किसानों की अच्छी उपज के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चला कर उनकी मदद करती है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भी इसी तरह की योजना है. इसके तहत किसान अपनी मिट्टी की जांच कराते हैं और फिर रिपोर्ट के आधार पर खेती करते हैं. ऐसा करने से खेती में उनकी लागत भी कम लगती है और उपज भी पहले के मुकाबले बढ़ जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब आपकी मिट्टी की जांच होती है तो यह पता चल जाता है कि आखिर मिट्टी में क्या कमी है और इसे कैसे सही करना है. इसके साथ साथ ये भी पता चल जाता है कि आखिर इस मिट्टी में कौन सी फसल बेहतर होगी.


कैसे बनता है ये कार्ड?


इस कार्ड को बनवाने के लिए आपको योजना की ऑफिशियल वेबसाइट soilhealth.dac.gov.in पर जाना होगा. इसके बाद होम पेज पर मांगी गई जानकारी भरकर Login के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा. पेज खुलने पर State यानी अपना राज्य चुनें और Continue के बटन पर क्लिक करना होगा. अगर पहली बार आवेदन कर रहे हैं तो नीचे Register New User पर क्लिक करें और रजिस्ट्रेशन फॉर्म भर दें. आपको इस रजिस्ट्रेशन फॉर्म में User Organisation Details, Language, User Details, User Login Account Details की जानकारी भरनी होगी. फिर फॉर्म में सभी जानकारी सही-सही भरकर आखिर में सबमिट के बटन पर क्लिक कर देना होगा. ऐसा करने के बाद लॉगिन करके मिट्टी की जांच के लिए आवेदन कर सकते हैं. आप चाहें तो हेल्‍पलाइन नंबर 011-24305591 और 011-24305948 पर भी कर कॉल सकते हैं या फिर आप helpdesk-soil@gov.in पर ई-मेल भी कर सकते हैं.


इस कार्ड से लाभ क्या है?


मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत कोई भी भारतीय किसान मिट्टी की जांच करवा सकता है. इस कार्ड की मदद से किसान पता लगा सकते हैं कि मिट्टी में किन पोषक तत्वों की कमी है, पानी कितना इस्तेमाल करना है और किस फसल की खेती करने से उन्हें लाभ मिलेगा. कार्ड बनने के बाद किसानों को मिट्टी की सेहत, उत्पादक क्षमता, मिट्टी में नमी का स्तर, क्वालिटी और मिट्टी की कमजोरियों को सुधारने के तरीकों के बारे में बताया जाता है. मिट्टी की जांच के लिये देशभर में मृदा जांच 


इनके लिए प्रयोगशालाएं भी लगवाई गई हैं


किसानों के खेत की मिट्टी जांच के लिए हर जगह प्रयोगशालाएं लगवाई गई हैं. इन प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों द्वारा जांच के बाद मिट्टी के गुण-दोष की लिस्ट तैयार की जाती है. इसके साथ ही इस सूची में मिट्टी से जुड़ी जानकारी और सही सलाह मौजूद होती है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार खेती करने से फसल की उत्पादन क्षमता और किसानों की आय में बढ़ोतरी तो होती ही है, इसके साथ साथ खाद के उपयोग और मिट्टी का संतुलन बनाने में भी मदद मिलती है.


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