Rain Based Advisory for Farmers: खरीफ सीजन में बारिश आधारित खेती (Rain based Farming) करने पर फसलों का बेहतर उत्पादन मिलता है, लेकिन जरूरत से अधिक बारिश उपज की क्वालिटी को खराब कर देती है. इस समस्या से फसलों को बचाने के लिये जरूरी है कि मानसून में सभी कृषि कार्य (Farming Works in Rain)सावधानी से किये जायें. इस काम में किसानों की सहायता करने के लिये भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department) ने ज्यादातर राज्यों के लिये एडवायजरी (Rain Advisory)जारी की है, जिसके तहत अपने इलाके में बारिश की अपडेट और उसके अनुसार कृषि कार्य कर सकते हैं.


भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की एडवायजरी का पालन करने पर बारिश के कारण फसल में होने वाले जोखिमों को कम किया जा सकता है.




उत्तराखंड के किसानों के लिये एडवायजरी (Monsoon Advisory for Farmers)
भारतीय मौसम विभाग ने उत्तराखंड राज्य के ज्यादातर जिलों में बारिश का अनुमान दर्ज किया है. ऐसी स्थिति में किसानों को सलाह है कि वे खेतों में पानी जमा न होने दें और समय रहते जल निकासी का प्रबंध कर लें.



  • धान की फसल (Advisory for Paddy Cultivation)के लिये जरूरी है कि बांधों को मजबूत रखें. धान के पौधों की रोपाई 2 से 3 सप्ताह बाद हाथ से निराई-गुड़ाई का काम करना फायदेमंद रहेगा.

  • जिन किसानों ने अदरक की फसल (Ginger Farming) लगाई है, वे सड़े हुये मल्चों को निकालकर फेंक और फसल में जल निकासी का प्रबंध करें.

  • फूलगोभी की खेती (Cauliflower Cultivation) करने वाले किसान रोपाई के बाद खेतों में कीड़े और रोगों की निगरानी करें और खेत से पानी को बाहर निकालने की व्यवस्था करें.

  • मक्का की खेती (Maize Cultivation) करने वाले किसान इसकी बुवाई मेड़ों पर करें. अगेती मक्का की खेती  करने वाले किसान खेत में जल निकासी, निराई-गुड़ाई और फसल के 2 फीट बड़े होते ही उसकी टॉप ड्रेसिंग कर दें.




  • पहाड़ों में बागवानी फसलों (Fruit & Vegetable Crops)की खेती करने वाले किसान बारिश से पहले ही फलों की तुड़ाई कर लें और बागों में जल निकासी का प्रबंधन करें

  • समय रहते भिंड़ी की बुवाई (Okra Farming)  का काम पूरा करें और अगेती भिंडी की फसल में जल निकासी, निराई-गुड़ाई और पोषण प्रबंधन जैसे कार्य निपटा लें.

  • ध्यान रखें कि बारिश के दौरान खेतों में कीटनाशक या कवकनाशी दवाओं को छिड़काव न करें.

  • बारिश रुकने के बाद ही सुबह या शाम के समय कीट-रोग नियंत्रण के कार्य करें.

  • बारिश में पोषण प्रबंधन (Nutrition Management in crop)करने से बचना चाहिये, क्योंकि जरूर पोषक तत्व पौधों को नहीं मिल पाते और पानी के साथ खेत से बाहर निकल जाते हैं या मिट्टी के साथ रिस जाते हैं.

  • बागवानी या पारंपरिक फसलों की बुवाई से पहले बीजोपचार (Seed Treatment) का काम जरूर कर लें, इससे कीड़े-बीमारियों के जोखिमों को कम किया जा सकता है.

  • जितना हो सके जैविक खाद (Organic Fertilizer), जैव उर्वरक और जैविक कीटनाशकों (Organic Pesticides) को ही फसल में प्रयोग करें.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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