Organic Waste Management: आज ऑर्गेनिक वेस्ट मैनेजमेंट मोटी कमाई का साधन बनता जा रहा है. इससे पर्यावरण संरक्षण में खास सहयोग मिल रहा है. साथ ही अब लोग ऑर्गेनिक वेस्ट से अच्छी आमदनी भी कमा रहे हैं. ये किसानों के लिए तरक्की का साधन बन रहा है. इन दिनों हैदराबाद की बोवेनपल्ली मंडी में भी ऐसा ही ऑर्गेनिक वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट चल रहा है. यहां मंडी में बची हुई या खराब सब्जियों से हरित ऊर्जा का निर्माण हो रहा है. बोवेनपल्ली मंडी में सब्जियों के अवशेष से जैविक खाद, जैविक ईंधन और बिजली निर्माण कार्य चल रहा है. मंडी व्यापारियों के नवाचार और सफल प्रयासों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहा है.
प्रधानमंत्री ने की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के व्यापारियों के नवोन्मेषी विचारों की सराहना की. पीएम मोदी ने कहा कि अक्सर सब्जी मंडियों में सब्जियां सड़ जाती है, जिससे अलहेल्दी परिस्थितियां पैदा होती है. इस समस्या के समाधान के लिए हैराबाद की बोवेनपल्ली सब्जी मंडी व्यापारियों ने इस कचरे से हरित ऊर्जा बनाने का फैसला किया है.
मंडी में फल और सब्जियों के प्रत्येक औंस अवशेषों से 500 यूनिट बिजली और 30 किलो जैव ईंधन का निर्माण हो रहा है. यहां उत्पन्न होने वाली बिजली की आपूर्ति स्ट्रीट लाइट्स, 170 स्टाल्स, प्रशासनिक भवन और जल आपू्र्ति नेटवर्क को की जा रही है.
वहीं ऑर्गेविक वेस्ट से बने जैव ईंधन को बाजार में मौजूद ढ़ाबे, रेस्त्रा या व्यावसायिक रसोईयों में पहुंचाया जा रहा है. यहां बिजली से मंडी की कैंटीन रौशन हो रही है और यहां का चूल्हा भी प्लांट के ईंधन से जल रहा है.
जानकारी के लिए बता दें कि बोवेनपल्ली मंडी में रोजाना 650-700 यूनिट बिजली की खपत होती है. वहीं रोजाना 400 यूनिट बिजली के उत्पादन के लिए 7-8 टन फल और सब्जियों के अवशेषों का आवश्यकता होती है.
ये मंडी से ही मिल जाती है. इस तरह मंडी का वातावरण साफ-स्वस्थ रहता है. आज बोवेनपल्ली मंडी में लगे बायोगैस संयंत्र के लिए हैदराबाद की दूसरी मंडियों से भी जैव कचरा इकट्ठा किया जाता है
महिलाओं को मिल रहा रोजगार
हैदराबाद की बोवेनपल्ली सब्जी मंडी में लगे बायोगैस प्लांट से आज कई लोगों का रोजगार जुड़ा है. यहां सब्जी विक्रेता और दूसरे लोग जैव कचरे को इकट्ठा करके प्लांट में लाते हैं. वहीं प्लांट में लाए गए जैव कचरे की कटाई-छंटाई करने, कचरे को अलग करने, मशीन चलाने और प्लांट के मैनेजमेंट का काम महिलाएं देख रही हैं.
मंडी अधिकारियों की मानें तो बायोगैस प्लांट में रोजाना 10 टन अवशेष इकट्ठा होता है. अगर हिसाब लगाएं तो इस कचरे से एक साल में 6,290 किग्रा. कार्बन डाई ऑक्साइड निकलती है, जो पर्यावरण और लोगों की सेहत के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है. इस समस्या को मंडी व्यापारियों ने अपने ध्यान में लिया और बायोगैस प्लांट लगातर इसका संयुक्त सनाधान निकाल लिया.
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद की इस बोवेनपल्ली मंडी में बायोगैस प्लांट को स्थापित करने का श्रेय जैव प्रौद्योगिकी विभाग और कृषि विपणन तेलंगाना विभाग, गीतानाथ को जाता है. यहीं से बायोगैस प्लांट वित्त पोषित है. इस बायोगैस प्लांट के संचालन में सीएसआईआर-आईआईसीटी के वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन शामिल है. यही की पेटेंट तकनीक से बायोगैस संयंत्र स्थापित किया गया है.
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