(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Potato Production: देश को 90% आलू उत्पादन इन 6 राज्यों से मिलता है, आखिर कौन सी तकनीक अपनाते हैं किसान
Potato Farming: भारत के इन टॉप 6 राज्यों ने आलू उत्पादन में 90% योगदान दिया है. यहां के आलू के विदेशी भी खूब चाव से खाते हैं. सबसे ज्यादा प्रोडक्शन यूपी और पश्चिम बंगाल से मिल रहा है.
Potato Cultivation: पिछले कुछ सालों में भारत ने दुनियाभर खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करके प्रमुख कृषि प्रधान देश की इमेज बनाई है. हमने फल, सब्जी, अनाज का बंपर उत्पादन लिया ही है, यहां से देश -विदेश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है. वैसे तो लगभग हर तरह के कृषि उत्पाद के अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग है, लेकिन देसी आलू ने विदेशियों के बीच एक खास पहचान बनाई है.आज भारतीय देसी आलू को श्रीलंका, ओमान, इंडोनेशिया, मलेशिया, मॉरीशस जैसे कई देशों में निर्यात किया जा रहा है. ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो देसी आलू के निर्यात में 4.6 गुना ग्रोथ दर्ज हुई है. इस काम को मुमकिन बनाते हैं हमारे किसान. द इंडियन इंडेक्स के मुताबिक, भारत के कुल आलू उत्पादन में 6 राज्यों ने 90% उत्पादन देकर अहम भूमिका अदा की है.
कौन से हैं प्रमुख आलू उत्पादक राज्य
भारत में मिट्टी और जलवायु में विविधता पाई जाती है. यहां रबी सीजन में आलू की खेती की जाती है. आलू इसलिए भी खास है, क्योंकि इसे सब्जियों का राजा कहते हैं, जिसकी देश-विदेश में भारी मांग है. इसकी खेती से आज कई राज्यों के किसान मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश और पंजाब के किसानों ने आलू उत्पादन में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.
यहां के किसान देश के कुल आलू उत्पादन में 90% योगदान देते हैं. द इंडियन इंडेक्स के मुताबिक, इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश टॉप पर है. यहां के किसान 29.65% आलू का उत्पादन कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल में 23.51%, बिहार में 17.2%, गुजरात में 7.05%, और मध्य प्रदेश में 6.68% और पंजाब में 5.32% आलू का उत्पादन हो रहा है.
यूपी और पश्चिम बंगाल ने तोड़ा रिकॉर्ड
बाकी राज्यों के मुकाबले कुछ कृषि जिंसों में उत्तर प्रदेश की उत्पादन क्षमता काफी अच्छी है. राज्य के किसान ना सिर्फ गन्ना, गेहूं और बागवानी फसलों का अच्छा उत्पादन ले रहे हैं, बल्कि यहां से आलू का भी उम्मीद से कहीं ज्यादा उत्पादन हासिल हो रहा है.
इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है, जहां की मिट्टी और जलवायु और उत्पादन के लिए सबसे अनुकूल मानी जाती है. इस लिस्ट में बिहार का नाम तीसरे नंबर पर है. गुजरात, मध्य प्रदेश और पंजाब के किसान भी भरपूर मात्रा में आलू उत्पादन ले रहे हैं.
अच्छी बात यह है कि कभी आलू की खेती पारंपरिक तरीकों से की जाती थी, जिससे फसलों में नुकसान देखने को मिलता था, लेकिन आज तमाम उन्नत तकनीकों और सही प्रबंधन के सहारे आलू का बंपर उत्पादन मिल रहा है.
These 6 states produce around 90% of potatoes in India (% to all India production):@saravanakr_n @KumarSarvjeet6@HorticultureBih#BiharAgricultureDept pic.twitter.com/WfVCLm2won
— Agriculture Department, Govt. of Bihar (@Agribih) January 24, 2023
विदेश चला देसी आलू
कृषि निर्यात के ताजा आंकड़ों की माने तो साल 2013-14 के दौरान भारत ने सिर्फ 77 करोड़ का आलू निर्यात किया था. धीरे-धीरे देसी आलू विदेशियों को पसंद आने लगा और अप्रैल-अगस्त 2022 में यही निर्यात 4.6 गुना बढ़ गया.
इस दौरान भारत ने 360 करोड़ रुपये का आलू विदेश में भेजा. इससे आलू उत्पादक किसानों को भी अच्छी कमाई हुई. यही वजह है कि रबी सीजन में किसान गेहूं और आलू के उत्पादन पर ज्यादा फोकस करने लगे हैं.
कौन सी हैं और उत्पादन की तकनीक
आधुनिकता के दौर में हमारी खेती किसानी भी एडवांस हो गई है. खेती में चुनौतियां कम नहीं हुई है, लेकिन इन चुनौतियों के साथ बेहतर उत्पादन लेना किसानों को आ गया है. हमारे कृषि वैज्ञानिक भी इस काम में पूरा सहयोग कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के कई किसान ऊंची मेड बनाकर आलू की खेती करते हैं, जिससे आलू की फसल में कीट-रोग लगने या नुकसान की संभावना कम हो जाती है. आलू उत्पादन की एयरोपॉनिक तकनीक विकसित कर ली गई है, जो मिट्टी के बिना ही आलू का उत्पादन देती है.
इस खेती से मिट्टी जनित रोगों की संभावना कम की जा सकती है, क्योंकि इस मॉडल में आलू के पौधों की रोपाई जमीन से कुछ ऊंचाई पर की जाती है. इस तरह आलू की जड़े हवा में लटकती रहती हैं.
जड़ों के बेहतर विकास के लिए पानी और पोषक तत्वों पहुंचाए जाते हैं, जो पैदावार बढ़ाने में अहम रोल अदा करते हैं. इसके अलावा वैज्ञानिक प्रबंधन से भी आलू का बेहतर उत्पादन हासिल करने में किसानों को खास मदद मिल रही है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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