Animal Husbandry in UP: भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और भी मजबूत बनाने में पशुपालन और डेयरी फार्मिंग ने भी अहम भूमिका अदा की है. इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार कई योजनाएं चला रही है. राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर काम कर रही हैं. नई तकनीकों का सहारा लेकर पशुपालन को और भी आसान बनाया जा रहा है. इसी कड़ी में अब यूपी सरकार भी आगे आई है. योगी सरकार ने राज्य में प्रतिदिन दूध उत्पादन को 60 लाख लीटर तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.


इन दिनों राज्य में 90 लाख लीटर प्रति दिन दूध उत्पादन मिल रहा है, जिसे बढ़ाकर 150 लाख लीटर प्रति दिन तक ले जाने की योजना है. इसके लिए योगी सरकार ने 100 दिवसीय कृत्रिम गर्भाधान अभियान (Artificial Insemination Drive) चलाने की योजना बनाई है, जो 15 नवंबर 2022 से लेकर 25 फरवरी 2023 तक चलेगा. ये अभियान बाराबंकी से शुरू होकर राज्य के 75 जिलों को कवर करेगा. इस अभियान के तहत 100 दिन के अंदर ​दुधारू पशुओं (गाय-भैंस) के 75 लाख कृत्रिम गर्भाधान पर काम किया जाएगा. 


कृत्रिम गर्भाधान से बढ़ेगा दूध
आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित आजादी के अमृत महोत्सव के तहत कृत्रिम गर्भाधान के जरिए मवेशियों  की संख्या और दूध उत्पादन बढ़ाने पर फोकस रहेगा. इस 100 दिवसीय अभियान को लेकर पशुपालन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रजनीश दुबे ने कहा है कि इस अभियान हम अच्छे परिणामों की उम्मीद कर रहे हैं. वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि इस परियोजना के तहत 30 लाख तक सफल कृत्रिम गर्भाधान से गाय-भैंस की आबादी बढ़ेगी, परिणामस्वरूप दूध उत्पादन में वृद्धि हो सकेगी.


बता दें कि उत्तर प्रदेश को भारत का सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य कहते हैं, जहां से कुल दूध उत्पादन का 16% हिस्सा प्राप्त होता है, हालांकि प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता अभी भी कम है. यहां राष्ट्रीय औसत दूध उपलब्धता 400 ग्राम के मुकाबले 384 ग्राम की उपलब्धता है. इस अभियान को लेकर पशुधन विकास बोर्ड (Livestock Development Board) के कार्यकारी अधिकारी अरविंद सिंह ने बताया कि यूपी सरकार के इस अभियान से दूध उत्पादन में तेजी आएगी. इस परियोजना के तहत पशुपालकों के दरवाजे पर ही नि:शुल्क सेवा प्रदान करने का प्रावधान है.


बढ़ेगी मवेशियों की आबादी
उत्तर प्रदेश में दूध उत्पादन और मवेशियों की आबादी बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम चलाया जाएगा, जो 'राष्ट्रीय गोकुल मिशन' (National Livestock Mission) का हिस्सा है. दिसंबर 2014 में शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य सिर्फ दूध उत्पादन और देसी मवेशियों की आबादी बढ़ाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कृत्रिम गर्भाधान के जरिए देसी पशुओं का संरक्षण और संवर्धन करना भी इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है.


आंकड़ों के ​मुताबिक, कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के तहत साल 2019-20 के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर 605 कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (National Artificial Insemination Program) चलाए जा चुके हैं. इस साल करीब 300 गांव को शामिल किया. एक्सपर्ट्स का मानना है कि आनुवांशिक उन्नयन के जरिये मवेशियों की उत्पादकता बढ़ाना ही कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम की प्रमुख रणनीति है. आंकड़े बताते है कि कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का कवरेज लगभग 30% है. यही कारण है कि कम कवरेज वाले जिलों में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम को 50 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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