Wheat Procurement In India: देश के कई राज्यों में गेहूं की कटाई शुरू हो गई है. कटाई के बाद मौसम को देखते हुए किसान तुरंत ही मंडी में गेहूं बेचने के लिए पहुंच रहे हैं. वहीं, हाल में हुई बारिश और ओलावृष्टि से किसानों का काफी गेहूं भीग गया था. किसान परेशान था कि भीगे गेहूं को किस तरह मंडी में बेचा जाए. अब उसी को लेकर केंद्र सरकार की ओर से कदम उठाए गए हैं. गेहूं खरीद को लेकर भीगे गेहूं को जो नियम सख्त थे. अब केंद्र सरकार ने उनमें काफी ढील कर दी है. किसानों को गेहूं बेचने मेें उतनी परेशानी नहीं होगी. 


राज्यों में भीगे गेहूं खरीद को नियमों में दी ढील


मार्च महीने मेंमौसम बारिश, ओलावृष्टि से राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में गेहूं की फसल को खासा नुकसान पहुंचा था. किसानों का गेहूं बहुत अधिक भीग गया था. राज्य के किसान केंद्र सरकार से गेहूं खरीद में ढील देने की मांग कर रहे थे. अब तीनों के लिए राज्यों के लिए केंद्र सरकार के स्तर से गेहूं खरीद के लिए बनाए गए नियमों में ढील दी है. इसका मतलब है कि किसान बारिश से प्रभावित गेहूं को भी एमएसपी पर बेच सकेंगे. 


20 प्रतिशत तक भीगा गेहूं खरीदेंगी एजेंसियां


गेहूं खरीद को लेकर केंद्र सरकार परेशान है. केंद्र सरकार की कोशिश है कि पिछले साल के सापेक्ष किसी भी हाल में गेहूं खरीद न होने पाए. इसलिए सरकार की कोशिश है कि जैसा भी गेहूं बाजार में बिक्री के लिए पहुंच रहा है. उसे किसान से खरीद लिया जाए. नए नियमों के तहत एफसीआई व अन्य एजेंसियों से कहा गया है कि 20 प्रतिशत तक भीगा गेहूं एजेंसियां खरीद सकती हैं. 


11 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल प्रभावित


एक आंकड़ें के अनुसार, इस साल मार्च में हुई बारिश से देशभर में 11 लाख हेक्टेयर में बोई गई गेहूं की फसल प्रभावितत हो गई है. इससे 1.82 लाख किसान सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं. अब केंद्र सरकार ने राजस्थान में 20 प्रतिशत के भीगे गेहूं के हिसाब खरीद के लिए कहा गया है. मध्य प्रदेश सरकार भी इसी नियम पर काम कर रही है. वहां भी ढील दे दी गई है. 


पिछले साल से गेहूं खरीद का लक्ष्य बेहद कम


देश में गेहूं खरीद शुरू कर दी गई है. केंद्र सरकार ने रबी मार्केर्टिंग सीजन 2023-24 में 341.50 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया है. जबकि पिछले साल ये लक्ष्य 444 लाख मिट्रिक टन था. इस बार गेहूं खरीद खासी कम हो रही है. ऐसे में कम गेहूं खरीद से खुद केंद्र सरकार परेशान है. घरेलू खपत का प्रबंधन करना भी केंद्र सरकार के लिए चुनौती होगा. 



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