Mid Day Meal: सरकारी स्कूलों में चिकन और फल खाकर हेल्दी होंगे बच्चे, इस राज्य सरकार ने बनाया खास प्लान
पश्चिम बंगाल सरकार ने सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को अतिरिक्त पौष्टिक आहार देने के लिए नई पहल की है. बच्चों को मिड डे मील में दाल, चावल, रोटी के साथ अंडा, चिकन और मौसमी फल भी दिया जाएगा.
Mid Day Meal In West Bengal: सरकारी स्कूलों में मध्याहन भोजन वितरण के लिए केंद्र सरकार की मिड डे मील योजना बेहद महत्वपूर्ण योजना है. इन स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों के सामने भोजन का संकट नहीं आता है. वह स्कूल में रहकर ही पढ़ाई कर लेते हैं, साथ ही पौष्टिक आहार ले लेते हैं. नौनिहालों को पौष्टिक डाइट मिले. इसको लेकर राज्य सरकार की ओर से भी कदम उठाए जाते हैं. अब ऐसा ही बड़ा कदम पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से उठाया गया है.
बजट के लिए 371 करोड़ रुपये मंजूर
पश्चिम बंगाल सरकार ने इसको लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. सरकारी स्कूलों में बच्चों को अतिरिक्ति पोषण दिया जाएगा. अभी तक आलू, चावल, सोयाबीन, दाल मिड डे मील में दिया जा रहा है. नए नोटिफिकेशन के अनुसार, बच्चों को पुरानी डाइट के अलावा चिकन, अंडे और मौसमी फल भी बच्चों को दिया जाएगा. पश्चिम बंगाल सरकार के स्तर से योजना के लिए 371 करोड़ रुपये का बजट आवंटित कर दिया है.
जनवरी से अप्रैल तक चलेगी योजना
पश्चिम बंगाल सरकार ने योजना की अवधि 4 महीने तक रखी गई है. योजना जनवरी से ही शुरू कर दी गई है और यह अप्रैल 2023 तक चलेगी. हालांकि इसके बाद योजना का संचालन हो पाएगा या नहीं. इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. वहीं पंचायत चुनाव से ठीक पहले मिड डे मील में चिकन, फल की घोषणा को विपक्ष ने राजनीतिक स्टंट बताया है.
1.16 करोड़ बसे अधिक छात्र खाएंगे भोजन
पश्चिम बंगाल सरकार ने 3 जनवरी को अधिसूचना जारी की. प्रत्येक छात्र को अतिरिक्त पोषण देने के लिए प्रत सप्ताह 20 रुपये की धनराशि अधिक खर्च की जाएगी. यह 16 सप्ताह तक चलनी है. पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में 1.16 करोड़ छात्र योजना का लाभ उठाएंगे.
राज्य सरकार उठाएगी अतिरिक्त पोषण का पूरा खर्च
केंद्र सरकार की जो भी योजनाएं संचालित होती हैं. उनके संचालन में केंद्र सरकार फंडिंग कर मदद करती है. मिड डे मील वितरण में भी केंद्र सरकार बड़ा फंड देती है. यह फंड 60 और 40 के अनुपात में दिया जाता है. मिड डे मील का 60 प्रतिशत केंद्र देता है, जबकि 40 प्रतिशत राज्य सरकार खर्च करती हैं. लेकिन मौजूदा समय में अतिरिक्त पोषण की जो घोषणा की गई है. उसका पूरा खर्च राज्य सरकार ही उठाएगी.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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