Wheat Production In India: देश में अनाज की कमी नहीं है. न ही इसके भंडारण की कमी है. अब केंद्र सरकार के जो ताजा आंकड़े सामने आए हैं कि उनमें भारत में अनाज उत्पादन की स्थिति बेहतर बताई जा रही है. देश में गेहूं, तिलहन और अनाज का रकबा बहुत तेजी से बढ़ा है. इसको लेकर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने आंकड़े जारी किए हैं. लेकिन एक चिंताजनक बात यह है कि अनाज की आपूर्ति कम होने के चलते आटे की कीमतें पिछले एक साल में बढ़ी हैं.  


14 लाख हेक्टेयर बढ़ा गेहूं का रकबा
देश में गेहूं का भरपूर भंडार है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में रबी की फसल के क्षेत्रफल में 24.13 लाख हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. पिछले साल इसी पीरियड में 138.35 लाख हेक्टेयर की बुवाई हुई थी, जबकि इस साल यह 152.88 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की जा चुकी है. देश में गेहूं उत्पादक प्रमुख राज्यों में बढ़ोत्तरी हुई है.  वहीं गेहूूं क क्षेत्रफल की बात करें तो इसमें 14.53 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है. विशेष यह है कि यह आंकड़ा पिछले 4 सालों में सबसे अधिक है. 


वर्ष 2021 में घट गया था गेहूं का उत्पादन
केंद्र सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, इस साल गेहूं की बुवाई के आंकड़े बढ़ गए हैं. वहीं वर्ष 2021-22 में गेहूं का उत्पादन घट गया था. एक साल पहले जहां उत्पादन 109 मिलियन टन था. वहीं 2021-22 में यह 106 मिलियन टन हो गया. वहीं, केंद्र सरकार ने रबी पफसलों की अच्छी बुवाई की स्थिति देख अनुमान गया है कि वर्ष 2023 के अंत तक केंद्र सरकार के पास 11.3 मिलियन टन गेहूं और 23.6 मिलियन टन चावल होगा. 


बढ़ गई हैं आटे की कीमतें
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अनाज की कीमतों में तेजी का असर आटे पर साफ तौर पर दिख रहा है. पिछले एक साल में गेहूं के आटे की कीमत 17 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं. मिलरों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि भंडारण केंद्रो ंसे अनाज जारी कर दिया जाए. इससे आटे की कीमतों पर लगाम कस सकेगी. आलम यह है कि कम आपूर्ति के चलते गेहूं के आटे की कीमतें 36.98 रुपये प्रति किलोग्राम हैं. जबकि रिटेल में यह 37.96 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है. 


यूक्रन युद्ध का भी दिखा असर
यूक्रेन और रुस के मध्य चल रहे युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है. खास तौर पर इकॉनामिक लेवल पर नुकसान देशों को हुआ है. यूक्रेन युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय गेहूं की कीमतें बढ़ गईं. भारत के गेहूं के लदान में तेजी आई. अधिक एक्सपोर्ट बढ़ने के कारण घरेलू स्तर पर कीमतों में बढ़ोत्तरी होने लगी थी. इससे गेहूं के महंगा होने के आसार बढ़ गए थे. गेहूं के महंगा होने का असर आम लोगोें की जेब पर पड़ता, इसलिए केंद्र सरकार ने आनन पफानन में एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी थी. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.



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