Budget Expectation: भारत हमेशा से यह कृषि प्रधान देश रहा है. यहां की 60% से भी ज्यादा आबादी अपनी आजीविका के लिए खेती किसानी पर निर्भर करती है. अब नौकरी-पेशे वाले लोग भी खेती-किसानी से जुड़ते जा रहे हैं. पिछले कुछ सालों में सरकार का फोकस भी है. कृषि और किसानों की ओर बढ़ा है. कोरोना महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया खाद्य संकट से जूझ रही थी, उस समय भारत में ना जाने कितने ही देशों के खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित की. उसी समय आत्मनिर्भर भारत का भी नारा दिया गया और किसानों को आत्मनिर्भर कृषि से जोड़ने की कवायद चालू हुई. फिलहाल, सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है, जिसके लिए तमाम आवश्यक कदम भी उठाए जा रहे हैं.
छोटे किसानों को सालाना 6,000 रुपये की सहायता राशि दी जा रही है, जिससे उन्हें आर्थिक सशक्तिकरण मिल सके. किसानों को सस्ती दरों पर लोन और कृषि कार्यों के लिए सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जा रही है, जिससे खेती की लागत को कुछ हद तक कम किया जा सके.
बेशक, अभी भी किसानों की आय बढ़ाने के रास्ते में कई चुनौतियां हैं, जो कृषि के विकास में बाधा बन रहे हैं. पूरे कृषि क्षेत्र को उम्मीद हैं कि आने वाले बजट से कई चुनौतियों को सरकार दूर करेगी. साथ ही, कृषि क्षेत्र के विकास-विस्तार और किसानों के कल्याण के लिए सरकार को बड़े ऐलान भी करेगी.
क्या कृषि इनपुट पर कट जाएगी जीएसटी?
पिछले कई सालों से महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है. कृषि क्षेत्र पर भी इसका बुरा असर पड़ा है. खेती-किसानी में इस्तेमाल होने वाले इनपुट पर जीएसटी भी काफी लगती है, जो अनुदान की रकम से कवर नहीं होती. उदाहरण के लिए- हैंड पंप, वाटर पंप, खेती की मशीनें, कंपोस्ट मशीन, ट्रेलर समेत कई कृषि इनपुट पर 2.5% से 28% की दर से तक जीएसटी लागू है. किसान और किसान उत्पादक संगठनों ने सरकार से कई बार मांग की है कि इस जीएसटी की दरों को कम कर दिया जाए, जिससे उत्पादन की लागत कम हो और इनकम बढ़ सकें.
इसलिए बजट में क्या कुछ था खास?
जानकारी के लिए बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए करीब 1.24 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया था, जिसे वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़ाकर 1.40 करोड़ रुपये कर दिया गया. कृषि क्षेत्र के विकास-विस्तार के लिए सरकार लगातार बजट को बढ़ा रही है.
कृषि में नए मॉडल प्रस्तुत किए जा रहे हैं. इसी तर्ज पर 1 फरवरी को पेश होने वाले कृषि बजट में भी 20 से 25 फीसदी का इजाफा होने की उम्मीद की जा रही है. यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि आज पूरी दुनिया की नजर भारत के कृषि क्षेत्र पर है.
हमारा कृषि क्षेत्र लगातार सफलता की सीढ़ियां चल रहा है. पहले से काफी मजबूत बनकर भी उभर रहा है. इसमें चुनौतियों को कम करने और किसानों को राहत प्रदान करने के लिए बजट में इजाफा करने की आवश्यकता है.
क्या ग्रीन एनर्जी पर रहेगा फोकस?
देश में बिजली का खर्चा बचाने और बिजली उत्पादन के गरीब किसानों की आय बढ़ाने के लिए ग्रीन एनर्जी पर फोकस किया जा रहा है, क्योंकि कृषि क्षेत्र में कुल खपत की 20% बिजली का इस्तेमाल होता है, जिसके बदले में ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल से बिजली का खर्च कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि किसान अपनी बिजली बचाकर अच्छी आय भी ले पाएंगे.
यही वजह है कि सरकार हाइड्रोइलेक्ट्रिक, विंड पावर, सोलर एनर्जी को बढ़ावा दे रही है. किसानों को सोलर एनर्जी से जोड़ने के लिए पीएम कुसुम योजना जैसी स्कीम भी चलाई जा रही हैं. इस बजट से उम्मीद की जा रही है कि ग्रीन एनर्जी वाले किसानों के लिए इंसेंटिव का भी ऐलान हो, ताकि किसानों का रुचि बढ़ सके.
लोन और सब्सिडी में भी राहत की उम्मीद
छोटे सीमांत और सीमित आय वर्ग के किसानों को तमाम आर्थिक चुनौतियों से गुजरना पड़ता है, हालांकि सरकार ने सस्ती ब्याज दरों पर केसीसी लोन और फसलों की आर्थिक सुरक्षा की गारंटी के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई है.
एक तरफ किसान क्रेडिट कार्ड पर सीमांत किसानों को 10,000 से 50,000 तक का सस्ती दरों पर लोन दिया जाता है तो वहीं फसल बीमा योजना के तहत छोटी जोत वाले किसानों को भी फसल सुरक्षा की गारंटी दी जाती है.
पिछले साल पीएमएफबीवाई में छोटे किसानों को बेहद कम मुआवजा मिला, जो सुर्खियों में बना रहा. इन घटनाओं के मद्देनजर अटकलें लगाई जा रही हैं कि सरकार छोटी जोत वाले किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कुछ अहम बदलाव कर सकती है.
बजट में इसके लिए खास प्रावधान हो सकता है. वहीं केसीसी लोन में भी लिमिट बढ़ाने का अनुमान है, जिससे कि इसका लाभ ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंच सके और किसानों को कम चिंता में आय बढ़ाने में मदद मिले.
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