बढ़ती महंगाई आम लोगों से लेकर सरकार तक सभी के लिए चिंता का सबब बन रही है. ऐसे में सरकार की तरफ से कई बड़े फैसले लिए जा रहे हैं. अब सरकार ने गेहूं की कीमतों में स्थिरता और जमाखोरी रोकने के लिए गेहूं भंडारण की सीमा तय की है. थोक विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 3,000 टन होगी. जबकि प्रोसेसर के लिए यह प्रसंस्करण क्षमता का 70 प्रतिशत होगी. बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेताओं के लिए यह सीमा 10 टन प्रति बिक्री केन्द्र की होगी, जिसकी कुल सीमा 3,000 टन होगी व एकल खुदरा विक्रेताओं के लिए यह सीमा 10 टन की होगी.
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बताया है कि एकल खुदरा विक्रेता, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेता, प्रोसेसर और थोक विक्रेता हर शुक्रवार को अपने पास भंडारित गेहूं के स्टॉक का खुलासा करेंगे. उन्होंने कहा है कि वे देश में गेहूं की कमी को दूर करना चाहते हैं. उनका ये भी कहना है कि अभी गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध है और चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध की समीक्षा करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. सचिव ने कहा हम चाहते हैं कि गेहूं की कीमतें स्थिर रहें.
सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि थोक विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 3,000 टन होगी, प्रोसेसर के लिए यह प्रसंस्करण क्षमता का 70 प्रतिशत होगी. बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेताओं के लिए यह सीमा 10 टन प्रति बिक्री केन्द्र की होगी, जिसकी कुल सीमा 3,000 टन होगी तथा एकल खुदरा विक्रेताओं के लिए यह सीमा 10 टन की होगी. हाल की मूल्य वृद्धि की खबरों के चलते गेहूं जैसे आवश्यक वस्तुओं पर स्टॉक की सीमा निर्धारित की गई है. यह कदम जमाखोरी पर रोक लगाने और कीमतों को स्थिर रखने के उद्देश्य से उठाया गया है.
पिछले साल इतना था स्टॉक
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बताया कि 1 अप्रैल, 2023 को गेहूं का शुरुआती स्टॉक 82 लाख टन था, जो 1 अप्रैल, 2024 को घटकर 75 लाख टन हो गया. पिछले साल 266 लाख टन गेहूं की खरीद की गई थी, जबकि इस साल अभी तक 262 लाख टन की खरीद की गई है. इसलिए, गेहूं के शुरुआती स्टॉक में केवल 3 लाख टन की कमी है.