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सिर्फ 50 हजार लगाकर कमा सकते हैं लाखों रुपये, केंचुआ खाद की यह तकनीक मचा रही धमाल

भारत में जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को कम करने के लिए किसान अब पर्यावरण अनुकूल जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. जैविक खेती को कम खर्च में अधिक उत्पादन और बंपर मुनाफे का साधन कहा जाता है.

किसान देश के अन्नदाता कहे जाते हैं, कई बार किसान घाटा खाकर भी देश को अन्न खिलाता है. लेकिन अगर किसान और पशुपालक खेती किसानी के साथ वर्मीकम्पोस्ट यूनिट लगाते हैं तो खेती का खर्च भी कम होगा और साथ में केंचुआ किसानों को एक्स्ट्रा कमाई करके देगा. भारत में जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को कम करने के लिए किसान अब पर्यावरण अनुकूल जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. जैविक खेती को कम खर्च में अधिक उत्पादन और बंपर मुनाफे का साधन कहा जाता है. इसमें केंचुआ अहम भूमिका निभाता है. इससे मिट्टी में पोषक तत्वों की आपूर्ति, मिट्टी को बांधने की क्षमता, भू-जल संरक्षण और क्वालिटी उत्पादन लेने में मदद मिलती है.

सिर्फ 50 हजार आएगा खर्च

खेती के साथ-साथ किसानों के लिए भी वर्मीकंपोस्ट अहम साबित होती जा रही है. अगर किसान खेती के साथ साथ वर्मीकम्पोस्ट यूनिट लगाते हैं तो खेती का खर्च कम होगा, साथ ही वर्मीकंपोस्ट और केंचुआ बेचकर किसान अतिरिक्त आमदनी कमा सकते हैं. इसे लगाने का खर्च भी बेहद कम आता है. इसके लिए आपको 20 बेड से केंचुआ खाद का बिजनेस शुरू करना होगा. इसमें 30 से 50 हजार का खर्च आएगा जो कि बाकी की तुलना में बेहद कम है. 50 हजार लगाने के बाद आपका बिजनेस करीब 2 साल में 8 से 10 लाख रुपये की सालाना इनकम देने लगेगा.

इस तरह केंचुआ बनाएं खाद

विशेषज्ञों की अगर मानें तो केंचुआ खाद का बिजनेस शुरू करने के लिए आपके पास खाली जमीन होनी चाहिए. इसके बाद खेत को समतल करके इसे केंचुओं के लिए उपयुक्त बनाना है. इसके बाद मार्केट से लंबे और टिकाऊ पॉलीइथीन की ट्रिपोलिन बाजार से खरीद कर लानी होगी. फिर इसे 1.5 से 2 मीटर चौड़ाई और जगह के हिसाब से लंबाई में काटना होगा. इसके बाद ट्रिपोलिन बिछाकर उसके ऊपर गोबर को फैलाना है. इसमें ध्यान ये देना है कि गोबर की ऊंचाई 1 से 1.5 फिट से ज्यादा नहीं रखें. इसके बाद केंचुए को गोबर के अंदर मिला दें. अगर आप 20 बेड तैयार करना चाहते हैं तो आपको करीब 100 किलो केंचुओं की जरूरत पड़ेगी. इसके बाद 1 महीने में केंचुए की खाद बनकर तैयार हो जाएगी और आपको आमदनी मिलनी भी शुरू हो जाएगी.

खाद की खासियत

वर्मी कंपोस्ट को मिट्टी का अमृत कहना गलत नहीं होगा, क्योंकि साधारण गोबर में केंचुए की मदद से कई पोषक तत्व और कार्बनिक पदार्थों के अपघटन में मदद मिलती है. इससे बीजों का अंकुरण बेहतर ढंग से होता है और पौधों की पैदावार तेजी से होने लगती है. वर्मीकंपोस्ट से पौधों की वृद्धि बढ़ाने वाले हार्मोन्स का विकास होता और मिट्टी की संरचना में भी सुधार होता है. 

Usage of Compost Manure Fertilizer in different crops according different  time and quantity | Crop Management: अलग-अलग फसलों में कब और कैसे करें  वर्मीकंपोस्ट खाद का इस्तेमाल, यहां जानें
इसकी मदद से मिट्टी में पानी और पोषक तत्वों को सोखने की क्षमता का भी विकास होता है और मिट्टी के कटाव से मुक्ति मिलती है. पारंपरिक खाद की तुलना में वर्मीकंपोस्ट मिट्टी और वातावरण नाइट्रोजन का स्थिरीकरण बढ़ाती है. खेतों में वर्मीकंपोस्ट के इस्तेमाल रासायनिक उर्वरकों की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे पर्यावरण अनुकूल खेती को बढ़ावा मिलता है.

यह भी पढ़ें: क्या होती है प्राकृतिक खेती, सरकार क्यों दे रही इस पर जोर, जानें

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