Plant Growth Regulators for Vegetable Farming: भारत में बढ़ती जनसंख्या के कारण सब्जियों की मांग (Vegetable Demand)  को पूरा करना बड़ी चुनौती बनती जा रही है. किसान भी खेतों में हर तिकड़म आजमा कर उत्पादन बढ़ाने में लगे हुये हैं, लेकिन कुछ तरीके उत्पादन बढ़ाने के बजाये मिट्टी की संरचना को कमजोर करने लगते हैं, जिससे उत्पादन बढ़ने की जगह कम होने लगता है. कृषि वैज्ञानिक सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने के लिये 'पादप वृद्धि नियामकों' (Plant Growth Regulator) का प्रयोग करने की सलाह देते हैं. इन नियामकों से किसी झंझट के सब्जियों का उत्पादन (Increased Vegetable Production) कई गुना बढ़ सकते हैं.


क्या है पादप वृद्धि नियामक (What is Plant Growth Regulator) 
पादप वद्धि नियामक पौधों के कई हिस्सों से संश्लेषित होने वाले जैविक पदार्थ है. ये पूरी तरह प्राकृतिक होते हैं, लेकिन सूक्ष्म मात्रा में इनका इस्तेमाल करने पर पौधों की फिजियोलॉजिकल और बायोकैमिकल गतिविधियों को बेहतर बना सकते हैं. आधुनिक खेती के दौर में इन्हें भी कृतिम रूप से उपलब्ध करवाया जा रहा है, जिससे व्यावसायिक खेती करने वाले किसानों को काफी फायदा हो सकता है.


पादप वृद्धि नियामक चार तरह के होते हैं, जिनमें औक्सिंस, जिब्रेलिक अम्ल, साइटोकाइनिन, इथाइलीन और अब्स्सिसिक एसिड आदि शामिल हैं. इनका इस्तेमाल बीजों के उपचार से लेकर फलों की सेल्फ लाइफ बढ़ाने में भी किया जाता है.




टमाटर का उत्पादन (Tomato Production)
टमाटर की खेती से पहले 2 या 4-डी औक्सिंस वृद्धि नियामक की 3 से 5 एमजी मात्रा का प्रयोग करके बीजों का उपचार करने से फलों की संख्या बढ़ती. 



  • इससे बिना बीज या कम बीजों वाले टमाटरों का उत्पादन भी ले सकते हैं.

  • फसल में इथाइलीन की 1000 एमजी मात्रा का इस्तेमाल करने पर टमाटर के फल जल्दी पकने लगते हैं. 

  • टमाटर की फसल के अनुसार तापमान और मौसम ना होने पर भी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. इसके लिये फसल पर PCPA 50 एमजी का छिड़काव करें.


बैंगन का उत्पादन (Brinjal Proudction)
बैंगन की फसल में पुष्पन के समय नेफ्थैलिक एसिटिक एसिड 60 एमजी की सिंगल मात्रा या BA 30 एमजी का प्रयोग करने से पौधों पर बैंगन के फलों की संख्या बढ़ जाती है.



  • चाहें तो फूल बनते समय ही 2,4- डी 2 एमजी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे फलों की संख्या बढ़ती है और बैंगन के पार्थेनोकार्पिक फलों का उत्पादन मिलता है. 


मिर्च का उत्पादन (Chili Proudction)
खेतों से मिर्च का अधिक उत्पादन लेने के लिये नेफ्थेनिक अम्ल की 10 से 100 एमजी मात्रा का छिड़काव करना चाहिये, जिससे फल-फूल झड़ने की समस्या भी खत्म हो जाती है.



  • मिर्च की फसल में ट्राईकंट्रोल 1 एमजी का छिड़काव करने से भी पौधों का विकास तेजी से होता है और अच्छी क्वालिटी के फलों का उत्पादन मिलता है.


भिंडी का उत्पादन (Ladyfinger Proudction)
भिंडी की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिये GA3 के 400 mg, IAA 200 एमजी और NAA के 20 एमजी का घोल बनाकर बीजों का उपचार कर सकते हैं.



  • इसके लिये बीजों को इन दवाओं के साथ अगले 24 घंटे तक भिगोकर छोड़ दें, जिससे फसलों का उत्पादन काफी हद तक बढ़ जाता है.

  • भिंडी के फलों की तुड़ाई के बाद उनकी सेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिये फसल पकने पर सायकोसॉल 100 एमजी के घोल का छिड़काव करना चाहिये.


प्याज का उत्पादन (Onion Proudction)
खेतों से प्याज का अधिक उत्पादन लेने के लिये रोपाई से पहले जिब्रेलिक अम्ल के 40 एमजी का घोल बनाकर पौधों की जड़ों का उपचार करें, जिससे बल्ब का आकार और उत्पादन बढ़ता है. 



  • नर्सरी तैयार करते समय NAA की 100 से 200 एमजी से प्याज के बीजों का भी उपचार करना फायदेमंद रहता है. 

  • चाहें तो प्याज  की फसल तैयार होने पर हार्वेस्टिंग से पहले सेमैलिक हाइड्रैज़िड (MH) की 2500 एमजी मात्रा का छिड़काव करें, जिससे प्याज में स्प्राउटिंग नहीं होता और उसकी सेल्फ लाइफ बढ़ जाती है.


खीरा का उत्पादन (Cucumber Proudction)
बाजार में खीरा की हमेशा मांग रहती है. इसका उत्पादन बढ़ाने के लिये 2 और 4 पत्तियों की अवस्था में एथरेल 150 से 200 एमजी से छिड़काव करना फायदेमंद रहता है.


करेला का उत्पादन (Bittergourd Proudction)
सब्जी के साथ-साथ करेला का औषधीय महत्व भी है, इसलिये इसकी व्यावसायिक खेती करने वाले किसान बुवाई से पहले जिब्रेलिक अम्ल के 25 से 50 एमजी के घोल से बीजों का उपचार करते हैं, जिससे अंकुरण आसानी से हो जाता है.



  • करेला की फसल में फूल बनते समय एथरेल 20 एमजी के साथ जिब्रेलिक अम्ल MH, सिल्वर नाइट्रेट की 3 से 4 एमजी मात्रा का भी छिड़काव कर सकते हैं. 


कद्दू यानी काशीफल का उत्पादन (Pumpkin Proudction)
काशीफल यानी कद्दू का इस्तेमाल सब्जी से लेकर मिठाईयां (Pumpkin Sweets)  बनाने में भी किया जाता है. इससे बेहतर उपज के लिये फूलों की संख्या अधिक होनी चाहिये.



  • इसके लिये बुवाई से पहले एथरेल की 250 एमजी मात्रा को 10 ली. पानी में घोल कर कद्दू के बीजों का उपचार (Seed Treatment)  करना चाहिये.

  • चाहें तो इसका छिड़काव (Plant Growth Regulator Spray) पौधों से 2 पत्ती और 4 पत्ती निकलने की अवस्था में भी कर सकते हैं.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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