White Brinjal Cultivation in Polyhouse: आज कृषि क्षेत्र में आधुनिकीकरण और बदलावों के जरिये किसानों की आमदनी और फसल की उत्पादकता को बढ़ाने पर ज़ोर दिया जा रहा है. ये कृषि क्षेत्र के विकास-विस्तार (Agriculture Innovation) के साथ-साथ सीधे किसानों की आमदनी से जुड़ा है. खेती की परंपरागत विधि के बजाये नई तकनीक( Agriculture Techniques) और नई किस्मों का प्रयोग करके किसान बंपर पैदावार ले सकते हैं. खेती में बंपर पैदावार देने वाली सब्जियों में बैंगन बेहद लोकप्रिय है. 


लेकिन क्या आप जानते हैं कि आम बैंगन के बजाये सफेद बैंगन की खेती करने से किसानों को काफी मुनाफा हो सकता है. पहले ये प्रजाति भारत में नहीं मिलती थी, लेकिन कृषि वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के जरिये बैंगन की इस किस्म को विकसित किया और अब किसानों को इसके खेती के लिये प्रोत्साहित कर रहे हैं.


सफेद बैंगन की खेती
बैंगन चाहे सफेद हो या बैंगनी, किसानों को मुनाफा दोनों तरह की फसलें दिला सकती हैं. आमतौर पर सफेद बैंगन की खेती सर्दियों की जाती है, लेकिन पॉलीहाउस इसकी खेती से अच्छा  मुनाफा कमाया जा सकता है.



  • सफेद बैंगन के लिये ICAR-IARI के कृषि वैज्ञानिकों ने दो किस्में- पूसा सफेद बैंगन-1 और पूसा हरा बैंगन-1  विकसित की हैं.

  • ये किस्में परंपरागत बैंगन की फसल के मुकाबले जल्दी पककर तैयार हो जाती है.

  • सबसे पहले इसके बीजों को ग्रीनहाउस में संरक्षित हॉटबेड़ में दबाकर रखा जाता है.

  • इसकी बुवाई से पहले बीजों का बीजोपचार कर लेना ताहिये, जिससे फसल में बीमारियों की संभावना न रहे.

  • बीजों के अंकुरण तक बीजों को पानी और खाद के जरिये पोषण दिया जाता है और पौधा तैयार होने पर सफेद बैंगन की रोपाई कर दी जाती है.

  • खरपतवारों की चिंता के कारण सफेद बैंगन की बुवाई पंक्तियों में ही करनी चाहिये. 


सिंचाई और पोषण प्रबंधन



  • सफेद बैंगन (White Brinjal) की बुवाई के तुरंत बाद फसल में हल्की सिंचाई का काम कर देना चाहिये.

  • इसकी खेती के लिये ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती, इसलिये किसान चाहें तो टपक सिंचाई विधि के जरिये पानी की जरूरत पूरी कर सकते हैं.

  • मिट्टी में नमी को बनाये रखने के लिये समय-समय पर सिंचाई करते रहें.

  • सफेद बैंगन में पोषण के लिये जैविक खाद या जीवामृत का प्रयोग करें, इससे स्वस्थ उत्पादन लेने में काफी मदद मिल जाती है.

  • इस फसल को कीड़े और बीमारियों से बचाने के लिये नीम से बने जैविक कीटनाशक (Organic Pesticides) का इस्तेमाल जरूर करें.

  • सही देखभाल के बाद बैंगन की फसल 70-90 दिनों के बीच पककर तैयार हो जाती है.

  • इस फसल से मिलने वाली उत्पादकता आम बैंगन से कहीं ज्यादा होती है.


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