Agri Tech: आज के आधुनिक दौर में लाइफस्टाइल बिल्कुल बदल चुकी है. बिना मशीन और टेक्नोलॉजी के आज के समय में कोई भी काम मुमकिन नहीं है. हम सिर्फ शहरों की बात नहीं कर रहे, बल्कि गांव में भी अब खेती-किसानी से लेकर रोजमर्रा के कामों में आधुनिक मशीनें और नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसे खेती में जोखिम को कम हुए ही है, किसानों को मेहनत, समय और खेती की लागत में भी काफी बचत हुई है. ये मुमकिन हो पाया है केंद्र सरकार की आत्मा स्कीम से, जिसके तहत किसानों  को आधुनिक खेती की ट्रेनिंग दी जाती है और नई कृषि तकनीकों के बारे में भी बताया जाता है.


इस स्कीम का प्रमुख उद्देश्य यही है कि किसान सिर्फ खेती तक ही सीमित ना रहे, बल्कि तकनीक और मशीनों का इस्तेमाल करना भी सीख जाएं. इन दिनों आत्मा स्कीम से ग्रामीण महिलाओं को भी जोड़ा जा रहा है, जिससे गांव में लैंगिग पक्षपात खत्म करके महिलाओं को भी खेती-किसानी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सके. 


कहां से मिलती है ट्रेनिंग
आत्मा योजना के तहत  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) अपने कृषि विज्ञान केन्‍द्रों (KVK) की मदद से तकनीकों के मूल्‍यांकन, प्रदर्शन और किसानों की क्षमता के विकास का काम करता है. इस काम में कृषि वैज्ञानिक और एक्सपर्ट्स खुद किसानों की मदद करते हैं. चाहे महिला हों या पुरुष दोनों ही वर्ग के किसानों को चावल, गेंहू, दलहन, मोटे अनाज और पोषक अनाजों का उत्‍पादन और उत्‍पादकता बढ़ाने के तरीके बताए जाते हैं, जबकि बागवानी विकास मिशन के तहत फलों, सब्‍जियों, मशरूम, मसालों, फूलों, सुगंधित पौधों, नारियल, काजू और बांस की खेती की जानकारी दी जाती है.


इस स्कीम में महिला और पुरुष किसानों को आधुनिक किसान बनाने के लिए ट्रेन किया जाता है, जिसके लिए प्रशिक्षण, प्रदर्शन, अध्‍ययन, दौरे, किसान मेले, किसान समूहों को संगठित करने और फार्म-स्‍कूलों का संचालन आदि शामिल है. इस स्कीम का लाभ लेकर आधुनिक खेती और नई कृषि तकनीकों के गुर सीखने के लिए अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) या कृषि विभाग के नजदीकी कार्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं. 






ऐसे डबल हो जाती है इनकम
आधुनिक खेती, तकनीकें और मशीनों से पुरुष किसान तो आसानी से जुड़ जाते हैं, लेकिन कई गांव में रुढ़िवादी सोच के कारण महिलाएं पारंपरिक तरीकों से ही खेती करती है,जिसमें मेहनत भी पूरी और समय भी काफी अधिक लगता है. यही वजह है कि आत्मा स्कीम के तहत अब महिलाओं को भी नए जमाने की खेती सिखाई जा रही है, ताकि वे पुरुषों के कंधे से कंधा मिलकर खेती-किसानी के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकें. तकनीकों का इस्तेमाल करके कम मेहनत में ही उत्पादकता बढ़ा सकें. इन तरीकों से खेती की लागत भी कम हो जाती है, जिससे महिलाएं भी चार पैसे अधिक कमा सकती हैं. एक्सपर्ट्स का भी यही मानना है कि वैज्ञानिक खेती से कम लागत में अच्छी पैदावार ले सकते हैं.


लाखों किसानों को मिला फायदा
आत्मा स्कीम के तहत कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा समय-समय पर किसानों के खेतों पर ही वैज्ञानिक खेती की ट्रेनिंग दी जाती है. अभी तक देश के लाखों किसान आत्मा स्कीम के तहत ट्रेनिंग लेकर अच्छा पैसा कमा रहे हैं.इसमें पारंपरिक फसलों के अलावा दलहन, तिलहन, बागवानी और अनाज की उत्पादकता को बढ़ाने के साथ मशरूम सुगंधित पौधे, नारियल, काजू और बांस की खेती की जानकारी दी जाती है.


ये इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि हमारे देश में खेती के लिए उपजाऊ जमीन तो है, लेकिन किसान मेहनत के मुताबिक उत्पादन नहीं ले पाते. सिर्फ पारंपरिक खेती तक सीमित रहने से यह काम मुमकिन नहीं है, इसलिए आधुनिक खेती और नई तकनीकों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.


साल 2005-06 में चलाई गई कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (Agriculture Technology Management Agency)यानी आत्मा योजना से ट्रेनिंग लेकर कई किसान अब पारंपरिक फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलों का उत्पादन ले रहे हैं. साथ ही, खेती में आय बढ़ने के तरीकों को अपनाकर अच्छी आमदनी भी कमा रहे हैं. कई महिला किसानों ने भी आत्मा स्कीम से जुड़कर खेत-खलिहानों को हरा-भरा बना दिया है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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