Weekly Agriculture Advisory for Farmers: किसान चिंतामुक्त होकर खेती-किसानी (Agriculture Works) से जुड़े सारे काम निपटा सकें. इसके लिये हमारे कृषि वैज्ञानिक समय-समय खेती से जुड़ी सावधानियां (Precautions in Agriculture) और सलाह साझा करते रहते हैं. इसकी मदद से किसानों को जोखिमों से बचकर खेतों में कृषि कार्य करने में खास मदद मिलती है.


इस सप्ताह भी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR-IARI, Delhi) के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि बारिश में कीटनाशकों का छिड़काव (Pesticide Spray) और पोषण प्रबंधन करने से बचे. सब्जियों की नर्सरी और खेत में खड़ी फसलों में निगरानी कार्य करते रहे. इसके अलावा, बारिश की मार से फसलों को बचाने के लिये जल निकासी की व्यवस्था जरूर कर लें.


धान की खेती में सावधानी
इस समय धान की फसल में पोषण प्रबंधन और निगरानी की सख्त जरूरत होती है, क्योंकि जिंक की कमी के कारण धान की पत्तियां पीली पड़ने लगते हैं और कमजोर हो जाती है. ऐसी स्थति में मौसम साफ होते ही जिंक सल्फेट (हेप्टा हाइडेट्र 21%) का छिड़काव कर लेन चाहिये. धान की फसल में तना छेदक कीट की निगरानी करते रहें और इसके लक्षण दिखते ही नीम आधारित कीटनाशक का छिड़काव या फिरोमोन ट्रैप 3 से 4 प्रति एकड़ भी लगा सकते  हैं.


खरपतवारों से सुरक्षा
इस समय फसलों में बेकार पौधे यानी खरपतवार उगा आते हैं, जो फसलों से पोषण सोखकर कीट-रोगों को आकर्षित करते हैं. इसकी रोकथाम के लिये निराई-गुड़ाई का काम करते रहे. खतरपतवार दिखते ही उन्हें जड़ समेत उखाड़कर खेत के बाहर फेंक दें. खासकर बाजरा, मक्का, सोयाबीन और सब्जियों में इनकी रोकथाम के लिये लगातार निगरानी करते रहें.


पशुओं के लिए करें चारे की बुवाई
ये समय ज्वार की चारा फसलों की बुवाई के लिये सबसे उपयुक्त है, इसलिये ज्वार चारे की उन्नत किस्मों का चयन करके प्रति हैक्टेयर खेतत में 40 किग्रा. बीजों को लगा दें. चाहें तो पूसा चरी-9, पूसा चरी-6 जैसी अच्छी पैदावार वाली संकर किस्मों को भी चुन सकते हैं.


दलहनी फसलों में प्रबंधन
देश के ज्यादातर किसानों ने खरीफ सीजन की मूंग और उड़द समेत कई दलहनी फसलों की बिजाई की है. इन फसलों में कीट-रोगों की निगरानी करते रहे. खासकर इस समय दलहनी फसलों में कैटर पीलर का प्रकोप बढ़ जाता है, जिनकी रोकथाम के लिये फेंभरलेट 0.4% को 25 लीचचर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें.



  • मक्का की फसल में खरपतवारों से निगरानी करते रहें और पौधों की बढ़वार के लिये लगातार निराई-गुड़ाई का काम करते रहें.

  • मूंगफली की फसल पर मिट्टी चढ़ाने का काम करें, जिससे बारिश का पानी जड़ों में ना भर पायें और फसल सुरक्षित रहे.


सब्जी फसलों में प्रबंधन कार्य
अभी भी झमाझम बारिश का दौर जारी है, इसलिये जिन किसानों ने अपने खेतों में सब्जी फसलें लगाई हैं, वे जल निकासी की व्यवस्था करें. बता दें कि खेतों में पानी भरने से जड़ गलन लोग और फफूंदी रोग की संभावना बढ़ जाती है, जिसकी रोकथाम के लिये खेतों में नालियां बनायें. 



  • यह समय गाजर, टमाटर, हरी मिर्च, बैंगन व अगेती फूलगोभी, ग्वार, वर्षाकालीन प्याज, स्वीट कोर्न, बेबी कोर्न की खेती के लिये उपयुक्त है. इसलिये समय देखते ही इन फसलों की नर्सरी (Vegetable Nursery in August) डालें और बुवाई-रोपाई का काम करें.

  • मधुमक्खियों की कॉलोनी (Honey Bee Unit)  लगाने के लिये भी मौसम काफी अच्छा है. इसलिये सब्जी फसल, मक्का, ज्वार, बाजरा और फूलदार फसलों के साथ मधुमक्खी पालन (Bee Keeping, Honey Farming)  को बढ़ावा दें.

  • इस समय सब्जी फसलों में कीट-रोगों के लक्षण दिखने पर जैविक कीटनाशकों (Organic Pesticide Spray)का छिड़काव करें. साथ ही पौधों की अच्छी बढ़वार के लिये फसल पर यूरिया का भी छिड़काव (Urea Spray on Crop) कर सकते हैं.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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