UP का दम नहीं घोटेगी पराली, स्मॉग से निपटाने के लिए इस तरह होगा काम
Crop Waste Unit in UP: उत्तर प्रदेश सरकार बायो सीएनजी, कम्प्रेस्ड बायो गैस यूनिट लगाने के लिए काम कर रही है. यह यूनिट किसानों से अच्छे दामों में पराली खरीदेंगी और पराली से गैस का उत्पादन हो सकेगा.
Crop Waste Management: हर बार नवंबर, दिसंबर में दिल्ली, NCR, हरियाणा और यूपी का दम घोटने वाली पराली से निपटने (Crop Waste Management) के लिए उत्तर प्रदेश में पूरी तैयार की गई है. पराली के धुएं से बनने वाला स्मॉग (Stubble Smog) लोगों के जी का जंजाल नहीं बन सकेगा. अगर यूपी सरकार का प्रयास कामयाब रहा तो लोग दिन में होने वाले अंधेरे में कैद होने को मजबूर नहीं होंगे और न ही दमघोंटू हवा में उनके फेफड़ों को कमजोर कर सकेगी. योगी सरकार ने किसानों को मोटिवेट करने के लिए ऐसी ही स्कीम (Scheme for Stubble Management) तैयार की है. इससे किसानों की इनकम में इजाफा होगा और पर्यावरण भी दुरस्त रहेगा.
सरकार लगवाएगी कृषि अपशिष्ट ईकाई
दरअसल, हरियाणा, पंजाब में किसान पराली अधिक जलाते हैं. इधर यूपी में फसलों के अवशेष को खेतों में जला दिया जाता है. इसका नुकसान यह होता है कि पर्यावरण में धुएं के कण बढ़ जाते हैं. दिल्ली, एनसीआर से उठने वाला धुआं धीरे धीरे मेरठ, सहारनपुर, बरेली, मुरादाबाद, कानपुर, लखनऊ और गोरखपुर तक को अपनी चपेट में ले लेता है. इसी भयानक स्थिति से निपटने के लिए यूपी सरकार इस बार कृषि अपशिष्ट यूनिट लगाने जा रही है. प्रदेश सरकार बायो सीएनजी, कम्प्रेस्ड बायो गैस यूनिट लगाने के लिए काम कर रही है. यह यूनिट किसानों से अच्छे दामों में पराली खरीदेंगी और पराली से गैस का उत्पादन हो सकेगा. बाद में गैस को बड़े कारोबारियों को बेच दिया जाएगा. इसके अलावा योगी सरकार खुद भी उत्पादित गैस को प्रयोग में ला सकती है. प्रदेश सरकार के इस कदम से किसानों की एक्स्ट्रा इनकम भी बन जाएगी.
गोरखपुर, मेरठ, लखनऊ में बन सकेंगी यूनिट
योगी सरकार ने इस दिशा में कदम उठाने तेज कर दिए हैं. गोरखपुर के दक्षिणांचल में इंडियन ऑयल ने 160 करोड़ की लागत से कृषि अपशिष्ट बायो सीएनजी, कम्प्रेस्ड बायो गैस यूनिट लगाने पर काम शुरु कर दिया है. इसके 2023 में शुरु होने की संभावना है. दूसरी और लखनऊ, मेरठ में भी यूनिट लगाने पर विचार किया जा रहा है. केंद्र सरकार ऐसी यूनिट लगाने पर 20 परसेंट तक सब्सिडी और प्रदेश सरकार 30 प्रतिशत तक सब्सिडी देगी. सब्सिडी देने में केंद्र और प्रदेश सरकार का संबंधित यूनिटों के साथ करार भी होगा. यूनिट संचालकों को करार की सभी शर्ते माननी होंगी.
गेहूं, धान, गन्ने की ली जाएगी पराली
किसान खेतों में गेहूं, धान और गन्ने के अवशेषों को ही जला देते हैं. यह सभी यूनिट इन्हीं फसलों की पराली लेंगी. इसके लिए संबंधित यूनिट के अफसर किसानों से संपर्क करेंगे. उसकी खेती में पड़ी पराली को बीघा या एकड़ के हिसाब से खरीद लेंगे और पराली की जो भी दर तय होगी. उसके हिसाब से किसान को पैसा दे दिया जाएगा. किसान चाहे तो खुद भी जाकर यूनिट में संपर्क कर सकेगा और अपनी पराली बेच देगा.
दर्ज होगा मुकदमा, हो सकती है जेल
किसानों की लापरवाही से पिछले 3 सालों से एनवायरमेंट में कार्बन के कण बढ़ गए है. वह साफ तौर पर स्मॉग के रूप में दिखता है. शासन, प्रशासन की चेतावनी के बावजूद खेतों में खड़ी पराली जलाने वालों से प्रशासन सख्ती से निपटने को तैयार है. पिछले साल पराली जलाने (Stubble Burning) वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश थे. इस बार सरकार ऐसे लोगों से सख्ती से निपटने के मूंढ में है. पर्यावरण अधिनियम के तहत ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर (FIR Under Environment Act) दर्ज की जाएगी. यूपी के प्रशासनिक अफसरों का कहना है कि पराली जलाकर एनवायरनमेंट दूषित करना पर्यावरण अधिनियम (Environment Act Against stubble burning) के तहत दंडनीय अपराध है.
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