Rain Alert: उत्तर और मध्य भारत में पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. इस बेमौसम बारिश ने शहरों में तो मौसम सुहावना बना दिया है, लेकिन गांव में ये बारिश तबाही मचा रही है. मार्च महीने के अंत में हुई बारिश के बाद अब अप्रैल के महीने में भी तेज बौछारों ने किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया. उत्तराखंड के हलद्वानी में भी ये बारिश आफत बनकर बरसी है. यहां कटाई के लिए तैयार खड़ी गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है, लेकिन तेज हवा और बारिश के चलते ये जमीन पर बिछ गई है. खरीफ सीजन में नुकसान झेलने के बाद किसानों को इस बार की फसल से काफी ज्यादा उम्मीदें थी, लेकिन अब ये उम्मीदें निराशा में बदल चुकी हैं. फसल में नुकसान होने से किसानों में मायूस छा गई है. अब अन्नदाता सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
पिछले साल भी हुआ था नुकसान
मीडिया से बातचीत करते हुए हलद्वानी के किसान बताते हैं कि पिछले साल भी मौसम बदलने से गेहूं की फसलों में थोड़ा बहुत नुकसान हुआ था, लेकिन इस बार की बारिश ने गेहूं की फसल को बिल्कुल ही गिरा दिया है. किसानों ने बताया कि अब बिछे हुए गेहूं की कटाई में ज्यादा मेहनत और लागत खर्च करनी पड़ेगी. यदि जल्दी इस फसल को समेटा ना गया तो इसके जमने का खतरा भी बढ़ जाएगा.
ओलावृष्टि से सब्जी फसलें बर्बाद
उत्तराखंड के हलद्वानी में खेती करने वाली महिला किसान ने अपना दुख बयां करते हुए बताया कि जैसे-तैसे पैसों का इंतजाम करके गेहूं की फसल लगाई थी, जो मार्च के महीने से ही धीरे-धीरे नुकसान में चली गई है. अतिरिक्त आमदनी के लिए जो टमाटर और लहसुन की फसल बोई थी, ओलावृष्टि के चलते उसमें भी नुकसान चला गया है. अब कोई भी उपज मंडी में बिकवाली के लिए नहीं भेज सकते. महिला किसान बताती हैं कि उनके पूरा परिवार का खर्च खेती-बाड़ी से चलता है, लेकिन अब फस बर्बाद होने के बाद बच्चों की फीस से लेकर घर के खर्चों तक में दिक्कतें आ जाएंगी.
किसानों की करीब 80 फीसदी फसलों को नुकसान
मार्च-अप्रैल के बीच हुई बारिश से फसलों में हुए नुकसान के आकलन से पता चला है कि करीब 80 फीसदी फसलें बिल्कुल घाटे में चली गई हैं. इनमें सबसे ज्यादा निुकसान गेहूं, आम और लीची की फसल को हुआ है. नुकसान से आहत किसान अब सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. रूद्रप्रयाग में भी किसान कुछ ऐसी ही आपदा का सामना कर रहे हैं. रूद्रप्रयाग में फसल का सर्वेक्षण जारी है. अधिकारियों ने बताया कि यदि फसल में 35 फीसदी से अधिक नुकसान हुआ है तो इसे आपदा की श्रेणी में शामिल करके आपदा राहत के तहत किसान को मुआवजा दिया जाएगा.
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