Tree Business Idea: मानव जीवन में पेड़ों का बड़ा महत्व है. ये हमें ऑक्सीजन देकर वातावरण को बेहतर बनाते हैं. मौसम को बदलने में भी पेड़ों का अहम रोल है. आपने देखा होगा कि जहां जंगल होते हैं, वहां बारिश भी ज्यादा होती है. पेड़ लगाने से पर्यावरण को कई फायदे मिलते ही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि  पेड़ लगाकर आप पैसा भी कमा सकते हैं. जी हां, ये पेड़ हमारी ऑक्सीजन से लेकर फल, फूल, औषधि, रबड़, तेल, पशु चारा और लकड़ी तक की जरूरतों को पूरा करते हैं. घर में लगे दरवाजों से लेकर बेड, कुर्सी, टेबल समेत हर तरह के फर्नीचर अलग-अलग पेड़ों की लकड़ियों से ही तो बनाए जाते है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि फर्नीचर से भी ज्यादा खपत है माचिस की तीली और पेंसिल की, जो खास तरह की लकड़ी से बनते हैं.


जी हां, जहां पोपलर और अफ्रीकन ब्लैक वुड पेड़ से माचिस की तीली बनती है तो देवदार के पेड़ से पेंसिल बनाई जाती है. इन प्रजातियों के पेड़ ही किसानों को मोटा पैसा दिलवा सकते हैं. इन पेड़ों को लगाने के लिए पूरा खेत घेरने की जरूरत नहीं है, बल्कि खेत की बाउंड्री पर ये पेड़ लगा देंगे तो 10 से 12 साल के अंदर आप करोड़ों कमा सकते हैं. इतना ही नहीं, इन पेड़ों की छाया में आप सब्जियां और औषधी उगा सकते हैं, जिनकी हमेशा बाजार में मांग रहती है. इस तरह अतिरिक्त पैसा कमाने में भी खास मदद मिलेगी. 


माचिस के लिए पोपलर का पेड़
इन दिनों कई राज्यों में पोपलर के पेड़ लगाने का चलन बढ़ गया है. किसान अब एक हेक्टेयर खेत में पोपलर के पेड़ लगाकर साथ में सब्जियों की खेती करते हैं, जिससे पेड़ की खेती में अलग से खर्च नहीं करना पड़ता. बता दें कि पोपलर के पेड़ का इस्तेमाल कागज निर्माण से लेकर हल्की प्लाईवुड, चॉप स्टिक्स, बॉक्सेस, माचिस  बनान में भी किया जाता है.


ये पेड़ 5 डिग्री से लेकर 45 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी में खूब पनपता है, जिसके बीच में गेंहू, गन्ने, हल्दी, आलू, धनिया, टमाटर  के अलावा हल्दी, अदरक जैसे तमाम औषधीय फसलें उगा सकते हैं. बाजार में  पोपलप वुड 700 से 800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिकती है.


इस पेड़ से बना एक ही लट्ठ 2,000 रुपये में बिक रहा है. किसान चाहें तो एक हेक्टेयर खेत में 250 पोपलर के पेड़ लगा सकते हैं. इससे 10 से 12 लाख बाद को मोटी कमाई होगी ही, बीच-बीच में अतिरिक्त आमदनी भी हो जाएगी.


पेसिंल के लिए देवदार का पेड़
बचपन में हर किसी ने पेंसिल से अपनी लिखाई चालू की है. पेंसिल में जो जो लकड़ी है, वो जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और ज्यादा हिमालय की सीमा से सटे राज्यों से आती है. देवदार यानी सिड्रस देवदार, जो 3500 से 12000 की ऊंचाई पर ही उगाया जा सकता है, वही पेंसिल की लकड़ी का मेन सोर्स है.


देवदार की लकड़ी का इस्तेमाल बेशकीमती फर्नीचर और इसकी पत्तियों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधी के तौर पर किया जाता है. इसके अलावा,  टीक, रेड सिडार,आबनूस की लकड़ी से भी पेंसिल बनाई जाती है.


बबूल का पेड़
गांव में बबूल का पेड़ आसानी से देखने को मिल जाएगा. इसकी पतली टहनियों में कांटे होते हैं, जिन्हें हटाकर दातून के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. अब तो बबूल की संख्या कम होती जा रही है, लेकिन पुराने समय से ही बबूल को सबसे मजबूत लकड़ी वाला पेड़ भी मानते हैं.


इससे पुराने जमाने में लकड़ी के बड़े-बड़े दरवाजे, सुंदर और आकर्षक फर्नीचर और कच्चे घरों का छप्पर भी बनाया जाता था. आज भी इसकी काफी उपयोगिता है. बता दें कि बबूल की लकड़ी सूखने के बाद काफी सख्त हो जाती है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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