Pulses production in UP: पिछले कुछ वर्षों में भारत का कृषि काफी मजबूत बनकर उभरा है. यहां से देश-विदेश की जरूरतों को पूरा किया जा रहा है. साथ ही दाल-तेल जैसे तमाम कृषि उत्पादों के आयात को कम करने के लिये भी कई तरह की योजनायें (Agriculture Schemes) और प्लान्स पर काम चल रहा है. इसी कड़ी में अब उत्तर प्रदेश सरकार ने भी बड़ा फैसला किया है. राज्य को अगले 5 साल में दलहन उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है.


इस बीच कृषि विशेषज्ञों की मदद से दलहन का उत्पादन इसकी मांग के बराबर पहुंचाने का उद्देश्य है. इसके लिये किसानों को दलहनी फसलों के उन्नत बीज (Pulses Seed Distribution) भी मुफ्त में दिये जायेंगे, ताकि किसान भी दालों के उत्पादन के साथ-साथ इसकी क्वालिटी पर भी फोकस कर पायें. निशुल्क बीज वितरण के लिये सरकार ने 33 करोड़ रुपये खर्च करना का फैसला किया है. 


रबी सीजन के लिए मिलेंगे मुफ्त बीज
दलहन उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिये यूपी सरकार ने मौजूदा रबी सीजन  (Rabi Season 2022) से ही तैयारियां तेज कर दी है. राज्य के किसानों को 33 करोड़ रुपये की लागत से दालों की 2.5 लाख मिनी किट निशुल्क बांटी जायेंगी. यहां चना की मिनी किट में 16 किग्रा और मसूर की मिनी किट में 8 किग्रा उन्नत बीज होंगे यानी कुल मिलाकर राज्य में किसानों को 12,000 क्विंटल मसूर और 16,000 क्विंटल चने की उन्नत किस्मों के बीज बिल्कुल मुफ्त में उपलब्ध करवाये जायेंगे. इससे बीज खरीदने का खर्च बचेगा ही, उन्नत किस्मों से खेती में जोखिम कम रहेगा और किसान दलहन का बेहतर उत्पादन ले पायेंगे.


दालों की मांग से 45 फीसदी कम है उत्पादन
वैसे तो देश के ज्यादातर इलाकों में दालों की मांग के बराबर सप्लाई नहीं हो पा रही. इसके पीछे कई समस्यायें है. कई बार मौसम की मार से दलहन का उत्पादन कम हो जाता है तो कभी कीट-रोगों का प्रकोप किसानों को नुकसान झेलने पर मजबूर कर देता है. इस साल भी सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक रोग लगने पर कई किसानों ने अपनी फसलों को खुद ही नष्ट कर दिया था.


उत्तर प्रदेश में भी किसान कुछ ऐसी ही समस्याओं का सामना करते हैं, जिसके चलते दालों की मांग की तुलना में दलहन का उत्पादन 40-45 फीसदी ही है. इन्हीं रुझानों को विकास-विस्तार में बदलने के लिए यूपी सरकार ने रबी सीजन में दालों के मुफ्त बीज बांटने का निर्णय लिया है. इससे किसानों को अगस्त में सूखा और अक्टूबर की बाढ़ जैसी आपदाओं से फसल नुकसान को कवर करने में मदद मिलेगी.


2 लाख हेक्टेयर में होगी खेती
इस साल मौसम की अनिश्चितताओं के कारण कई किसानों के खेत खाली ही रह गये, जिसके चलते किसी नकदी फसल की बुवाई करने की जगह किसानों ने बागवानी फसलों की तरफ रुख किया. इससे दालों के उत्पादन पर भी काफी असर पड़ा, क्योंकि बुवाई का रकबा काफी कम हो गया. यही कारण है कि आत्मनिर्भर बनने की दिशा में राज्य सरकार ने 2 लाख हेक्टेयर जमीन पर दलहन की बुवाई का लक्ष्य का निर्धारित किया है. ये वही जमीन है, जो पहले सूखा और फिर तेज बारिश-बाढ़ के चलते फसल नुकसान झेल चुकी है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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