Wheat Price: सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद महंगाई बढ़ रही है, जिस पर रोक लगाने के लिए सरकार काम कर रही है. इसी क्रम में गेहूं की कीमतों को भी कंट्रोल करने के लिए कार्य किया जा रहा है. लेकिन गेहूं की कीमतों में त्योहारी सीजन से पहले ही 8 माह के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं. ऐसे में फूड इन्फ्लेशन की आशंका फिर से बढ़ी है. जिस पर व्यापारियों का कहना है कि इंपोर्ट ड्यूटी से खाद्य आयात प्रभावित हो रहा है. इससे सरकार पर इंपोर्ट ड्यूटी हटाने का दबाव बढ़ता जा रहा है.
विशेष बात ये है कि मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गेहूं की कीमत 1.6% बढ़ी. इससे 10 फरवरी के बाद गेहूं की कीमत थोक बाजार में 27,390 रुपये प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच गई. गेहूं की कीमतें पिछले छह महीने में लगभग 22% बढ़ी हैं. भारत सरकार ने गेहूं पर 40 प्रतिशत की आयात ड्यूटी लगाई है, जिसे हटाने या कम करने की कोई तत्काल कार्रवाई नहीं हो रही है.
24 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं भंडार
रिपोर्ट्स के अनुसार एक अक्टूबर तक सरकारी गेहूं स्टॉक में सिर्फ 24 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं भंडार था. जो पिछले पांच वर्षों में औसत 37.6 मिलियन टन से बहुत कम था. केंद्र ने 2023 फसल सीजन में किसानों से 26.2 मिलियन टन गेहूं खरीदा है, जो लक्ष्य 34.15 मिलियन टन से कम है. वहीं, केंद्र सरकार का अनुमान है कि गेहूं उत्पादन 2023-24 फसल सीजन में 112.74 मिलियन मीट्रिक टन होगा. इससे खाद्य पदार्थों की लागत कम होगी.
आयात शुल्क खत्म करने की मांग
वहीं, लगातार गेहूं के इंपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए आयात शुल्क खत्म करने की भी मांग की जा रही है. अभी सरकार गेहूं पर 40 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी लगाती है, जिसके चलते इसका आयात महंगा है.
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