Sugarcane Farming: किसानों के जीवन में मिठास घोलेंगी गन्ना की दो नई किस्में, अधिक उपज के लिये अपनायें ये उपाय
New Varieties of Sugarcane: इनमें को.शा.17231 और यू.पी.14234 शामिल है, जो गन्ना किसानों के जीवन में मिठास भरेंगी ही. साथ ही फसल में सही प्रबंधन के जरिये चीनी की परत और उपज को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
Sugarcane Cultivation: उत्तर प्रदेश के ज्यादातर किसान बड़े पैमाने पर गन्ना की खेती (Sugarcane Farming) करते हैं, लेकिन फसल में लाल सड़न रोग जैसी बीमारियों के कारण गन्ने की उपज (Sugarcane Production)कम हो जाती है और बाजार में उसका सही दाम नहीं मिल पाता. इसी स्थिति को संज्ञान में लेते हुये इस साल किसानों को गन्ना की पी.के.05191 (Sugarcane PK 0519) किस्म की खेती ना करने की सलाह दी जा रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लाल सड़न रोग (Red Rot Disease in Sugarcane) के कारण इस साल पी.के.05191 किस्म की बुवाई-रोपाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसी के साथ गन्ना की दो नई किस्में (New Varieties of Sugarcane) भी लॉन्च की गई है, जिनसे चीनी का उत्पादन (Sugar Production) बढेगा और किसानों की कमाई में इजाफा होगा.
चीनी की परत बढ़ायेंगी नई किस्में
दरसअल बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृति उपसमिति ने उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए दो नई किस्में को स्वीकृति प्रदान की है. इन किस्मों में को.शा.17231 एवं यू.पी.14234 शामिल है. ये किस्में ना सिर्फ गन्ना किसानों के जीवन में मिठास भरेंगी, बल्कि फसल में सही प्रबंधन के जरिये चीनी की परत और उत्पादन बढ़ाने में भी बढोत्तरी होगी.
लाल सड़न रोग से मिली मुक्ति
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऊसर यानी बंजर जमीन पर भी गन्ना की किस्म यू.पी.14234 से खेती करने पर बंपर मात्रा में उत्पादन मिलेगा. इस प्रकार उत्तर प्रदेश के कम उपजाऊ इलाकों में भी ये किस्म अपना जलवा बिखेरेगी. इसके अलावा संसाधनों की कमी वाले इलाकों में भी किसान यू.पी. 14234 से गन्ना का बेहतरीन उत्पादन ले सकेंगे.
वहीं गन्ना की दूसरी नई किस्म को.शा.17231 गन्ना एक रोगरोधी किस्म है, जिस पर लाल सड़न रोग का कोई असर नहीं पडेगा. इस किस्म से अच्छी लंबाई और मोटाई वाले गन्ने का उत्पादन मिलेगा ही, साथ में अच्छी पेड़ी उत्पादन क्षमता के कारण को.शा.17231 किस्म का गन्ना किसानों की जेबें भरने में भी मददगार साबित होगा.
इन उपायों से मिलेगा बेहतर उत्पादन
अकसर गन्ना की फसल में बीमारी और आर्द्रता के कारण ही कीट और बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है. ऐसी स्थिति में उचित दूरी बनाये रखकर ही गन्ना की बुवाई या रोपाई करनी चाहिये, ताकि पौधों में हवा का संचार हो सके.
- इसके अलावा गन्ना के खेतों में जल निकासी की व्यवस्था भी की जाती है, ताकि जड़ों में पानी का जमाव ना हो और फसल सुरक्षित खड़ी रहे.
- अकसर तेज हवा और आंधी के कारण गन्ना की फसल गिर जाती है और उत्पादन प्रभावित होता है.
- ऐसी स्थिति में तीन फीट की दूरी पर रोपे गये गन्ने की सूखी एवं कुछ हरी पत्तियों से रस्सी बनायें और दो लाइनों के गन्ना की बंधाई का काम करें.
- इस तरह तेज हवा या आंधी बीच के खाली स्थान से पार हो जाती है और फसल के गिरने की चिंता नहीं रहती.
- गन्ना के बेहतर उत्पादन के लिये पोषण प्रबंधन (Crop Management in Sugarcane)भी बेहद जरूरी है, इसलिये प्रति हेक्टेयर फसल में 150 किग्रा नाइट्रोजन, 85 किग्रा स्फुर और 60 किग्रा पोटाश से भरपूर खाद को बुवाई से पहले खेतों में डालना चाहिये.
- इसके अलावा कार्बनिक पदार्थों से भरपूर वर्मी कंपोस्ट (Vermi Compost for Sugarcane Farming) का इस्तेमाल करने पर भी फसल को मजबूती मिलती है और कीट-रोगों की संभावना भी कम हो जाती है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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