Weed Management in Paddy Crop: भारत में धान की खेती (Paddy Cultivation)  बड़े पैमाने पर की जाती है. ये खरीफ सीजन (Kharif Season)की प्रमुख नकदी फसल तो है ही, साथ ही किसानों को इससे अच्छी आमदनी भी होती है. धान की फसल से अच्छा उत्पादन (Rice Production) लेने के लिये जरूरी है कि समय रहते सारे प्रबंधन कार्य किये जायें, जिसमें खरपतवार प्रबंधन (Weed MAnagement) करना भी शामिल है. बता दें कि खरपतवार ऐसे अनावश्यक पौधे होते हैं, जो धान की फसल में अपने आप उग जाते हैं. ये पौधे धान की फसल से पोषण सोखकर बड़े होते हैं. ये धान के पौधों के विकास को रोकते ही हैं, साथ ही कीट और बीमारियों को भी न्यौता देते हैं. 


यही कारण है कि इनका समय पर नियंत्रण (Weed control in Paddy Crop )कर लेना चाहिये, ताकि ये फसल का उत्पादन और उत्पादकता को प्रभावित न कर सके. बता दें कि खरपतवार दो तरीके के होते हैं-धास और नरकट. इन दोनों का ही समाधान जैविक और रासायनिक विधियों से कर सकते हैं.




रासायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण (Chemical method for Weed Management)
बडे पैमाने पर धान की खेती करते समय ज्यादा संख्या में खरपतवार निकल आते हैं, जिन्हें साधारण जैविक विधि से निपटाना काफी मुश्किल हो जाता है. इसमें श्रम की काफी खपत होती है. ऐसी स्थिति में तुरंत समस्या का समाधान करने के लिये कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर रासायानिक दवाओं की मदद से खरपतवार नियंत्रण का काम किया जाता है.



  • इसके लिये प्रमाणित खरपतवारनाशी दवाओं को बुवाई से पहले जुताई के दौरान मिट्टी में मिलायें, जिससे फसल के पैदा होते समय खरपतवार ना उग पायें.

  • धान की नर्सरी में भी खरपतवार नियंत्रण के लिए प्रेटिलाक्लोर 7% ई०सी० की 500 मिली मात्रा में 5 से 7 किग्रा. बालू मिलाकर मिश्रण तैयार करें. इस मिश्रण को नर्सरी तैयार करने के 2 से 3 दिन बाद नमी बनाकर इस्तेमाल करना चाहिये.  

  • सीधी बिजाई वाली फसल में भी खरपतवारों की काफी समस्या देखी जाती है. ऐसे में प्रेटिलाक्लोर 7% ई०सी० की 1.25 लीटर मात्रा नापकर 500 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाये. इस घोल को सीधी बिजाई के 2 से 3 दिन के अंदर प्रति हेक्टेयर फसल में नमी बनाकर छिड़काव करें.

  • धान की रोपाई वाली फसल में नरकट खरपतवार उगने पर ब्यूटाक्लोर 50% ई०सी० 3 से 4 लीटर मात्रा या एनीलोफास 30% ई०सी० की 1.25 से 1.50 लीटर मात्रा या फिर प्रेटिलाक्लोर 50% ई०सी० दवा की 1.60 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर फसल पर छिड़काव कर सकते हैं.



इस तरह करें जैविक खरपतवार नियंत्रण (Organic Method of Weed Management)
धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed Control by Organic Method) करने का सबसे आसान तरीका है कि किसान खुद ही खुरपी और फावड़े की मदद से निराई-गुड़ाई का काम करते रहें. ये काम करते समय फसल से खरपतवारों को जड़ समेत उखाड़कर खेत के फेंक देना चाहिये. बता दें कि निराई-गुड़ाई करने से फसल की जड़ों में ऑक्सीजन का संचार बढ़ता है और पौधे तेजी से बढ़ने लगते हैं.



  • फसल में खरपतवारों के अग्रिम समाधान के रूप में गर्मी और धूप के समय ही मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करनी चाहिये.

  • हरी खाद (Green Manure)का इस्तेमाल, जैविक विधि से खेती(Organic Farming), कंपोस्ट खाद का प्रयोग (Compost for Paddy)और अलग-अलग फसल चक्र (Different Crop Cycle) अपनाने से भी खरपतवारों की समस्या का काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं.

  • किसान चाहें तो गोबर की खाद, गौमूत्र, नीम की खली(Neem cake), कंपोस्ट खाद(Vermi Compost), राख से बनी हुई खाद, शिवंश खाद और जीवामृत (Jeevamrit) का इस्तेमाल करेक भी खरपतवारों की संख्या को कम कर सकते हैं.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


इसे भी पढ़ें:-


Farming Technique: बाढ़ग्रस्त इलाकों में भी खेती कर सकेंगे किसान, अच्छा उत्पादन दिलायेंगी खेती की ये खास तकनीकें


Trichoderma Fungus: एक फंगस से दूर होगी फसल की बीमारियां, इस तरह फसलों के लिये वरदान बना ट्राइकोडर्मा