Natural Farming in UP: कृषि में लागत को कम करने और किसानों की आय को दोगुना करने के लिये प्राकृतिक खेती से जोड़ा जा रहा है. इसके लिये कई राज्यों में अलग-अलग योजनायें भी चलाई जा रही है. हाल ही में उत्तर प्रदेश में भी प्राकृतिक खेती बोर्ड (UP Natural Farming Board) का गठन हुआ है. अब राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार ने किसानों के लिये कुछ अहम फैसले लिये हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिये एक देसी गाय (Desi Cow Farming) देगी. इतना ही नहीं, सहभागिता योजना के तहत एक आवारा मवेशी की देखभाल करने के लिये राज्य सरकार ने 900 रुपये प्रति माह अनुदान देने का भी फैसला किया है.
प्राकृतिक खेती के लिये मिलेगी देसी गाय
उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती बोर्ड गठन के बाद अब योगी सरकार ने प्राकृतिक खेती करने के लिये किसानों को एक देसी गाय देने का फैसला किया है. उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने इस योजना पर एक ड्राफ्ट भी तैयार किया है, जिसके तहत राज्य के जिन किसानों के पास देसी गाय नहीं है, उन्हें कृषि विभाग की तरफ से प्राकृतिक खेती करने के लिये एक देसी गाय मुहैया करवाई जायेगी.
इसके लिये राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत रजिस्टर्ड स्वंय सहायता समूह भी गाय आधारित खेती में अहम रोल अदा करेंगे. इसके लिये ग्रामीण विकास विभाग की ओर से क्लस्टर बनाकर इन्हें किसान उत्पादक संगठनों में बदलने की कवायद की जायेगी. इस काम में नाबार्ड और यूपी डायवर्सिफाइड एग्रीकल्चर सपोर्ट प्रोजेक्ट जैसी एजेंसियों की मदद ली जायेगी.
हर महीने मिलेंगे 900 रुपये
मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से अपर मुख्य सचिव (कृषि) देवेश चुतुर्वेदी ने बताया कि पशुपालन विभाग ने सहभागिता योजना के तहत आवारा मवेशियों की देखभाल के लिये किसानों को 900 रुपये प्रति माह की आर्थिक सहायता (Grant for Stray Cattle) भी दी जायेगी. पशुपालन विभाग के अपर मुख्य सचिव रजनीश दुबे ने भी जानकारी दी कि नेचुरल फार्मिंग बोर्ड की तरफ से प्राकृतिक खेती करने के लिये राज्य की 6,200 गौशालाओं से किसानों को एक-एक देसी गाय दी जायेगी.
इतना ही नहीं, राज्य सरकार प्राकृतिक को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों को कृषि उत्पादों के लिये बाजार भी उपलब्ध करवायेगी. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिये बुंदेलखंड के पिछले इलाकों और करीब 7 जिलों में 235 क्लस्टर बनाकर काम शुरू हो चुका है. गंगा किनारे भी प्राकृतिक खेती करने के लिये किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है.
कृषि विज्ञान केंद्र निभायेंगी अहम रोल
राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये राज्य कृषि विश्वविद्यालय स्तर पर भी तेजी से प्रोत्साहन कार्य किये जा रहे हैं. साथ ही करीब 79 कृषि विज्ञान केंद्र में सर्टिफिकेशन का काम भी जारी है. ये कृषि विज्ञान केंद्र उत्तर प्रदेश की मिट्टी-जलवायु के अनुसार किसानों को सही फसल की जानकारी देंगे. बता दें कि अकेले उत्तर प्रदेश में 9 अलग-अलग कृषि जलवायु क्षेत्र है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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