Rabi Crop Management in Winter:  भारत में खेती-किसानी के लिहाज से तीन मौसम ज्यादा मायने रखते हैं- सर्दी, गर्मी और बारिश. औसत तापमान रहने पर फसल पर अच्छा असर पड़ता है, जबकि सामान्य से अधिक या सामान्य से कम तापमान रहने पर फसलों पर विपरीत असर पड़ने लगता है. इस समय सर्दियां अपने चरम पर है. इन दिनों आम जनता से लेकर किसानों के लिए ठंड का मौसम चुनौती बनता जा रहा है. कई इलाकों में शीत लहर चल रही है. खेतों में पाला पड़ रहा है, जिससे रबी सीजन की फसलों में नुकसान की संभावना बढ़ जाती है. अकसर किसान पूरी सावधानी बरतते हुए कृषि कार्य करते हैं, लेकिन कई बार अधिक पाला पड़ने पर आलू से लेकर गेहूं, जौ, चना, सरसों, तोरिया और बागवानी फसलों पर पाले का बुरा असर दिखने लगता है. इस समय भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को खासतौर पर सावधानी और लगातार फसल की निगरानी करने की सलाह दी है. 


रबी फसलों पर पाले का बुरा असर
पिछले दिनों से तापमान में काफी गिरावट आ रही है. इस बीच खेतों में खड़ी प्रमुख रबी फसल- गेहूं, आलू, सरसों, सब्जियां, चना, जौ पर तापमान में गिरावट से नुकसान देखने को मिलता है. एबीपी न्यूज से बातचीत करते हुए वरिष्ठ वैज्ञानिक (पादप संरक्षण) डॉ. एस. आर. सिंह बताते हैं कि इन दिनों खेतों में खड़ी फसलों पर सर्दी और पाले का विपरीत असर पड़ता है.


इन दिनों तापमान में गिरावट के कारण फसल में प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया बाधित हो जाती है. दूसरी तरफ रबी फसलों के पौधों की कार्बन डाई ऑक्साइड अवशोषित करके ऑक्सीजन रिलीज करने की प्रक्रिया में भी बाधा उत्पन्न होती है. इससे फसल के पौधे मिट्टी के पोषक तत्वों को भी ग्रहण नहीं कर पाते, जिसका कारणवश फसलों पर पीलापन आ जाता है.


कब पड़ता है पाला
रबी फसलों पर पाले का असर और बचाव के उपायों को लेकर डॉ. एस. आर. सिंह बताते हैं कि जब तापमान 5 डिग्री सेंटीग्रेट से नीचे चला जाता है तो पाला पड़ने की संभावना पैदा हो जाती है. वहीं 2 डिग्री सेंटीग्रेट या इससे नीचे तापमान रहने पर पाला पड़ना चालू हो जाता है. इस दौरान रबी फसलों के पौधों में जाइलम और फ्लोएम संरचनाएं बाधित हो जाती है और फसल में पानी जमने लगता है, जिससे फसल के विकास पर विपरीत असर पड़ने लगता है. इसके कारण फसल की पत्तियों पर काले धब्बे पड़ने लगते है और पत्तियां झुलसने लगती है. यदि सीजन ज्यादा लंबा चले तो फसल में नुकसान की संभावना भी बढ़ जाती है.


पाले से कैसे बचाएं रबी फसलें
सर्दी और पाले से फसल पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों की रोकथाम और फसल को बचाने के उपाय बताते हुए डॉ. एस. आर. सिंह बताते हैं कि रबी फसलों में नमी कायम करना बेहद जरूरी है. पाले से फसलों को बचाने के लिए 400 गराम गंधक को 200 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए, जिससे पाले और तापमान में गिरावट (2 से 5 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान) रहने पर भी पौधों का विकास हो जाता है. 



  • पाले या तापमान में गिरावट के दौरान गंधक का छिड़काव किसानों के लिए काफी मददगार साबित होता है. 

  • अगले कुछ दिन तक में गिरावट की संभावना है और कई इलाकों में पाला पड़ने के आसार हैं. ऐसे में भूलकर भी सुबह के समय छिड़काव ना करें.

  • ऐसी स्थिति में शाम के समय ही गंधक का छिड़काव और फसल में हल्की सिंचाई करना काफी फायदेमंद रहेगा.

  • कोई भी कीटनाशक, रोगनाशी या खरपतवारनाशी दवा का छिड़कते समय स्टीकर (चिपकाने वाली दवा का 100 एमएल) का भी मिश्रण करें.


सरसों की फसल पर क्या असर
यदि सरसों की फसल में फ्लावरिंग चल रही है तो पाले का विपरीत असर पड़ सकता है. अकसर देर से बोई गई या पछेती बुवाई की फसल पर पाले का बुरा असर देखने को मिलता है, जबकि समय से बोई गई फसल में 80 प्रतिशत फलियां बन चुकी हैं. इस स्थिति में पाले से नुकसान नहीं होगा.


आलू की फसल पर असर
आलू की फसल के लिए कृषि वैज्ञानिक लगातार एडवायजरी जारी करके किसानों को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं.  इस मामले में डॉ. एस. आर. सिंह भी बताते हैं कि इस समय तापमान 10 डिग्री से नीचे जा रहा है. कोहरा और पाले के आसार है.


कई किसानों ने आलू की फसल में पछेती झुलसा रोग के प्रकोप की शिकायत की है. इस फंगल रोग का प्रपोक होने पर आलू के पौधों की पत्तियां और तने काले पड़ने लगते है. पत्तियों के नीचे रुई बनने लगती है और आलू का कंद भी सड़ने लगता है.  इस बीमारी की रोकथाम के लिए तुरंत कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लें और आवश्यक दवाओं का छिड़काव करें. 


इन फसलों का भी रखें ध्यान
गेहूं की फसल में लगातार खरपतवारों की निरगानी और रोकथाम की सलाह दी जा रही है. किसान खरपतवारों को उखाड़कर खेत से बाहर निकाल दें और नमी कायम रखने के लिए शाम के समय हल्की सिंचाई कर दें.


चना और मटर की फसल पर पाले या सर्दी का कुछ खास विपरीत असर नहीं होता, हालांकि फली बेधक का प्रकोप हो सकता है, जिसकी रोकथाम के लिए नीम आधारित कीटनाशकों का छिड़काव कर सकते हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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