Wheat Production In India: देश में खरीफ सीजन पर मौसम की मार देखने को मिली. बाढ़, बारिश और सूखा ने किसानों को जमकर सताया. आपदा से किसानों की लाखों रुपये की फसलें बर्बाद हो गईं. इस साल रबी सीजन की बुवाई की हो चुकी है. पिछले कुछ दिनों में हुई तेज बारिश, ओलावृष्टि ने किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया है.
राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में किसानों की लाखों रुपये की फसलें बर्बाद हो गई हैं. किसान परेशान हैं कि फसलों को बचाव के लिए क्या इंतजाम किए जाए. पिछले कुछ दिनों से मौसम में गर्मी बढ़ी है. ऐसे में एक बार फिर फसल नुकसान का संकट किसानों के सामने उभरकर सामने आया है.
10 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया तापमान
अभी फरवरी चल रही है. आमतौर पर इन दिनों में मौसम में अधिक ठंड बनी रहती है. जिस तरह पिछले कुछ दिनों में मौसम में ठंडक बनी हुई थी. वो गेहूं के लिए मुफीद बताई जा रही थी. वहीं, पिछले कुछ दिनों में मौसम में बढ़ी गर्मी ने गेहूं किसानों की टेंशन बढ़ा दी है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक गर्मी कभी भी गेहूं के लिए अच्छी नहीं रही. सरसों, चना की उपज थोड़ी ठीक हो सकती है. लेकिन अधिक गर्मी होना या लू चलना नुकसानदेय साबित होता है.
उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड समेत अन्य राज्यों में 10 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ गया है. कुछ दिन पहले जहां न्यूनतम तापमान 3 से 4 डिग्री सेल्सियस था. अब वह 14 डिग्री सेल्सियस या और अधिक पहुंच गया है. जिस तरह देश में गेहूं की बंपर बुवाई हुई है. उससे रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद है. यदि लू चली या गर्मी अधिक हुई ता गेहूं पैदावार को खासा नुकसान हो सकता है.
पिछले साल लू से घटा था इतना उत्पादन
पिछले साल गेहूं उत्पादन को लेकर केंद्र सरकार के रिकॉर्ड सामने आए थे. केंद्र सरकार के रिकॉर्ड अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध और लू चलना गेहूं उत्पादन में कमी बड़ा कारण माना गया. इनमें भी गेहूं उत्पादन प्रभावित होने के पीछे लू चलना रहा. आंकड़ों के अनुसार, 15 दिसंबर तक केंद्रीय पूल में करीब 180 लाख टन गेहूं और 111 लाख टन चावल उपलब्ध था. सप्लाई कम होने क चलते फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में गेहूं उत्पादन घटकर 10 करोड़ 68.4 लाख टन रह जाना है. एक साल पहले यह वर्ष 10 करोड़ 95.9 लाख टन था. अब जो नई गेहूं खरीद की जानी है. उसकी शुरुआत अप्रैल 2023 से होगी.
इस साल 11. करोड़ टन गेहूं होने की उम्मीद
मौजूदा सत्र में रबी फसलों का रकबा तेजी से बढ़ा है. सवा 3 करोड़ हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फसलों की बुवाई हो चुकी है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान देश में गेहूं की फसल के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में से हैं. केंद्र सरकार ने अनुमान जताया है कि इस सत्र में 11.2 करोड़ टन गेहूं की फसल की उम्मीद है. ये पिछले साल की तुलना में 50 लाख टन ज्यादा होगा. गेहूं के उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी के तीन कारण माने गए. पहला खेती का रकबा थोड़ा बढ़ा है, दूसरा उपज के हिसाब से मौसम अभी तक सही रहा था. तीसरा, नई प्रजातियों के चलते गेहूं के रकबे में बढ़ोतरी हुई है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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