Wheat Cultivation: कुछ फसलों को छोड़ दें तो बिना पानी के फसलें नहीं सर्वाइव नहीं कर पाती है. इस साल पड़े सूखा ने खरीफ फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाया है. पानी के लिए किसान आसमान की ओर ताकते रहे. बिजली न आने पर सिंचाई का और संकट खड़ा हो गया. अगर फसलों की ऐसी कोई नई प्रजाति विकसित कर दी जाए जिसे पानी की जरूरत ही ना पड़े. वो भी ऐसी फसल जो बिना पानी रह ही ना पाती है तो फिर कैसा रहे? वैज्ञानिकों ने 4 साल तक ट्रायल कर गेहूं की ऐसी ही नई प्रजाति को डेवलप किया है. आइए जानते हैं इसके बारे में.
दो प्रजातियों को मिलाकर बनी k-1616
कानपुर में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय(CSAV) है. इसी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक पिछले 4 साल से गेहूं की नई प्रजाति के ट्रायल में लगे हुए थे. देश भर में इस प्रजाति के ट्रायल किए गए. ट्रायल में साइंटिस्ट को नई प्रजाति डिवेलप करने में बड़ी सफलता हाथ लगी. बताया गया है कि k-1616 प्रजाति, दो प्रजातियों HD-2711 व k-711 को मिलाकर संकर प्रजाति बनाई गई है.
सिंचाई की जरूरत नहीं
साइंटिस्ट का कहना है कि इस प्रजाति को सिंचाई की जरूरत नहीं है. यह बिना सिंचाई के ही 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार दे सकती है. अगर इसे सिंचाई मिल जाए तो वह सोने पर सुहागा वाली बात होगी, फिर पैदावार बढ़कर 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है. इस फसल को केवल खेत में पलेवा कर बोया जा सकता है. यदि कहीं पानी का संकट है तो वहां भी यह फसल अच्छी पैदावार देगी. अब गेहूं बोने वाले किसानों को पानी को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है.
और भी हैं खासियतें
इस प्रजाति की केवल यही खासियत नहीं है कि बिना सिंचाई के ही इससे पैदावार पाई जा सकती है और भी कई खूबियां इस प्रजाति में है. यह खुद में रोगरोधी है. इसका दाना भी बड़ा और लंबा है. गेहूं की अन्य प्रजातियां 125 से 130 दिन में पकती हैं, जबकि यह प्रजाति 120 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाएगी. इसे स्टेट में कहीं भी बचाया जा सकता है और जहां लग रहा है कि बारिश कम होगी. वहां भी बोकर इससे बेहतर उपज ली जा सकती है.
नेक्स्ट ईयर आएगा मार्केट में
साइंटिस्ट का कहना है कि प्रजाति की रिसर्च को लेकर सभी एक्साइटेड थे. जब रिजल्ट देखे तो सभी बेहद खुश हुए. रिजल्ट के आधार पर ही कुछ महीने पहले प्रजाति की डिटेल और उसे मार्केट में उपलब्ध कराने के लिए कवायद शुरू कर दी है. इसे सेंट्रल गवर्नमेंट के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पास भेज दिया गया है. वहां इसे भारत के राजपत्र में अधिसूचित कर लिया है. अगले साल ये प्रजाति मार्केट में होगी.
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