Fish Farming Scheme: आज के समय में सिर्फ धान-गेहूं की खेती करके अच्छा पैसा नहीं कमा सकते, इसलिए खेती करे साथ-साथ दूसरी गतिविधियों से भी जोड़ा जा रहा है. वैसे तो गांव में पशुपालन भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है, लेकिन इन दिनों मछली पालन काफी चर्चाओं में बना हुआ है. आज कई किसान तालाब बनाकर या ​हैचरी विधि से भी मछली पालन कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसानों ने अतिरिक्त आमदनी के लिए मछली पालन को अपनाया है. इसके लिए सरकार की तरफ से 60% सब्सिडी मिल ही जाती है, किसानों को हैचरी विधि से मछली पालन के लिए पंप सेट, बीज उत्पादन यूनिट, दवा, उर्वरक, मछली दाना, बीज आदि पर भी आर्थिक सहायता मिल रही है. 


उत्तर प्रदेश में मछली पालन 
मछली की बढ़ती डिमांड के बीच अब मैदानी इलाकों में भी मछली पालन का ट्रेंड चलन बढ़ रहा है. उत्तर प्रदेश में भी कई किसानों ने खेती के साथ-साथ मछली पालन को बिजनेस के तौर पर अपनाया है. इस बीच कई किसान ऐसे भी है जो 15 लाख तक की आमदनी ले रहे हैं. किसानों के लिए यह काम आसान बनाने के लिए सरकार भी भरपूर सहयोग कर रही है.


रिपोर्ट्स की मानें तो नदियों में पर्यावरण संरक्षण में मददगार मछलियों की प्रजातियों को सरकार अच्छे दामों पर खरीदती है. इनमें मछली की सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प और नैन, कतला, रोहू जैसी प्रजातियां शामिल है. किसान चाहें एक हेक्टेयर तालाब से सालाना लाख तक कमा सकते हैं. इसके अलावा, खेती से भी हर सीजन में अच्छा मुनाफा मिल जाता है. 


कितना पैसा लगेगा
अगर खेती के साथ-साथ मछली पालन करना चाहते हैं तो मत्स्य विभाग आपका पूरा सहयोग करेगा. मछली पालन में लागत को लेकर नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड की ताजा रिपोर्ट बताती है कि 20,000 किलोग्राम क्षमता वाले फिश टैंक या तालाब बनाने पर 20 लाख रुपये तक का खर्चा आ सकता है, हालांकि किसान कम से कम में मछली पालन के लिए ​हैचरी और ज्यादा से ज्यादा एरिया को मछली पालन से कवर करने के लिए तालाब बनवा सकते हैं.


मछली पालन का मुनाफा पूरी तरह यह बाजार की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है. इस बीच अगर किसान को सही बाजार मिल जाए तो विदेशों तक भी मछलियां निर्यात कर सकते हैं. इन दोनों ही ई-नाम ऑनलाइन ट्रेडिंग पोर्टल पर भी मछलियों का व्यापार हो रहा है. इस तरह से देखा जाए तो क्षेत्र में अच्छी सफलता के आसार है.


इस तरह मिलता है फायदा
बेशक मछली पालन की शुरुआत में अच्छी-खासी लागत आती है, लेकिन उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए सरकार सब्सिडी भी दे रही है. केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना भी चलाई है, जिसके तहत मछुआ, मछली पालन ,मछली विक्रेता और मछली क्षेत्र के स्वयं सहायता समूह को आर्थिक मदद दी जाती है. ये राशि सीधा बैंक में ट्रांसफर कर दी जाती है. इतना ही नहीं, जो किसान खेती के साथ-साथ मछली पालन करने के इच्छुक होते हैं, उन्हें मत्स्य विभाग की तरफ से वैज्ञानिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है. 



  • इस योजना के तहत महिला, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लाभार्थियों को 60% तक अनुदान दिया जाता है.

  • वहीं सामान्य वर्ग के किसानों के लिए 40% तक अनुदान का प्रावधान है.

  • अधिक जानकारी के लिए  https://dof.gov.in/pmmsy पर भी विजिट करके आवेदन कर सकते हैं.

  • इस योजना के तहत निजी भूमि पर तालाब बनवाने वाले लाभार्थियों को अनुदान दिया जाता है. 

  • सरकार की तरफ से अधिकतम 2 हेक्टेयर के लिए अनुदान मिलता है.

  • प्रति हेक्टेयर को कवर करने के लिए 7 लाख रुपये तक की आर्थिक मदद मिल जाती है.


मछली किसान क्रेडिट कार्ड
मछली पालन में आर्थिक मदद के लिए पीएम मत्स्य संपदा योजना चलाई जा रही है, लेकिन अब मछली पालन के अतिरिक्त खर्चों के लिए मछली किसान क्रेडिट कार्ड भी बनवा सकते हैं. यह किसान क्रेडिट कार्ड की तरह ही है, जिसमें अब सरकार ने पशुओं, मछली पालकों और मधुमक्खी पालकों को भी जोड़ा है. बता दें कि मछली किसान क्रेडिट कार्ड पर लाभार्थियों को 1 लाख 60 हजार रुपये तक का बिना गारंटी का लोन दिया जाता है. कोई भी किसान इस क्रेडिट कार्ड पर अधिकतम 3 लाख रुपये का लोन ले सकता है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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