आज के समय में खेती किसानी भी आधुनिक होती जा रही है. आए दिन कृषि क्षेत्र में नए-नए बदलाव हो रहे हैं. विदेशों में तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए खेती की जा रही है. इसी प्रकार भारत में भी अब ड्रोन के जरिए यूरिया का छिड़काव करने चलन बढ़ गया है. भारत के भी कई इलाकों में इस तकनीक की जरिए यूरिया का छिड़काव किया जा रहा है.
एक्सपर्ट्स की मानें तो ड्रोन की क्षमता जितनी अधिक ज्यादा होगी. छिड़काव का खर्च उतना ही अधिक होगा. खेत की स्थिति, मिट्टी की गुणवत्ता और फसल की ऊंचाई छिड़काव के खर्च को प्रभावित करती है. कृषि एक्सपर्ट डॉ. हरी ओम का कहना है कि एग्रीकल्चर का क्षेत्र काफी तेजी से विकसित हो रहा है. ऐसी स्थिति में दवाओं का छिड़काव और नेनो यूरिया जिसे लिक्विड यूरिया भी कहते हैं उसका छिड़काव काफी आसानी से कर सकते हैं. उनका कहना है कि नैनो यूरिया का इस्तेमाल कर खेती करना लाभकारी हो सकता है.
क्या है फायदा
यह पर्यावरण के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है. ड्रोन से यूरिया का छिड़काव पारंपरिक विधियों की तुलना में अधिक सुरक्षित है क्योंकि यह हवा में यूरिया के प्रदूषण को कम करता है. ड्रोन से यूरिया का छिड़काव समान रूप से होता है, जिससे फसलों को यूरिया की समान मात्रा मिलती है. इससे फसलों की बढ़त और पैदावार में सुधार होता है. इससे समय और मेहनत की बचत होती है.इसकी मदद से यूरिया की लागत कम हो जाती है. ये यूरिया के उपयोग की दक्षता को बढ़ाता है.
हरियाणा सरकार ने दी अच्छी खबर
वहीं, हरियाणा सरकार ने किसानों को बड़ी खुशखबरी दे दी है. अब प्रदेश के किसान भाई केवल 100 रुपये खर्च कर नैनो यूरिया का छिड़काव ड्रोन के माध्यम से कर सकते हैं.
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