Co-cropping farming of Tur & Turmeric: किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिये खेती-किसानी में नये प्रयास किये जा रहे हैं. इस बीच किसानों को खेती की उन तकनीकों (New Farming Techniques) से जोड़ा जा रहा है, जिनमें कम मेहनत करके खर्चा भी बचा सके और अच्छा उत्पादन भी ले सके, इसलिये किसानों को सह-फसल खेती (Co-cropping Farming) करने की सलाह दी जाती है.


इस सीजन में किसान चाहें तो हल्दी की फसल के साथ अरहर की सह-फसल खेती (Intercropping of Tur And Turmeric) भी कर सकते हैं. इन दोनों ही फसलों की बाजार में काफी डिमांड रहती है, लेकिन आपूर्ति काफी कम है. ऐसे में ये दोनों ही फसलें किसानों को अच्छा मुनाफा कमाकर दे सकती है.


हल्दी की फसल को मिलेगा पोषण
जिन किसानों ने खरीफ फसल चक्र के दौरान हल्दी की रोपाई का काम किया था, वे फसल में निराई-गुड़ाई करके अरहर की खेती का काम कर सकते हैं. बता दें कि अरहर एक दलहनी फसल है, जो वातावरण से नाइट्रोजन ग्रहण करके मिट्टी और दूसरे पौधों में इसका संचार बढ़ाती है.


इस तरह मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है और अरहर के साथ अंतरवर्तीय फसल की गुणवत्ता-पैदावार में भी बढत होती है. बता दें कि एक ही खेत में हल्दी के साथ-साथ अरहर की सह-फसल खेती करके प्रति हेक्टेयर खेत से 16 से 20 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं. 


अरहर की नर्सरी करें
अरहर और हल्दी की अंतरवर्तीय खेती करने के लिये हल्दी के कंदों की रोपाई के बाद अरहर के उन्नत किस्म के बीजों से नर्सरी में पौधे तैयार किये जाते हैं. 



  • इसके लिये 6 X 4 इंच के छोटे पॉलीबैग में 1 भाग मिट्टी, 1 भाग रेत और 1 भाग कंपोस्ट या गोबर की अच्छी सड़ी खाद का मिश्रण भर दें.

  • इस पॉलीबैग में बीज डालने से पहले 3-4 छेद बनायें और हल्की सिंचाई का काम कर दें, जिससे बीजों का अंकुरण हो सके.

  • इस तरह सिर्फ 30 दिन में ही अरहर के पौधे भी खेतों में रोपाई के लिय तैयार हो जायेंगे.


हल्दी के बीच अरहर की बुवाई
इन दोनों फसलों की अंतरवर्तीय खेती के लिये पहले से ही हल्दी के कंदों को उभरी हुई क्यारियों या मेड़ों पर बोया जाता है. इसके लिये लाइन और पौधों के बीच 30 सेंमी. की दूरी रखते हैं. इसके बाद अरहर की 30 दिन की पौध को उसी खेत में लाइन और पौधों के बीच 2 मीटर की दूरी रखकर रोपाई की जाती है.


पोषण प्रबंधन और देखभाल
हल्दी और अरहर की अंतरवर्तीय खेती (Intercropping of Tur And Turmeric) के दौरान मिट्टी की जांच के अनुसार संतुलित खाद और उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिये.



  • हल्दी के साथ-साथ अरहर की फसल (Tur & Turmeric Crop Management) में एक साथ निराई-गुड़ाई, पोषण प्रबंधन और जैविक कीट नियंत्रण का कार्य करें.

  • अरहर की रोपाई (plantation of Tur)  के 20 से 25 दिनों के अंदर पौधों से शीर्ष कलिकाओं को हटा दें. इसके बाद दोबारा 20-25 दिनों बाद पौधों की शाखाओं की कलिकाओं को तोड़ देना चाहिये.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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