Farmer Definition: आज के आधुनिक दौर में पूरी दुनिया किसानों की अहमियत समझने लगी हैं. अन्न के हर एक दाने के लिए अन्नदाता किसान के योगदान को सराहा जा रहा है. हर रोज किसानों की बात होती है. किसान भी अपने अधिकार क्षेत्र से रूबरू हो चुके हैं और अपने हक के लिए आगे आकर बात करते हैं. सरकार भी किसानों के हित में अहम फैसले ले रही है. किसानों को आगे बढ़कर प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन इस बीच सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर किसान किसे माना जाए, हालांकि ये कोई विवाद का मुद्दा नहीं है, लेकिन जब भी किसानों के हक की बात होती है तो ये पहला सवाल है, जो हर किसी के दिमाग में आता है कि आखिर किसान कौन है? किसान बनने के लिए क्या काम करना होगा? किसान का क्या रोल है? क्या हम भी किसान बन सकते हैं?


इन सभी सवालों के बीच सबसे बड़ा सवाल- सरकार के हिसाब से कौन होता है 'किसान'. वैसे तो देश की ज्यादातर कृषि योजनाएं और नीतियां खुद की जमीन पर खेती करने वाले किसानों के लिए ही है, लेकिन क्या सरकार इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी किसान का दर्जा देती है. इस आर्टिकल में आप यही जानेंगे.


क्या है किसान की परिभाषा
ये सवाल इतना भी पेचीदा नहीं है, जो कोई अन्न की अहमियत समझता है, उसके लिए अन्नतदाता की परिभाषा समझना भी आसान होता है. वैसे को किसान सिर्फ हमारा पेट ही नहीं भरते. इनके जीवन पर एक नजर डालें तो संघर्षों के बीच आशा के साथ सरलतापूर्वक जीवन जीने का सलीका भी किसान से सीख सकते हैं. किसान वही है, जो अच्छे परिणाम की उम्मीद में अन्न उपजाते हैं.


कभी अच्छा उत्पादन मिल जाए तो त्यौहार और यदि नुकसान हो जाए तो दोबारा हिम्मत बांधकर खेत-खलिहानों में पसीना बहाने पहुंचा जाते हैं. साल 2020, 23 सिंतबर को लोकसभा में भी एक ऐसा ही सवाल उठा कि सरकार किसे किसान मानती है. उस समय एमपी सतीश चंद्र दुबे के सवाल पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान की परिभाषा पूरे देश को बताई.


सरकार के हिसाब से कौन होता है 'किसान'?
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पूरे सदन के माध्यम से देश को बताया कि "किसान वो व्यक्ति है, जो सक्रिय होकर आर्थिक या आजीविका गतिविधियों के लिए फसल उपजाता है.प्राथमिक कृषि उत्पादों का उत्पादन लेता है.


राष्ट्रीय किसान नीति, 2007 का हवाला देकर कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों की श्रेणी में सभी  भू-जोत व खेती, कृषि मजदूर, बटाईदार, किराएदार, पॉल्ट्री किसान, दुधारु पशुपालक, मधुमक्खी पालक, बागवानी, चरवाहे, गैर-व्यावसायिक बागान मालिक, बागान मजदूर, सेरीकल्चर(रेशम कीट पालन), वर्मीकल्चर (केंचुआ पालन) और कृषि-वानिकी से जुड़ा हर व्यक्ति इस परिभाषा में आता है.


इतना ही नहीं, किसानों की श्रेणी में आदिवासी परिवार या खेती के साथ संग्रहण आदि का काम करने वाले लोग भी शामिल है. माइनर और नॉन टिंबर फॉरेस्ट प्रोड्यूस का इस्तेमाल और बिक्री करने वाले भी किसानों की गिनती में आते हैं.


किसे मिलता है 'विशेष किसान' का दर्ज 
आपको बता दें कि राष्ट्रीय किसान नीति में किसानों के संरक्षण और संवर्धन की बात भी कही गई है, ताकि कृषि क्षेत्र का विकास-विस्तार किया जा सके. इस मामले में साल 2006, अक्टूबर में प्रो.एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय किसान आयोग (NCF) ने एक निर्णायक ड्राफ्ट डोक्यूमेंट भी सरकार को सौंपा था, जिसे 11 सितंबर 2007 को मंजूर किया गया.


इसके बाद राष्ट्रीय किसान नीति, 2007 में विशेष किसान श्रेणी का परिचय दिया गया. इस नीति के मुताबिक, विशेष श्रेणी के किसानों की लिस्ट में सबसे पहले आदिवासी आते हैं. इसके अलावा, किसानों में आर्थिक तौर पर कमजोर, हाशिए पर और हर तरह के लाभ से वंचित तबके का किसान भी विशेष किसान की श्रेणी में आता है, जो अपनी आजीविका के लिए वन और पशुपालन पर निर्भर है. इनके संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता है.


किसान की असली परिभाषा पर कितना हुआ अमल?
बेशक सरकार ने कृषि, बागवानी और वानिकी गतिविधियों से आजीविका कमाने वाले तबके को किसान माना है, लेकिन किसान की ये परिभाषा असल में काफी सीमित है. किसानों के लिए चलाई जा रहीं ज्यादातर कृषि योजनाओं में खेती योग्य जमीन के मालिक यानी खुद की जमीन पर खेती करने वाले किसानों को प्राथमिकता दी जाती है.


उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, जो सिर्फ कृषि क्षेत्र की ही नहीं, देश की सबसे बड़ी डीबीटी ट्रांसफर स्कीम है. इसमें भी 2 हेक्टेयर या उससे कम जमीन वाले किसानों को ही शामिल किया गया है.


ये योजना छोटे और सीमांत किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है, लेकिन बड़ी संख्या में बंटाईदार, खेतिहर मजदूर, भूमिहीन महिला किसान और बागवानी से जुड़े लोग पीएम किसान योजना का लाभ नहीं ले सकते. सिर्फ जमीन का मालिकाना हक रखने वाले किसान ही इस स्कीम का लाभ ले सकते हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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