Farming: पोषक तत्वों से है भरपूर, कमाई जोरदार... किसान भाई इस खेती की बुवाई करके तो देखें
देश में शलजम की बुवाई हो रही है. शलजम को सर्दी की फसल के तौर पर ही जाना जाता है. किसान इसकी बुवाई कर लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं.
Turnip Farming In India: देश में रबी सीजन की बुवाई चल रही है. अधिकांश हिस्सों में फसलों की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है. जिन जगहों पर बुवाई अभी रह गई है. किसान तेजीे से अपनी फसलों की बुवाई करने में लगे हुए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि खेतों में किसान पारंपरिक उपज को तरजीह देते हैं. लेकिन उन्हें पारंपरिक से अलग दूसरी खेती भी करने की जरूरत है. किसान इनकी बुवाई कर मोटी कमाई कर सकते हैं. आज ऐसी ही खेती शलजम के बारे में बताने जा रहे हैं. जो लोगों की सेहत का ख्याल रखती है, साथ ही सूझबूझ से करने पर किसान को मालामाल भी बना देती है.
इस तरह करें शलजम की खेती
शलजम की खेती समशीतोष्ण, उष्ण कटिबंधीय और उप उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बोई जाती है. हालांकि इन्हें सामान्य भूमि में भी किसान बुआई कर लेते हैं. शलजम की खेती करने से पहले खरपतवार का विशेष ध्यान रखें. पहले 10 से 15 दिन खेत को साफ कर लें. अगर अधिक क्षेत्र में शलजम की खेती की जा रही है तो खरपतवार पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है. यह फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाती है. इसके अलावा विशेषज्ञों की राय पर पेंडीमेथलिन 3 लीटर की मात्रा को 800 से 900 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव किया जा सकता है.
शलजम को रोगों से बचाएं
शलजम की खेती को कीट और रोगों से बचाया जाना बहुत जरूरी है. शलजम में अंगमारी, पीला रोग जैसे फफूंद लग जाते हैं. फसल में कीटनाशक दवा का छिड़काव कर दें. यदि कोई पौधा रोगी हो चुका है तो उसे जड़ से उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए. इसके अलावा शलजम में गलन रोग भी देखने को मिलता है. इसके लिए विशेषज्ञ से राय लेकर बुवाई से पहले थीरम 3 ग्राम से प्रति किलो छिड़काव कर देना चाहिए. बुवाई के बाद नया पौधा निकल आए तो आस-पास की मिट्टी में कप्तान 200 ग्राम को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे कर दें.
इन रोगों से करें बचाव
शलजम की फसल पर मुंगी, माहू, सुंडी, बालदार, कीड़ा और कीट आक्रमण करते हैं. कीटों से बचाव के लिए 700 से 800 लीटर पानी में 1 लीटर मैलाथियान को डालकर खेत में छिड़काव कर दें. इसके अलावा 1.5 लीटर एंडोसल्फान की मात्रा को उतने ही पानी मिलाकर छिड़काव कर देना चाहिए. यह मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से करें.
इतने दिन में तैयार हो जाती है फसल
शलजम 45 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है. शलजम की खुदाई को समय रहते कर लें. यदि खुदाई में देरी हो तो शलजम में रेशे हो जाते हैं. इससे यह खाने में उतने स्वादिष्ट नहीं लगते. खुदाई के बाद शलजम को धो लें. बाद में उन्हें टोकरी में भरकर मंडी भेज दें. मंडी में किसानों को शलजम के मोटे दाम मिलते हैं.
इतनी पोषक होती है शलजम
सर्दियों में होने वाली शलजम की खेती पोषक तत्वों से भरी होती है. शलजम जड़ में लगती है. इसलिए इसकी जड़ और पत्ते ही उपयोगी होते हैं. इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, कैलशियम आदि भरपूर होते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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