Millets Cultivation in UP: साल 2023 को पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के तौर पर मनाने जा रही है. भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने 72 देशों के समर्थन के साथ इस साल को खास बना दिया है. देशभर में मोटे अनाजों की खेती से लेकर इसके प्रमोशन तक के लिए तैयारियां जोरों पर हैं. इस बीच उत्तर प्रदेश ने भी मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए खास प्लान तैयार किया है. राज्य में खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत पोषक अनाज और मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए यूपी के 75 जिलों में से 24 जिलों का चयन प्रमुख मोटे अनाज उत्पादक के तौर पर किया गया है. जहां साल 2023 में ज्वार, बाजरा, मक्का, सांवा, कोदो और मडुआ की खेती की जाएगी.
यह है सरकार का पूरा प्लान
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश मोटे अनाजों का दूसरा बड़ा उत्पादक है. राज्य के करीब 11 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में मोटे अनाज उगाए जा रहे हैं. इस रकबे को साल 2023 में बढ़ाकर 25 लाख हेक्टेयर तक ले जाने का प्लान है. इसके लिए राज्य में तैयारियां चालू हो चुकी हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कृषि विभाग के अधिकारियों को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और दूसरे राज्यों से संपर्क करके मोटे अनाजों के बीजों का इंतजाम करने के निर्देश मिले हैं. इतना ही नहीं, राज्य के करीब 18 जिलों में एमएसपी पर बाजरे की खरीद की जा रही है.
आपको बता दें कि यूपी में धान, गेहूं और गन्ना के बाद बाजरे सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है. हर साल बाजरा का करीब 50 लाख मीट्रिक टन उत्पादन अकेले यूपी से मिल रहा है. राज्य का 9.80 लाख हेक्टेयर रकबा बाजरे की खेती से खबर हो रहा है, जिसे बढ़ाकर 10.19 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य है.
यूपी में मोटे अनाज की खेती
मीडिया रिपोर्ट पर आधारित जानकारी के मुताबिक, भारत में मोटे अनाजों का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. इनमें ज्वार और बाजरा का सबसे ज्यादा उत्पादन मिल रहा है. अगर क्षेत्रफल के हिसाब से देखा जाए तो कर्नाटक मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन उत्तर प्रदेश में मोटे अनाजों की खेती में रुचि ले रहा है.
राज्य में ज्वार और बाजरा का रकबा बढ़ाने पर सरकार जोर दे रही है. आंकड़ों की मानें तो साल 2022 में ज्वार का रकबा 1.71 लाख हेक्टेयर था, जिसे साल 2023 में बढ़ाकर 2.24 लाख हेक्टेयर कर दिया गया है. ज्वार के साथ-साथ सांबा और पौधों की खेती का क्षेत्रफल भी दोगुना करने का प्लान है.
इन राज्यों ने भी खूब उगाया पोषक अनाज
आंकड़ों की मानें तो देश के 140 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल से करीब 200 लाख टन मोटे अनाजों का उत्पादन मिल रहा है, जबकि पूरी दुनिया 717 लाख हेक्टेयर रकबे से 863 लाख टन मिलिट्स का प्रोडक्शन ले रही है. इसमें भारत की हिस्सेदारी भी 20 फीसदी है.
देश में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों का नाम है.
मोटे अनाजों का क्यों बढ़ावा
भारत में गेहूं और चावल की खपत ज्यादा है, लेकिन इन पारंपरिक फसलों को उगाने में खर्च भी काफी अधिक होता है और जलवायु परिवर्तन के बीच फसल नुकसान की संभावनाएं भी ज्यादा होती है. इसके मुकाबले मोटे अनाजों की खेती करके मौसम की विपरीत परिस्थितियों में भी बढ़िया उत्पादन ले सकते हैं.
इन मोटे अनाजों को उगाने में भी ज्यादा खर्च नहीं होता और पोषण के मामले में भी गेहूं-चावल से कहीं ज्यादा फायदेमंद है. मोटे अनाजों में कैल्शियम, आयरन, फाइबर, बीटा कैरोटीन, नियासिन, विटामिन बी6, फोलिक एसिड, पोटैशियम, मैग्निशियम, जिंक के अलावा कई विटामिन और मिनरल भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.
यदि इनका रोजाना सेवन किया जाए तो उच्च रक्तचाप, कॉलोस्ट्रोल, हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा टल जाता है. यही वजह है कि मोटे अनाज यानी Millets को सुपर फूड भी कहा जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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