Agriculture Advisory: गेहूं देश की प्रमुख खाद्यान्न फसल है, जिसमें समय पर खरपतवार नियंत्रण कार्य होना बेहद आवश्यक है. खरपतवार कुछ और नहीं बल्कि फसलों के विकास में बाधा बनने वाले पौधे ही होते हैं. ये पौधे फसल का सारा पोषण सोख लेते हैं. फसल में कीट-रोगों के बढ़ते प्रकोप का कारण भी ये खरपतवार ही हैं. इनका समय पर नियंत्रण आवश्यक है, वरना ये फसल की उत्पादकता को 40 से 60 फीसदी तक कम कर सकते हैं. इन पौधों के नियंत्रण के लिए खेत में निराई-गुड़ाई और निगरानी का काम जारी रखे. खासतौर पर गेहूं की फसल में खरपतवार नजर आते ही खेत से निकालकर बाहर फेंक दें. यदि खरपतवारों का प्रकोप अधिक है तो कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर खरपतवारनाशी दवाओं का छिड़काव कर दें, जिससे फसल की सुरक्षा और उत्पादकता भी कायम रहेगी.


क्या हैं ये खरपतवार
जानकारी के लिए बता दें कि फसल में संकरी पत्ती या चौड़ी पत्ती वाले दो तरीके के खरपतवार होते हैं. गेहूं की फसल में मोथा, बथुआ, सेंजी, जंगली पालक, अकरी, जंगली मटर, दूधी, कासनी, गुल्ली डंडा, खरतुवा, हिरनखुरी कृष्णनील का प्रकोप अधिक देखा गया है. इन खरपतवारों के नियंत्रण के लिए इन उपाय को अपनाना फायदेमंद साबित हो सकता है.


खरपतवार नियंत्रण के उपाय
खेतों में गेहूं की बुवाई से पहले मिट्टी में गहरी जुताई लगाने की सलाह दी जाती है, जिससे खरपतवार की संभावना को कम किया जा सके.



  • गेहूं की फसल में हर 10 से 15 दिन में निगरानी और निराई-गुड़ाई का काम करते रहें.

  • शाम के समय हल्की सिंचाई करें, जिससे मिट्टी में नमी और पोषण कायम रहे और फसल की उत्पादकता  को बेहतर बनाया जा सके.

  • कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर बुवाई के 30-35 दिन बाद 120-150 लीटर पानी में फ्लैट - फैन नाजिल से प्रति एकड़ पर छिड़काव कर सकते हैं.

  • गेहूं की बुवाई करने से पहले बीजों का उपचार करें. साथ ही खरपतवार बीज रहित गेहूं का ही खेती में इस्तेमाल करें.

  • अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिकों से भी संपर्क कर सकते हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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