Millets Farming in Odisha: दुनियाभर में साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के तौर पर मनाया जाएगा. भारत में इसको लेकर तैयारियां चल रही हैं. आम जनता को मोटे अनाज से अवगत कराने के लिए जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. किसानों को भी गेहूं-धान के साथ-साथ पोषक अनाजों की खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इस काम में महिलाओं का अहम योगदान है. आज महिलायें रसोई में पोषक अनाजों के व्यंजन बनाने से लेकर मोटे अनाजों की प्रोसेसिंग करके खाद्य पदार्थों का निर्माण कर रही हैं. राज्यों में भी पोषक अनाजों को लेकर जागरुकता फैलाई जा रही है.


इसी कड़ी में 'उड़ीसा मिलिट मिशन' चलाया जा रहा है. इस योजना से जुड़कर उड़ीसा की जनजातीय महिलाओं ने पोषक अनाजों की खेती करके बड़ा मुकाम हासिल किया है. उड़ीसा मिलिट मिशन के तहत रागी, फॉक्सटेल, ज्वार, कोदो जैसे तमाम मोटे अनाजों की खेती की जा रही है. इतना ही नहीं, ये जनजातीय महिलाओं और किसानों की ही मेहनत का ही नतीजा है कि आज रागी उत्पादन को लेकर उड़ीसा पहले स्थान पर है. 


उड़ीसा मिलिट मिशन
उड़ीसा मिलिट मिशन की शुरुआत तो एक सरकारी योजना के तौर पर हुई थी, जिसका उद्देश्य पोषक अनाजों की खेती कर उत्पादन बढ़ाना और दोबारा प्रचलन में लाना था, लेकिन आज ये मिशन आत्मविश्वास और सशक्तिकरण का मिशन बन चुका है, जिससे जुड़कर उड़ीसा की महिलायें आत्मनिर्भर बन रही है और अच्छी आजीविका कमा रही हैं.


जानकारी के लिए बता दें कि उड़ीसा मिलिट मिशन के तहत शुरुआत में उड़ीसा के 14 जिलों में बड़ी जनजातीय आबादी वाले 72 ब्लॉकों को कवर किया गया. इस योजना को अगले 4 साल में किसानों का खूब समर्थन मिला और इस मिशन ने 15 जिलों के 84 ब्लॉकों, 1,510 ग्राम पंचायतों, 15 हजार 608 गाँवों और एक लाख 10 हजार 448 किसानों को कवर कर लिया.


मयूरभंज में रिकॉर्ड उत्पादन
मयूरभंज को उड़ीसा की तीसरी सर्वाधिक आबादी वाला जिला कहते हैं. उड़ीसा मिलिट मिशन के तहत मयूरभंज को भी कवर किया गया. बाकी जिलों के मुकाबले मयूरभंज के जलजातीय इलाकों से सबसे अच्छे परिणाम सामने आये. यहां के किसानों के साथ-साथ जनजातीय महिलाओं ने भी मोटे अनाजों की खेती के साथ-साथ प्रोसेसिंग में अपना योगदान दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2019 के बाद मयूरभंज में मोटे अनाजों की खेती करने वाली महिलाओं की संख्या 104% तक बढ़ गई है.


इस इलाके में ज्यादातर जमीनें बंजर और अनुपयोगी ही पड़ी रहती थीं, लेकिन मोटे अनाजों की खेती के बारे में जागरुकता बढ़ने के बाद खुद जनजातीय महिलाओं ने इस बंजर जमीन पर खेती करने का मन बनाया और आज यहां की अधिकतर जमीनें मोटे अनाजों की फसल से लहलहा रही हैं. 


52,000 हेक्टेयर पर मोटे अनाज की कवरेज
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आज उड़ीसा मिलिट मिशन 19 जिलों में 1.2 लाख से अधिक किसान मोटे अनाजों की खेती कर रहे हैं. राज्य में पोषक अनाजों की खेती का रकबा भी बढ़कर 52000 हेक्टेयर हो गया है. उड़ीसा का मयूरभंज एक जनजातीय बहुल जिला है, यहां करीब 58% से अधिक जमीन पर जनजातीय आबादी रहती है.


पिछले 3 सालों में अकेले मयूरभंज में मोटे अनाजों की खेती का रकबा 778.98 हेक्टेयर से बढ़कर साल 2022 में 1690.5 हेक्टेयर पर पहुंच गया है. इतना ही नहीं, उड़ीसा की राज्य सरकार भी किसानों को जमकर प्रोत्साहन दे रही है. सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2021-22 के तहत किसानों से 3,415 क्विंटल मोटा अनाज खरीदा, जिससे अकेले मयूरभंज के किसानों को 1 करोड़ 15 लाख रुपये की आमदनी हुई.


आत्मनिर्भर बनी महिलायें
उड़ीसा में मोटे अनाजों की खेती करने वाले किसानों की संख्या काफी ज्यादा है. इसमें  महिला किसानों की तादाद ज्यादा है ही, पिछले कुछ सालों में बढ़ी भी है. खासकर मयूरभंज जिले में साल 2019 से 2022 के बीच करीब 104% अधिक महिलाओं ने मोटे अनाजों की खेती की तरफ रुख किया है. यहां की ज्यादातर महिलायें अपनी आजीविका के लिए अब बाजरे की खेती निर्भर है. कई रिपोर्ट्स से यह साबित होता है कि उड़ीसा मिलिट मिशन से पहले मयूरभंज के जनजातीय इलाकों में महिलाओं की स्थिति और किसानों की दशा कुछ ज्यादा अच्छी नहीं थी.


यहां खेती के लिए सरकार ने ही देसी बीज उपलब्धत करवाये, जिसके बाद महिलाओं से खुद से बीज उत्पादन और संरक्षण करके मोटे अनाजों की खेती को इस मुकाम तक पहुंचा दिया है. आज मयूरभंज की जनजातीय महिलाओं के जीवन शैली में भी काफी सुधार आया है. अब यह महिलाएं खेती के साथ-साथ प्रसंस्करण करके अच्छी आजीविका कमा ही रही हैं, साथ ही अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा दिला रही हैं. इन महिलाओं ने आज चारागाह जमीन को भी पोषक अनाजों की खेती से कवर कर लिया है.  


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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