पूरी दुनिया में बांस ही एक लकड़ी है जिसे जल्दी कोई नहीं जलाता. हिंदू धर्म के जानकार इस लकड़ी को जलाना हमेशा से अशुभ मानते आए हैं. इसलिए बांस की लकड़ी का इस्तेमाल ना तो हिंदू खाना बनाने के लिए करते हैं और ना ही पूजा पाठ में इसका इस्तेमाल करते हैं. एक तरह से देखा जाए तो हिंदू धर्म में बांस की लकड़ी को जलाना सख्त मना है. हालांकि, इस बांस को ना जलाने के पीछे सिर्फ आध्यात्मिक भावनाएं ही नहीं हैं, बल्कि इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक तर्क भी हैं.


पहले इसके पीछे के आध्यात्मिक तर्क को समझिए?


दरअसल, बांस एक ऐसी लकड़ी है जिसकी बांसुरी हमेशा कृष्ण जी अपने साथ रखते हैं. यहां तक जब शादी होती है तो मंडप में भी बांस का इस्तेमाल होता है. मरने के बाद इंसान के शव को भी अंतिम क्रिया के लिए बांस के टिठ्ठी पर ही रख कर ले जाया जाता है. यानी इंसान के जन्म से लेकर मृत्यु तक बांस उसके साथ रहता है. यही वजह है कि आध्यात्मिक रूप से बांस को बेहद पवित्र माना जाता है और इसे जलाने से मना किया जाता है. इसके साथ ही बांस का इस्तेमाल पुराने समय में घर बनाने के लिए बर्तन बनाने के लिए और अन्य तरह की चीजों को बनाने के लिए किया जाता था. इसलिए भी जानकार लोग शुरू से इस बेहतरी पेड़ को जलाने से मना करते थे.


अब इसके पीछे के वैज्ञिक कारण को जानिए


बांस को ना जलाने के पीछे जो वैज्ञानिक कारण है वो ये है कि इसमें लेड पाया जाता है. लेड के साथ साथ और भी कई तरह की धातुएं इसमें पाई जाती हैं जो इंसानी शरीर के लिए ठीक नहीं हैं. यही वजह है कि विज्ञान के जानकार भी इस लकड़ी को जलाने से मना करते हैं. दरअसल, जब आप बांस को जलाते हैं तो इसमें मौजूद तत्व उसके धुएं के जरिए आपके शरीर में घुस जाते हैं और फिर ये कई तरह की बीमारियों का कारण बनते हैं. इसके तत्व से न्यूरो और लिवर संबंधी बीमारियां बहुत तेजी से होती हैं. यही वजह है कि जानकार हमेशा से बांस को जलाने से मना करते हैं.


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