Scientific Farming in Nagaland: भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां की एक बड़ी आबादी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है. मिट्टी और जलवायु के मुताबिक तमाम फसलों की खेती हो रही है. भारत के कृषि उत्पादों को देश-विदेश में भी निर्यात किया जा रहा है. कृषि की आधुनिक तकनीक की मदद से उन इलाकों में भी बढ़िया उत्पादन हो रहा है, जहां कभी खेती की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. ऐसे ही कई इलाके नागालैंड में भी मौजूद हैं. बता दें कि नागालैंड का ज्यादातर इलाका पहाड़ों से घिरा हुआ है. यहां ज्यादातर ढ़लान मौजूद हैं, जिसके चलते खेती में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. ढ़लान पर खेती करना बड़ा मुश्किल हो जाता था, लेकिन नागालैंड के लोगों ने इसका समाधान सीढ़ीनुमा खेती के तौर पर निकाला.
नागालैंड में सीढ़ीनुमा खेती
आज नागालैंड के किसानों ने पहाड़ों को भी उपजाऊ जमीन में तब्दील कर दिया है. यहां खेती के लिए जंगलों को काट दिया गया है और पहाड़ की ढ़लान पर सीढ़ीनुमा खेत तैयार किए गए हैं. अब यहां खेती करना ज्यादाय मुश्किल नहीं होता. बारिश होने पर पानी इन सीढ़ीनुमा खेतों में जमा हो जाता है, जिसके बाद खेती करना और भी आसान हो जाता है. नागालैंड के किसान इन सीढ़ीनुमा खेतों में धान की फसल उगाते हैं, क्योंकि इस फसल में पानी की अच्छी खासी खपत होती है. इन सीढ़ीनुमा खेतों के सहारे आज नागालैंड की 80 फीसदी जमीन पर धान की खेती हो रही है. बाकी 20 प्रतिशत जमीन पर मक्का, बाजरा और दालों की खेती होती है.
वर्ल्ड बैंक ने दिखाई रुचि
ये सीढ़ीनुमा खेत आज दुनियाभर में मशहूर हैं और फेमस टूरिस्ट स्पॉट भी बन चुके हैं. इनकी खूबसूरती का पूरा श्रेय नागालैंड के लोगों को ही जाता है, जो दिन रात मेहनत करके पहाड़ी राज्य नागालैंड को कृषि के क्षेत्र में आगे ले जा रहे हैं. अच्छी बात ये है कि दुनिया इन किसानों की मेहनत को खूब सरहाना दे रही है. हाल ही में विश्व बैंक की एक टीम ने नागालैंड में वैज्ञानिक खेती का समर्थन करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए सहयोग का प्रस्ताव रखा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अधिकारियों ने भी इस बात को कबूल किया है कि विश्व बैंक की एक टीम ने नागालैंड के अधिकारियों के साथ एलीमेंट (ELEMENT) परियोजना के संबंध में बैठकें की हैं.
इन जगहों का किया दौरा
नागालैंड विजिट करने पहुंची विश्व बैंक की टीम मुख्य तौर पर नागालैंड की प्राकृतिक खूबसूरती, एग्रो फॉरेस्ट्री, चीचमा में झूम खेती, नागा इंटीग्रेटेड सेटल्ड फार्मिंग-एनआईएसएफ परियोजना, सेंडेन्यू बायो डायवर्सिडी रिसर्व और पारंपरिक सीढ़ीनुमा खेतों का समझने आई है. जल्द ये टीम नागालैंड बांस मिशन, नागालैंड मधुमक्खी पालन और हनी मिशन और चुमौकेदिमा में जैविक बाजार को भी विजिट करेगी. इस मामले में नागालैंड के कृषि उत्पादन आयुक्त वाई. किखेतो सेमा ने भी विश्व बैंक की टीम को राज्य में कृषि परिदृश्य और खेती के तमाम पैटर्न के बारे में बताया.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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