोल्ट्री फार्म खोलने के बजाए ब्रायल पोल्ट्री फार्म खोल सकते हैं, जहां चूजों का प्रोडक्शन लिया जाता है और उन्हें दूसरे पोल्ट्री फार्म्स को बेच सकते हैं, जल्द यूपी सरकार जल्द राज्य को पोल्ट्री हब के तौर पर विकसित करने जा रही है. ये नया बिजनेस शुरू करने का अच्छा मौका हो सकता है.


वर्मीकंपोस्ट यूनिट
अब किसान भी कैमिकलों से मिट्टी को हो रह नुकसान से वाकिफ़ हो चुके हैं, इसलिए जैविक खेती और प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. इन दोनों तरह की खेती के जरिए कम खर्च में बेहतर उत्पादन और अच्छी आमदनी पक्की है. अब जैविक खेती के लिए ऑर्गेनिक खाद-उर्वरकों की काफी डिमांड रहती है. वर्मीकंपोस्ट भी एक खेती और गार्डनिंग में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख जैविक खाद है.


खेती में इसका इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए आप किसानों और पशुपालकों से गोबर और फसल अवशेष खरीदकर खुद की वर्मीकंपोस्ट, जैविक खाद और जैव उर्वरकों की प्रोडक्शन यूनिट लगा सकते हैं. ये पूरी तरह इकोफ्रैंडली बिजनेस है, जिसमें जीरो वेस्ट और आमदनी काफी अच्छी होती है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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