Wheat Cultivation: हिमाचल में किसान झटपट इन बीजों की कर लें बुआईं, बंपर होगी पैदावार, साइंटिस्ट ने दिए सुझाव
देश के अलग-अलग राज्यों में रबी सीजन की फसलों की बुआई शुरू हो गई है. हिमाचल में साइंटिस्ट ने गेहूं व अन्य फसलों के बीजों के नाम सुझाए हैं. किसान इन बीजों का प्रयोग कर सकते हैं.
Wheat Cultivation Management: Rabi Crop की बुआई का मौसम शुरू हो गया है. किसान मार्केट जाकर बीज खरीद रहे हैं. वहीं काफी किसान सरकारी ब्लॉक से सब्सिडी पर अलग-अलग फसलों के बीज लेकर आ रहे हैं. हिमालयी इलाकों में भी फसलों की बुआई पर काम शुरू हो गया है. हिमाचल के साइंटिस्ट ने किसानों को सलाह दी है कि रबी फसलों की बंपर पैदावार पाने के लिए बीजों का चयन बेहतर होना चाहिए. किसान हर बीज को बिल्कुल न बोए. इससे उत्पादन पर फर्क पड़ेगा. कई बीज भूमि की उर्वरता को भी नुकसान पहुंचाते हैं.
गेहूं के लिए इन बीजों की करें बुआईं
रबी सीजन चल रहा है. बीजों की बुआई के लिए मौसम अनुकूल हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के साइंटिस्ट ने किसानों को गेहूं के बीजों का सही चयन कर बिजाई करने की सलाह दी है. साइंटिस्ट के अनुसार, निचले क्षेत्रों के किसान एचपीडब्ल्यू-368 एचपीडब्ल्यू-236, वीएल-907, एचएस-507, एचपीडब्ल्यू-349 एचएस-562 व एचपीडब्ल्यू-155 किस्मों को बो लें. मध्यवर्ती क्षेत्रों के किसान एचपीडब्ल्यू-249, एचपीडब्ल्यू-236, वीएल-907 किस्मों की बुआई कर लें. किसान 100 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल करें. यदि बिजाई सितंबर के अंत या अक्टूबर की शुरुआत में कर ली है तो खरपतवार कैमिकल का छिड़काव अवश्य कर दें.
बुआई करते समय रखें बेहतर दूरी का ध्यान
निचले व मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में प्याज की अच्छी प्रजाति पालम लोहित, पटना रेड, नासिक रेड, पूसा रेड व संकर किस्मों की बुआई की जा सकती है. अच्छी फसल पाने के एग्रीकल्चर एक्सपर्ट की सलाह अवश्य ले लें. इन क्षेत्रों में लहसुन की बुआई भी की जा सकती है. निचले व मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में मटर की अच्छी प्रजाति पालम समूल, पीवी-89, जीएस-10, आजाद पी- 1 एवं आजाद-पी- 3 की बिजाई कर लें. मूली, गाजर व शलजम पौधे की छंटाई कर लें और पौध लगाते समय बीच की दूरी का बेहतर ध्यान रखें.
फसल सुरक्षा के लिए कीटनाशकों का प्रयोग कर लें
फसलों पर कीट या फफूंद अटैक कर देते हैं. इनसे बचाव के लिए कीटनाशकों का छिड़काव जरूरी है. कीट सफेद सुंडी, कटुआ कीट व दीमक भी फसलों को नुकसान पहुंचा देते हैं. गेहूं, चना व मटर की बुआई से पहले क्लोरपाइरीफास 20 ईसी (2 लीटर) को रेत (25 किग्रा) में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में मिला दें. गोभी को कटुआ कीट से बचाने के लिए छिड़काव करें. तोरिया व अन्य सरसों वर्गीय फसलों में तेला कीट हमला कर सकता है. इससे बचाव के लिए मैलाथियान प्रयोग करें. एक्सपर्ट का कहना है कि कोई भी कीटनाशक या कैमिकल प्रयोग करते समय एग्रीकल्चर साइंटिस्ट या विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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