Weather Alert In India: प्राकृतिक आपदाएं किसानों की फसलों को बर्बाद कर देती हैं. पिछले साल लू ने गेहूं की फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया था. बाद में बाढ़, सूखा, बारिश ने परेशान किया. इस साल मार्च और अब अप्रैल में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं. किसान मौसम को लेकर अलर्ट रहें. इसको लेकर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) किसानों को चेताता रहता है. मई में किन राज्यों में लू चलेंगी, कहां बारिश होगी. इसको लेकर मौसम विभाग ने पुर्वानुमान जारी किए हैं.


इन राज्यों में बारिश होने के आसार


आईएमडी के पूर्वानुमान अनुसार, कुछ राज्य लू की चपेट में आ सकते हैं तो कुछ में बारिश देखने को मिल सकती हैं. मई में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से और देश के पश्चिमोत्तर और पश्चिम-मध्य हिस्सों में सामान्य या अधिक बारिश हो सकती है. पूर्वाेत्तर क्षेत्र, केरल, आंध्र प्रदेश और दक्षिण कर्नाटक के कई भागों में सामान्य से कम बारिश होने का पूर्वानुमान है. मई में 61.4 मिलीमीटर की लंबी अवधि के औसत (एलएपी) की 91-109 प्रतिशत बारिश होने की संभावना जताई गई है. 


यहां दिख सकता है लू का प्रकोप


कुछ राज्यों में बारिश का पूर्वानुमान है तो वहीं कुछ राज्यों में बारिश हो सकती है. मौसम विभाग ने बिहार, झारखंड सबसे अधिक लू प्रभावित राज्य हो सकते हैं. ओडिशा, गांगेय पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश, तटीय आंध्र प्रदेश और उत्तरी छत्तीसगढ़ का कुछ हिस्सा भी लू की चपेट में आ सकता है. पूर्वी मध्य प्रदेश, तेलंगाना और तटीय गुजरात भी सामान्य से अधिक रह सकता है. 


मई में अल नीनो का दिख सकता है असर


मई में अल नीनो का प्रभाव भी देखने को मिल सकता है. भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में मौजूद तटस्थ अल नीनो का प्रभाव रह सकता है. साथ ही कई राज्यों में बारिश के साथ गर्मी भी देखने को मिल सकती है. अल नीनो या भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के गर्म होने का प्रभाव भारत में भी देखने को मिल सकता है. 


किसान भाई अलर्ट रहें


बारिश को देखते हुए किसान अलर्ट रहें. यदि बारिश नहीं हो रही है तो उससे पहले जल्द से जल्द कटाई कर लें. गेहूं को सेफ जगह पर ले जा सकते हैं या मंडी में बेच दें. इसके अलावा अन्य फसलों की भी कटाई कर लें. वहीं, यदि कोई फसल की बुवाई कर रहे हैं और बारिश अधिक होने के आसार हैं तो फसल की बुआई न करें. कम बारिश होेन की संभावना है तो बुआई कर लें. इससे अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ेगी. 


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