आपने सर्दी के मौसम में अक्सर सुना होगा. पाला पड़ा-पाला पड़ा लेकिन आखिर ये होता क्या है, आज हम आपको बताएंगे. दरअसल, पाला पड़ना एक ऐसी मौसमी घटना है जिसमें वातावरण का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या फिर उससे भी नीचे पहुंच जाता है. इस तापमान पर मौजूद जलवाष्प ठोस रूप में जम जाती है. पाला जमीन, पेड़-पौधों और अन्य वस्तुओं पर बर्फ की चादर के रूप में दिखता है.


शहरी इलाके में पाला कम पड़ता है क्योंकि यहां के वातावरण में जलवाष्प की मात्रा कम होती है. शहरों में पेड़-पौधों की संख्या भी कम होती है, जिस वजह से पाला पड़ने की संभावना कम रहती है. साथ ही शहरों में हवा अधिक चलती है, जिससे पाला जमने का समय कम होता है. लेकिन गांवों में और जिन इलाकों में खेती किसानी अधिक होती है वहां पाले की समस्या ज्यादा देखी जाती है. जिससे फसल को बचाने के लिए किसान नीचे दिए गर कुछ उपाय कर सकते हैं.


ये काम हैं जरूरी 


पाले की समस्या से फसलों को बचाने के लिए उसे ढक दें. फसलों को प्लास्टिक की चादर, भूसे या अन्य पदार्थों से ढक देने से उन्हें पाले से बचाया जा सकता है. किसान भाई इस दौरान फसलों को सिंचाई जरूर करें. फसलों को सिंचाई करने से फसलों का तापमान बढ़ता है और उन्हें पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है. फसलों के लिए सही बीज का चुनाव करना जरूरी है. पाले से प्रभावित होने वाली फसलों के लिए पाले से प्रतिरोधी बीज का चुनाव करना चाहिए.


ये हो सकते हैं नुकसान



  • फूल और फल झड़ सकते हैं.

  • पत्तियां सूख सकती हैं.

  • फसलों की वृद्धि रुक सकती है.

  • फसलों में रोग लग सकते हैं.


यह भी पढ़ें- काली मिर्च की खेती कर किसान भाई हो सकते हैं मालामाल, इस राज्य में होता है सबसे ज्यादा उत्पादन