Crop Loss In UP: पिछले दिनों मानसून (Monsoon 2022) की वापसी ने किसानों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया. एक तरफ खड़ी फसलों में पानी भरने से फसलें बर्बाद हो गईं तो वहीं रबी फसलों की बुवाई (Rabi Crop Farming) में भी देरी हुई. ऐसी स्थिति में अब किसानों की बड़ी आबादी आर्थिक संकट का सामना कर रही है. खासकर उत्तर प्रदेश के 100 गांव अभी भी बाढ़ग्रस्त है, जहां राहत बचाव का काम चल रहा है.


वहीं राज्य सरकार ने 24 जिलों में सर्वे के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि किसानों को फसल नुकसान (Crop Loss Compensation) का मुआवजा फसलों में 33 फीसदी से अधिक नुकसान होने पर ही मिलेगा. ये फैसला फसल नुकसान का आंकलन करके बाद ही किया है. इतना ही नहीं, 24 जिलों मे सर्वे के बाद करीब 3.56 लाख किसानों की पहचान की गई  है, जिनकी फसलें बेमौसम बारिश के कारण 33 फीसदी से ज्यादा नुकसान में जा चुकी है.


2 लाख हेक्टेयर पर हुआ नुकसान
उत्तर प्रदेश के कई इलाके ऐसे भी हैं, जहां बाढ़ जैसे हालात और पानी भरने के कारण सर्वे नहीं हो पाया है, लेकिन अभी तक के आंकड़ों से साफ है कि राज्य में करीब 2 लाख हेक्टेयर पर फसलों को भारी नुकसान हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 33 फीसदी से अधिक नुकसान पर मुआवजे का फैसला सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के आधार पर किया गया है, जिसमें अधिकारियों ने पाया कि इस बीच सिर्फ 33 फीसदी से अधिक नुकसान वाली फसलें ही मुआवजे लायक है.


बीते सालों में उड़ीसा सरकार के राहत कार्यलय की ओर से सभी जिलाधिकारियों को जारी पत्र में भी यही बताया गया है कि फसल में नुकसान का सर्वे करने के लिये आई इंटीमेशन या फसल कटाई के सैंपल की जांच के बाद ये फैसला किया जाये और इसी के आधार पर 33 फीसदी से अधिक फसल में नुकसान होने पर मुआवजे के लिये चुना जाये. 


75:25 के आधार पर मिलेगा मुआवजा
उत्तर प्रदेश के 24 जिलों का सर्वे भी आई इंटीमेशन यानी जमीनी स्तर पर जाकर किया गया है. राज्य के करीब 100 से ज्यादा बाढ़ग्रस्त गांव में अभी राहत बचाव कार्य किया जा रहा है. इसके बाद ही नुकसान का आंकलन किया जायेगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फसल नुकसान का सही आंकलन करने का आखिरी रास्ता क्रॉप कटिंग होता है.


इस बीच प्राइमरी रिपोर्ट भी आई इंटीमेशन के आधार पर बनाई जाती है. ये काम गांव के संबंधित लेखपाल और कृषि अधिकारी करते हैं. इसके बाद रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेज दी जाती है. वहीं से रिपोर्ट राहत आयुक्त कार्यालय को भेज दी जाती है. इसके बाद सत्यापन होते ही राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष की ओर से पैसा रिलीज कर दिया जाता है. बता दें कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष में 75 फीसदी हिस्सा केंद्र और 25 फीसदी योगदान राज्य सरकार का होता है.


इन जिलों में हुआ भारी नुकसान
बारिश के कारण फसलों (Crop Loss in Rain) में हुये नुकसान के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वे के निर्देश जारी कर दिये थे. इसके बाद 1 अक्टूबर से लेकर 10 अक्टूबर तक के आकलन के आधार पर राज्य में सबसे ज्यादा नुकसान महोबा जिले में हुआ है.


यहां करीब 1.28 लाख किसानों की फसलों में 33 फीसदी से अधिक नुकसान हुआ. वहीं ललितपुर जिले में 73,015 किसान, मिर्जापुर में 32,000 किसान, गाजीपुर में 21142 किसान, जालौन में 14,160 किसान, वाराणसी में 11,592 किसान और लखीमपुर खीरी में 10,725 किसानों की गिनती फसल नुकसान मुआवजे (Crop Loss Compensation) के लिये की गई है. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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