Policy For Sugar Mill: गन्ना उत्पादन को लेकर केंद्र व स्टेट गवर्मेंट गंभीर हैं. चीनी उत्पादन में देश विश्व में पहले पायदान पर खड़ा है. उत्तर प्रदेश में गन्ना काफी रकबे में बोया जाता है. योगी सरकार भी गन्ना उत्पादन और उसकी नीतियों का इंप्लीमेंटेशन गंभीरता से करती है. उत्तर प्रदेश में गन्ना पैराई सत्र शुरू हो गया है. इसी को लेकर योगी सरकार ने गन्ने से संबंधित उत्पादों को लेकर नई नीतियां बनानी शुरू कर दी हैं. चीनी मिलों को भी नई नीतियों को स्पष्ट रूप से मानने के निर्देश दिए गए हैं.


ये जारी हुई नई शीरा नीति 2022-23
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट ने नई शीरा नीति 2022-23 जारी कर दी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई शीरा नीति को सभी चीनों मिलों को गंभीरता से पालन करने क निर्देश दिए हैं. गवर्नमेंट ने स्पष्ट किया है कि शराब और शीरे का यदि दुरुपयोग होता मिला तो उसके खिलाफ कार्रवाई तय है. मुख्यमंत्री ने नई शीरा नीति के तहत प्रदेश की चीनी मिलों को कुल शीरा प्रॉडक्शन का 20% रिजर्व करने के निर्देश दिए हैं. ऐसा न करने वाली चीनी मिलों के खिलापफ कार्रवाई की जाएगी. साथ ही शीरा नीति के तहत चीनी मिलों को गन्ना सिरप और जूस का उपयोग करके इथेनॉल उत्पादन प्रक्रिया में पारदर्शिता भी चीनी मिलों को रखनी होगी. 


शीरे के एक्सपोर्ट पर विशेष प्रतिबंध
स्टेट गवर्नमेंट के अधिकारियों के अनुसार, प्रदेश के शीरे की कई देशों और भारत के कई राज्यों में अधिक मांग है. इसी को देखते हुए एक्सपोर्ट पर विशेषा प्रतिबंध भी लगाए गए हैं. ताकि राज्य में शीरे की किसी तरह की कमी न होने पाए. देश के वार्षिक गन्ना उत्पादन के चार्ट में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र अव्वल है. दोनों 60 प्रतिशत उत्पादन करते हैं. इसके अलावा चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश आगे है. 


उत्तर प्रदेश में 158 चीनी मिलें
उत्तर प्रदेश में 158 चीनी मिलों मेें पेराई सत्र चल रहा है. इनमें से प्राइवेट सेक्टर में 104 चीनी मिल हैं. 28 मिल यूपी सहकारी चीनी मिल संघ, यूपी राज्य चीनी निगम और केंद्र सरकार चलाती हैं. इथैनॉल आपूर्ति वर्ष 1 नवंबर से शुरू हो गया है. यह अगले साल 31 अक्टूबर तक चलेगा. इसी तरह इथैनॉल आपूर्ति वर्ष का इयरली कैलेंडर होता है. इस दौरान चीनी मिलें अलग अलग तरीके के मादक पदार्थ बनाती हैं. राज्य के अधिकारियों का कहना है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश को लेकर नई शराब नीति में विशेष पफोकस है. इसके पीछे वजह है कि गोरखपुर, देवीपाटन, आजमगढ़, वाराणसी, बस्ती और विध्यांचल के संभागों में डिस्टलरी देश की लगभग 25 प्रतिशत शराब सप्लाई होती है. 


 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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