Women farmers of Jharkhand:  लाख की खेती में झारखंड पहले स्थान पर आता है. यहां हर साल 15 से 16 हजार टन लाह का प्रोडक्शन मिलता है. यह सिर्फ एक फसल नहीं है, बल्कि झारखंड के ग्रामीण पर आदिवासी लोगों की आमदनी का जरिया है. झारखंड की आदिवासी महिलाएं भी आज लाख की खेती से आत्मनिर्भर बनी है और लाखों की कमाई ले रही हैं, रिपोर्ट्स की मानें तो आज लाख की खेती से झारखंड के 11 जिलों के 50 लाख से ज्यादा किसानों को रोजगार मिल रहा है.


ग्रामीण आदिवासी महिलाओं को फायदा 
झारखंड में लाख की खेती की अपार संभावनाएं हैं. यहां जंगल और वन क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं लाख की खेती करके रोजगार कमा रही हैं. जहां पहले इन महिलाओं को रोजगार के लिए शहरों की तरफ पलायन करना होता था. वहीं आज ट्रेनिंग लेकर गांव में ही लाख की खेती कर आजीविका कमा रही हैं. वन क्षेत्रों में सिंचाई की कमी के कारण दूसरी फसलों की खेती करना लगभग नामुमकिन होता है. ऐसे में लाख की फसल महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है.


इन पेड़ों पर होती है लाख की खेती 
जाहिर है कि लाख एक प्राकृतिक राल होती है, जिसे प्रकृति का वरदान भी कहते हैं. इसका इस्तेमाल चूड़ियां और तमाम सजावटी सामान बनाने में किया जाता है. लाखों की खेती के लिए आमतौर पर बेर और कुसुम जैसे पेड़ों का इस्तेमाल किया जाता है. यह पेड़ जंगल और वनों में आसानी से मौजूद होते हैं. वहीं सेमियालता के पौधों पर भी लाख की खेती की जाती है. क्वालिटी की बात करें तो कुसुम के पेड़ों पर उगाया गया लाख अच्छे दामों पर बिकता है. झारखंड के ग्रामीण महिलाओं को लाख की खेती से भी फायदा होता है, क्योंकि वह इसकी खेती करने के साथ-साथ प्रोसेसिंग करके चूड़ियां भी बनाती हैं. इसके लिए कई निजी और सरकारी संस्थाएं महिलाओं को ट्रेनिंग भी देती हैं.


महिला सशक्तिकरण योजना ने किया कमाल 
लाख की खेती के लिए झारखंड की सरकार ने महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना और जौहर परियोजना चलाई है. इन परियोजनाओं के तहत ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं को वैज्ञानिक तरीके से लाख की खेती सिखाई जाती है. यही कारण है कि ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं का मुनाफा पहले के मुकाबले कई गुना बढ़ गया है. झारखंड में पहले लाख की खेती पारंपरिक तरीके से की जाती थी, जो लगभग विलुप्त होने की कगार पर थी. यही कारण है कि सरकार ने ग्रामीण और महिलाओं को वैज्ञानिक ट्रेनिंग उपलब्ध कराने का फैसला किया और लाख की पारंपरिक खेती को अब वैज्ञानिक खेती में तब्दील कर दिया है.


लाख की खेती से लाखों की आमदनी 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आज झारखंड के करीब 73 लाख से अधिक परिवार इन दोनों परियोजना से जुड़े हुए हैं और लाख की खेती कर सालाना 3 लाख रुपये की आमदनी ले रहे हैं. राज्य में किसानों को लाख की खेती के लिए सिर्फ ट्रेनिंग ही नहीं दी जा रही, बल्कि साथ पर उन्हें लाख की बिक्री के लिए सही दाम और बाजार भी उपलब्ध करवाया जा रहा है. राज्य में महिलाओं को ट्रेनिंग देने के लिए झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी सहायक बनकर उभरी है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें- मछलियों के साथ पानी में उगाई जा रहीं सब्जियां, पद्मश्री किसान के Idea ने दोबारा किया कमाल