Water Conservation in Rajasthan: आज लगभग पूरी दुनिया पानी की कमी से जूझ रही है. कृषि क्षेत्र पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. लगातार गिरते भूजल स्तर के कारण फसलों का उत्पादन लेना मुश्किल होता जा रहा है. ग्रामीण आबादी पर इसका सबसे बुरा असर पड़ता है. इन समस्याओं के समाधान के तौर पर सरकारें लगातार जल संग्रहण और संरक्षण के लिये काम कर रही हैं. इसी कड़ी में अब राजस्थान सरकार भी जल्द ग्रामीण और किसानों को राहत पहुंचाने का काम करेगी.
रिपोर्ट्स के अनुसार, राजस्थान सरकार जल्द ही राजीव गांधी जल संचय योजना के द्वितीय चरण की बैठक में अहम फैसले लिये गये हैं. मुख्य सचिव ने भी 352 पंचायत समितियों के 4,500 गांवों में 2 लाख जल संग्रहण एवं संरक्षण (Water Conservation in Rajasthan) कार्यों को दोबारा शुरू करने के संकेत दिये हैं. इसके लिये राज्य सरकार 2,600 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इस योजना के पहले चरण में भी वर्षा जल संग्रहण कार्यों से भूजल स्तर में सुधार आया है. साथ ही समय पर किसानों को खेती के लिये पानी की आपूर्ति भी हुई.
द्वितीय चरण में होंगे ये काम
कुछ दिन पहले ही ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग की प्रमुख शासन सचिव अर्पणा अरोरा ने राजीव गांधी जल संचय योजना को राजस्थान में वर्षा जल का ज्यादा से ज्यादा संग्रहण, संरक्षण और उपलब्ध जल का सही इस्तेमाल करने के लिए लागू किया था. उन्होंने बताया था कि द्बितीय चरण का प्रमुख उद्देश्य आम जनता से चर्चा कर प्राथमिकता से पक्के एनीकट, एमआईटी, डब्ल्यूएचएस एवं एमएसटी का निर्माण कराना, विभिन्न वित्तीय संसाधनों का कन्वर्जेन्स कर पुराने पेयजल और जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करना है.
- अब इस योजना के दूसरे चरण में ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी की समस्या दूर करने, भू जल स्तर में सुधार, वर्षा जल संग्रहण, मिट्टी के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाई जायेगी.
- इसके प्रसार-प्रचार के लिये ज्यादा से ज्यादा गांव के लोगों को जोड़ा जायेगा. साथ ही जल संग्रहण से लेकर क्षेत्र उपचार, फार्म पॉण्ड्स, छोटे बांध, नाला उपचार, माईक्रोस्टोरेज टैंक, सिंचाई परियोजनाओं की मरम्मत, नवीनीकरण, चारागाह विकास, वृक्षारोपण के साथ सूक्ष्म सिंचाई अपनाने के लिये भी किसान को प्रेरित किया जायेगा.
बंजर जमीन पर आयेगी बहार
राजीव गांधी जल संचय योजना (Rajiv Gandhi Jal Sanchay Yojana) के तहत राजस्थान में जल संरक्षण और संग्रहण का काम किया जाता है. इसका सबसे ज्यादा लाभ कृषि क्षेत्र को मिलता है, क्योंकि फसलों से बेहतर उत्पादन के लिये ही पानी की सबसे ज्यादा खपत होती है, लेकिन इस पानी के सही इस्तेमाल से कृषि की लागत कम, उत्पादन में बढोत्तरी और बंजर भूमि को भी दोबारा उपजाऊ बनाया जा रहा है. इससे किसानों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति को भी मजबूती मिल रही है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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